प्रज्ञा पुरुष थे आचार्य महाप्रभ :महाश्रमण जी
आचार्य महाप्रज्ञ की तीसरी पुण्यतिथि मनाई, मेली गांव में आचार्य महाश्रमण का भावभीना अभिनंदन, धर्म सभा में उमड़े श्रावक-श्राविकाएं
सिवाना (बालोतरा)
आचार्य महाश्रमण ने आचार्य महाप्रभ की तीसरी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि जिसमें प्रज्ञा नहीं होती, वह तत्व को नहीं समझ सकता। प्रज्ञा के बिना शास्त्रों के मर्म को ग्रहण नहीं कर सकता। प्रज्ञा विहीन व्यक्ति के सामने भले ही शास्त्रों का भंडार हो लेकिन उससे उसका कोई भला नहीं होगा। उन्होंने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ प्रज्ञा पुरुष थे। उन्होंने तत्व को समझा ही नहीं, दूसरों को भी समझाने का प्रयास किया। आचार्य महाश्रमण मेली गांव में धर्म सभा को संबोधित कर रहे थे।
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन का काफी समय विद्या की उपासना में बीता। गुरुदेव तुलसी के विद्यार्थियों में ही एक विद्यार्थी महाप्रज्ञ थे। उन्होंने लंबा आयुष्य प्राप्त किया था। गुरुदेव महाप्रज्ञ का संस्कृत भाषा पर गजब का अधिकार था।
गजब की जोड़ी थी-
गुरुदेव तुलसी जनता व साधु-साध्वियों को संभालते और आश्रम के टिप्पण, भूमिका आदि कार्य मुख्यतया आचार्य महाप्रज्ञ कर लेते थे। ये इस प्रकार दो डिपार्टमेंट से हो गए थे। दोनों काम चलते रहते और यूं मानना चाहिए कि गुरुदेव तुलसी व गुरुदेव महाप्रज्ञ दोनों को मिलाने से परिपूर्णता आती है। धर्म संघ को सौभाग्य था कि उसे दो ऐसे व्यक्तित्व प्राप्त हुए जो अपना-अपना काम संभाल लेते और काम में परिपूर्णता आ जाती है। यह अलबेली जोड़ी थी, गुरु के साथ में उन्होंने आचार्यत्व को प्राप्त किया था।
ज्योतिष व पुरुषार्थ का अपना-अपना महत्व
उन्होंने कहा कि आयुष्य के संदर्भ में ज्योतिष पर ज्यादा विश्वास नहीं करना चाहिए। कुंडली, हस्तरेखा दिखाने में भविष्य जानने में व्यक्ति को समय नहीं लगाना चाहिए। आदमी को सत् पुरुषार्थ साधना करनी चाहिए। आयुष्य जितना है उतना हो जाएगा। उसकी क्या चिंता, करना है तो अच्छा काम करो। आयुष्य छोटा हो तो भी अच्छा काम करना है। व्यक्ति को मुहूर्त में भी ज्यादा नहीं पडऩा चाहिए। नवकार मंत्र का जाप और धर्म की साधना में लीन रहते हुए कार्य करते रहना चाहिए। ज्योतिष को अपने स्थान पर महत्व है और पुरुषार्थ का अपना महत्व है।
विलक्षण संत थे आचार्य महाप्रज्ञ
कार्यक्रम में साध्वी प्रमुख श्री कनक प्रभा ने कहा कि जिस प्रकार सागर की गहराई को मापना असंभव है, उसी प्रकार आचार्य श्री महाप्रज्ञ अमाप्य थे। वे एक विलक्षण संत थे। वे ज्ञान के हर क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान रखते थे। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ अपने पुरुषार्थ के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। उनको ज्ञान के हर क्षेत्र में सिद्धहस्तता प्राप्त थी। मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुत विभा ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ के लेखन का तरीका भी विलक्षण था। उनके मोह कर्म का विलय हो चुका था। शासन मुनि राजेन्द्र कुमार ने अपने श्रद्धासिक्त भावों की अभिव्यक्ति दी। मुनि कोमल कुमार ने 'महाप्रज्ञ को वंदन आज' कविता से अपनी भावाभिव्यक्ति दी। मुनि धन्यकुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इससे पूर्व मुनि दिनेश कुमार ने 'ऊं जय महाप्रज्ञ गुरुदेव' के माध्यम से अभ्यर्थना की। साध्वी वृंद की ओर से प्रमुखा श्री की ओर से रचित गीत 'सूरज बन कण चमक्यां गण गीगनार' से भाव सुमन अर्पित किए। समणी वृंद ने जय गुरुवरं, जय गुरुवरं गीत से भावांजलि दी। कार्यक्रम के अंत में सरपंच अख्ताराम चौधरी, कांतिलाल ने अपने भाव व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार की ओर से किया गया।
आचार्य महाश्रमण आज सिवाना में
अहिंसा यात्रा को लेकर आचार्य महाश्रमण अपनी धवलसेना के साथ सिवाना कस्बे में मंगलवार सुबह 9 बजे प्रवेश करेंगे। यहां चंपावाड़ी जैन संस्थान प्रांगण में अभिवंदना समारोह में अभिवंदन किया जाएगा। संयोजक मोहनलाल गोलेच्छा ने बताया कि समारोह में विशेष अतिथि राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी, राज्य अनुसूचित आयोग अध्यक्ष गोपाराम मेघवाल, सांसद हरीश चौधरी विधायक मेवाराम जैन, कानसिंह कोटड़ी होंगे।
आचार्य महाप्रज्ञ की तीसरी पुण्यतिथि मनाई, मेली गांव में आचार्य महाश्रमण का भावभीना अभिनंदन, धर्म सभा में उमड़े श्रावक-श्राविकाएं
सिवाना (बालोतरा)
आचार्य महाश्रमण ने आचार्य महाप्रभ की तीसरी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि जिसमें प्रज्ञा नहीं होती, वह तत्व को नहीं समझ सकता। प्रज्ञा के बिना शास्त्रों के मर्म को ग्रहण नहीं कर सकता। प्रज्ञा विहीन व्यक्ति के सामने भले ही शास्त्रों का भंडार हो लेकिन उससे उसका कोई भला नहीं होगा। उन्होंने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ प्रज्ञा पुरुष थे। उन्होंने तत्व को समझा ही नहीं, दूसरों को भी समझाने का प्रयास किया। आचार्य महाश्रमण मेली गांव में धर्म सभा को संबोधित कर रहे थे।
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन का काफी समय विद्या की उपासना में बीता। गुरुदेव तुलसी के विद्यार्थियों में ही एक विद्यार्थी महाप्रज्ञ थे। उन्होंने लंबा आयुष्य प्राप्त किया था। गुरुदेव महाप्रज्ञ का संस्कृत भाषा पर गजब का अधिकार था।
गजब की जोड़ी थी-
गुरुदेव तुलसी जनता व साधु-साध्वियों को संभालते और आश्रम के टिप्पण, भूमिका आदि कार्य मुख्यतया आचार्य महाप्रज्ञ कर लेते थे। ये इस प्रकार दो डिपार्टमेंट से हो गए थे। दोनों काम चलते रहते और यूं मानना चाहिए कि गुरुदेव तुलसी व गुरुदेव महाप्रज्ञ दोनों को मिलाने से परिपूर्णता आती है। धर्म संघ को सौभाग्य था कि उसे दो ऐसे व्यक्तित्व प्राप्त हुए जो अपना-अपना काम संभाल लेते और काम में परिपूर्णता आ जाती है। यह अलबेली जोड़ी थी, गुरु के साथ में उन्होंने आचार्यत्व को प्राप्त किया था।
ज्योतिष व पुरुषार्थ का अपना-अपना महत्व
उन्होंने कहा कि आयुष्य के संदर्भ में ज्योतिष पर ज्यादा विश्वास नहीं करना चाहिए। कुंडली, हस्तरेखा दिखाने में भविष्य जानने में व्यक्ति को समय नहीं लगाना चाहिए। आदमी को सत् पुरुषार्थ साधना करनी चाहिए। आयुष्य जितना है उतना हो जाएगा। उसकी क्या चिंता, करना है तो अच्छा काम करो। आयुष्य छोटा हो तो भी अच्छा काम करना है। व्यक्ति को मुहूर्त में भी ज्यादा नहीं पडऩा चाहिए। नवकार मंत्र का जाप और धर्म की साधना में लीन रहते हुए कार्य करते रहना चाहिए। ज्योतिष को अपने स्थान पर महत्व है और पुरुषार्थ का अपना महत्व है।
विलक्षण संत थे आचार्य महाप्रज्ञ
कार्यक्रम में साध्वी प्रमुख श्री कनक प्रभा ने कहा कि जिस प्रकार सागर की गहराई को मापना असंभव है, उसी प्रकार आचार्य श्री महाप्रज्ञ अमाप्य थे। वे एक विलक्षण संत थे। वे ज्ञान के हर क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान रखते थे। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ अपने पुरुषार्थ के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। उनको ज्ञान के हर क्षेत्र में सिद्धहस्तता प्राप्त थी। मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुत विभा ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ के लेखन का तरीका भी विलक्षण था। उनके मोह कर्म का विलय हो चुका था। शासन मुनि राजेन्द्र कुमार ने अपने श्रद्धासिक्त भावों की अभिव्यक्ति दी। मुनि कोमल कुमार ने 'महाप्रज्ञ को वंदन आज' कविता से अपनी भावाभिव्यक्ति दी। मुनि धन्यकुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इससे पूर्व मुनि दिनेश कुमार ने 'ऊं जय महाप्रज्ञ गुरुदेव' के माध्यम से अभ्यर्थना की। साध्वी वृंद की ओर से प्रमुखा श्री की ओर से रचित गीत 'सूरज बन कण चमक्यां गण गीगनार' से भाव सुमन अर्पित किए। समणी वृंद ने जय गुरुवरं, जय गुरुवरं गीत से भावांजलि दी। कार्यक्रम के अंत में सरपंच अख्ताराम चौधरी, कांतिलाल ने अपने भाव व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार की ओर से किया गया।
आचार्य महाश्रमण आज सिवाना में
अहिंसा यात्रा को लेकर आचार्य महाश्रमण अपनी धवलसेना के साथ सिवाना कस्बे में मंगलवार सुबह 9 बजे प्रवेश करेंगे। यहां चंपावाड़ी जैन संस्थान प्रांगण में अभिवंदना समारोह में अभिवंदन किया जाएगा। संयोजक मोहनलाल गोलेच्छा ने बताया कि समारोह में विशेष अतिथि राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी, राज्य अनुसूचित आयोग अध्यक्ष गोपाराम मेघवाल, सांसद हरीश चौधरी विधायक मेवाराम जैन, कानसिंह कोटड़ी होंगे।
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