एक वर्ष मे 900 दुधारू गायो की मौत!
खुईयाला। जिले के पश्चिमी ग्रामीण क्षेत्रों में विगत एक वर्ष मे करा रोग से करीब 900 गायें काल का ग्रास बन चुकी है। गत वर्ष से हाबूर, सोनू, सेरावा, पारेवर, तेजपाला, कबीर बस्ती, खुईयाला सहित कई गांवों व ढाणियों में गायो की मौत हो रही है। चिकित्सको के अनुसार अधिक दूध देने वाली व प्रतिवर्ष ब्याहने वाली गायें इस बीमारी का शिकार अधिक हो रही है।
इस रोग मे गायो के पैरों में जकड़न आती है व दो-तीन दिन बाद चलना-फिरना बंद हो जाता है। गायो के मुंह में पानी आना शुरू हो जाता है, जिससे गायें मर जाती है। क्षेत्र में लंबे समय से फैली इस बीमारी को देखकर पशुपालक काफी परेशान है। घरेलू उपयोगी दूध व दही के लिए रखी गायों की अकाल मौत देखकर पशुपालक परेशान है।
संस्थाओं ने किया भ्रमण
क्षेत्र में फैली करा रोग नामक बीमारी की जानकारी प्राप्त करने के लिए दो दिन पूर्व हैल्थ इन सफरिंग जयपुर व आश्रय जयपुर संस्थाओं के अधिकारियों ने हाबूर, सोनू, सेरावा आदि गांवों का भ्रमण कर मृत गायों के नमूने लिए। हैल्थ इन सफरिंग जयपुर के डॉ. प्रदीप सिंघल व पशुपालक विभाग के चिकित्सक डॉ. वासुदेव गर्ग ने इन गांवों का दौरा कर मृत पशुओं के कंकाल को गहरे गड्डो में दबाने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि यह रोग दुधारू पशुओं में अधिक फैलता है।
इन्होंने कहा
इस बीमारी से बचाव ही उपचार है। मृत पशुओं को गहरे गड्डो में गाड़ दिया जाए ताकि बीमारी से मृत पशुओं के कंकाल स्वस्थ्य पशु नहीं खा सके।
-डॉ. अनिल कुमार
पशु चिकित्साधिकारी, पशु पालन विभाग, रामगढ़
खुईयाला। जिले के पश्चिमी ग्रामीण क्षेत्रों में विगत एक वर्ष मे करा रोग से करीब 900 गायें काल का ग्रास बन चुकी है। गत वर्ष से हाबूर, सोनू, सेरावा, पारेवर, तेजपाला, कबीर बस्ती, खुईयाला सहित कई गांवों व ढाणियों में गायो की मौत हो रही है। चिकित्सको के अनुसार अधिक दूध देने वाली व प्रतिवर्ष ब्याहने वाली गायें इस बीमारी का शिकार अधिक हो रही है।
इस रोग मे गायो के पैरों में जकड़न आती है व दो-तीन दिन बाद चलना-फिरना बंद हो जाता है। गायो के मुंह में पानी आना शुरू हो जाता है, जिससे गायें मर जाती है। क्षेत्र में लंबे समय से फैली इस बीमारी को देखकर पशुपालक काफी परेशान है। घरेलू उपयोगी दूध व दही के लिए रखी गायों की अकाल मौत देखकर पशुपालक परेशान है।
संस्थाओं ने किया भ्रमण
क्षेत्र में फैली करा रोग नामक बीमारी की जानकारी प्राप्त करने के लिए दो दिन पूर्व हैल्थ इन सफरिंग जयपुर व आश्रय जयपुर संस्थाओं के अधिकारियों ने हाबूर, सोनू, सेरावा आदि गांवों का भ्रमण कर मृत गायों के नमूने लिए। हैल्थ इन सफरिंग जयपुर के डॉ. प्रदीप सिंघल व पशुपालक विभाग के चिकित्सक डॉ. वासुदेव गर्ग ने इन गांवों का दौरा कर मृत पशुओं के कंकाल को गहरे गड्डो में दबाने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि यह रोग दुधारू पशुओं में अधिक फैलता है।
इन्होंने कहा
इस बीमारी से बचाव ही उपचार है। मृत पशुओं को गहरे गड्डो में गाड़ दिया जाए ताकि बीमारी से मृत पशुओं के कंकाल स्वस्थ्य पशु नहीं खा सके।
-डॉ. अनिल कुमार
पशु चिकित्साधिकारी, पशु पालन विभाग, रामगढ़
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