रविवार, 15 अप्रैल 2012

राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए पोस्ट कार्ड अभियान चलेगा जैसलमेर में


अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति जैसलमेर

समिति की बैठक जवाहर विद्यापीठ में संपन


राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए पोस्ट कार्ड अभियान चलेगा जैसलमेर में


जैसलमेर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघार्षा समिति जैसलमेर की अहम् बैठक रविवार को जवाहर विद्यापीठ छंगानी चौक में यूं आई टी चेयरमेन उम्मीद सिंह तंवर के मुख्या आतिथ्य और समिति के बाड़मेर जैसलमेर प्रभारी चन्दन सिंह भाटी की अध्यक्षता में संपन हुई .समिति के वरिष्ठ कार्यकर्ता रविन्द्र छंगानी ने बताया की जैसलमेर में राजस्थानी भाषा की मान्यता के पुरजोर प्रयासों पर बैठक में चर्चा की गयी ,बैठक को संबोधित करते हुए उम्मीद सिंह तंवर ने कहा की माँ ,मातृभूमि और मायद भाषा का सम्मान सबसे बड़ा धर्म है ,जेसाने से राजस्थानी भाषा को मान्यता की हूक बड़ी जोर से उठेगी ,उन्होंने कहा की राज्य सरकार के साथ सभी संसद इस दिशा में प्रयासरत हें ,राज्य सरकार ने राजस्थानी भाषा को संवेधानिक दर्जा देने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भिजवा चुकी हें ,इस अवसर पर जैसलमेर के प्रभारी चन्दन सिंह भाटी ने कहा की जिस देश का साहित्य जगमगाता हो,वह देश अपने आप में जगमगाता है ,और इस लिए संस्कृति की जो मौलिक अभिव्यक्ति है,उसकी भाषा संवाहक होती है । बिना खुद की जुबान के राष्ट्र ,प्रदेश या व्यक्ति के स्वाभिमान का होना बडा़ असम्भव काम है , भारतीय भाषाओं के शब्द भंडार से हिन्दी बहुत समृद्ध हुई है । दुर्भाग्यवश पांच दशक बीत जाने के बाद स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती का वर्ष आ गया फ़िर भी इन पच्चास वर्षों के अन्दर जिस राजस्थानी भाषा के अन्दर आज़ादी के गीत लिखे गए थे,जिन गीतों को, जिस साहित्य को सुन कर लोगों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए,आज उस राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची के अन्दर मान्यता नहीं मिली । इस कारण से राजस्थानी साहित्य बहुत उपेक्षित हो रहा है ।समिति के आनंद जगानी ने कहा की  हम मीरा के गीत ,उसके पद को ठीक प्रकार से नहीं समझ पा रहे है । नरहरि दास,बांकीदास,चंदरबरदाई,राजिया के दूहे, और पृथ्वीराज की कविताओं का हम अभी तक इंतजार कर रहे हैं । एक विजयदान देथा ज़रूर हैं, जिनकी कहानियां सुन कर हम देश-देशान्तर में गौरव का अनुभव करते हैं । , चाहे राजस्थान हो,चाहे महाराष्ट्र हो, चाहे पश्चिम बंगाल हो, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात, मध्यप्रदेश, असम में बसे हुए लगभग 8  करोड़ के आसपास राजस्थानी भाषा का उपयोग करने वाले लोग हैं, जिनकी मातृभाषा आज संविधान की आठवीं सूची का इंतजार कर रही है ।समिति के वरिष्ठ कार्यकर्ता रविन्द्र छंगानी ने कहा की राजस्थान वासियों का और राजस्थान की भाषा बोलने वालने वालों का हक छीनने का कोई औचित्य प्रकट नहीं होता ।समिति के डॉ अशोक तंवर ने कहा की  राजस्थानी भाषा का जहां तक सवाल है, इसका अस्तित्व आठवीं शताब्दी में आया, और इस में लिखे हुए ग्रन्थ आज भी उपलब्ध हैं ।समिति के मनीष राम देव ने कहा की समिति से जैसलमेर वासियों को जड़ने के सतत प्रयास जरूरी हें ,सिकंदर शेख ने कहा की रविवार २१ अप्रेल को हनुमान चौराहा गाँधी दर्शन पर पोस्ट कार्ड अभियान आरम्भ किया जाएगा ,इसके पश्चात शहर के मुख्या मार्गो पर पोस्ट कार्ड अभियान चलाया जाएगा ,बैठक में सदस्य राजेंद्र सिंह चौहान तथा विजय बल्लानी ने कहा की समिति के घटक संघठनो  मोटियार परिषद् ,राजस्थानी महिला परिषद् ,राजस्थानी भाषा चिंतन परिषद् के गठन प्राथमिकता में शुमार किये जाए ,इस अवसर पर प्रेम प्रकाश बिस्सा अरविन्द छंगानी पंकज तंवर ने भी अपने विचार रखे ,बैठक के अंत में शनिवार को पुनः बैठक कर पोस्ट कार्ड अभियान  की तयारी पर मंथन करने का तय किया गया ,इससे पूर्व जैसलमेर के प्रभारी चन्दन सिंह भाटी का स्वागत  किया गया कार्यक्रम का संचालन  मनीष रामदेव ने किया








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