बाड़मेर ...48 लाख के 11 कार्य तो बिना तकनीकी स्वीकृत के मंजूर
बाड़मेर मनरेगा योजना में भारी गड़बडिय़ां सामने आई हैं। इसका खुलासा कैग (सीएजी) रिपोर्ट में हुआ है। विकास कार्यो के नाम पर पंचायतों ने कायदों को ताक पर रख आनन-फानन में करोड़ों रुपए का बजट खर्च कर दिया। इतना ही नहीं मनरेगा के बजट से कई पंचायत समितियों में एसी, सोफा सेट व लग्जरी आइटम भी खरीद लिए गए, जो नियम विरुद्ध हैं। कैग (सीएजी) की ओर से प्रदेश के आठ जिलों की 16 पंचायत समितियों की कुल 64 ग्राम पंचायतों की ऑडिट की गई। बाड़मेर जिले की सभी 383 में से महज सात ग्राम पंचायतों की हुई ऑडिट में भारी अनियमितताओं का खुलासा हुआ है।
इंडियन ऑडिट एंड एक्ट्रस डिपार्टमेंट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव सीएस राजन से मनरेगा की ऑडिट में सामने आई अनियमितताओं के तथ्यों की पुष्टि चाही है। कैग (सीएजी) की ओर से प्रदेश के 8 जिलों की 16 पंचायत समितियों की कुल 64 ग्राम पंचायतों की ऑडिट की गई। इस दौरान अक्टूबर 2007 व 2010-11 में ग्राम पंचायतों की ओर से करोड़ों रुपए की अग्रिम राशि ली गई। बाद में समायोजन करने की बजाय बजट निजी कार्यो पर खर्च कर दिया। जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत बूठ जेतमाल में पांच लाख रुपए का एडवांस बजट समायोजन नहीं करने की पुष्टि की गई।
अफसरों ने मनरेगा योजना के बजट से एसी, सोफासेट व लग्जरी सामान तक खरीद लिया। इसमें बालोतरा व सिणधरी पंचायत समिति शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार बाड़मेर, बीकानेर व करौली में 13.27 करोड़ रुपए की लागत से स्वीकृत 134 कार्य वार्षिक कार्ययोजना में शामिल नहीं होने के बावजूद स्वीकृत किए गए। बाड़मेर में 48 लाख के 11 कार्य तो बिना तकनीकी स्वीकृत के मंजूर कर दिए गए।
श्रमिकों से नहीं मशीनों से करवाए कार्य
पंचायत समिति सिणधरी समेत पांच पंचायत समितियों की ग्राम पंचायतों में करीब 15 लाख रुपए के स्वीकृत कार्य श्रमिकों की बजाय मशीनों से करवाए गए। संबंधित ग्राम पंचायतों ने ग्रेवल सड़क व अन्य कार्य जेसीबी मशीनों से करवाकर लाखों रुपए का भुगतान उठा लिया, जबकि नियमानुसार मनरेगा के तहत स्वीकृत कार्य श्रमिकों से करवाए जाने प्रस्तावित है। पंस बालोतरा में 71 फर्जी जॉबकार्ड का मामला ऑडिट में सामने आया।
बिना अप्रूव्ड प्लान पर करोड़ों खर्च
हरित राजस्थान कार्यक्रम के तहत जुलाई 09 में प्लांटेशन पर 356 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। जो गैरकानूनी था। यह प्लान अप्रूव्ड ही नहीं था। इतना ही नहीं बाड़मेर जिले में मनरेगा के तहत किए पौधरोपण का रिकॉर्ड तक ऑडिट टीम को नहीं मिला। ऐसे में कागजों में पौधरोपण कर लाखों रुपए की अनियमितता का इससे पहले खुलासा नहीं हो पाया। बाड़मेर के अलावा बीकानेर में भी हरित राजस्थान कार्यक्रम के तहत रोपे गए पौधों की जानकारी नहीं मिली।
बैंक से उठा लिए लाखों, केश बुक में इन्द्राज तक नहीं
रिपोर्ट के अनुसार मनरेगा योजना के तहत ग्राम पंचायतों को जारी बजट में जमकर बंदरबांट हुई है। कई पंचायतों ने बैंक खातों से पैसे उठा लिए, लेकिन केश बुक में इन्द्राज नहीं किया। इस पर ऑडिट में आपत्ति जताई गई।
इनका कहना है
रिपोर्ट का परीक्षण चल रहा है। ऑडिट में मिली अनियमितताओं को गंभीरता से लेते हुए सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सीएस राजन, अतिरिक्त मुख्य सचिव पंचायतीराज और ग्रामीण विकास विभाग
बाड़मेर मनरेगा योजना में भारी गड़बडिय़ां सामने आई हैं। इसका खुलासा कैग (सीएजी) रिपोर्ट में हुआ है। विकास कार्यो के नाम पर पंचायतों ने कायदों को ताक पर रख आनन-फानन में करोड़ों रुपए का बजट खर्च कर दिया। इतना ही नहीं मनरेगा के बजट से कई पंचायत समितियों में एसी, सोफा सेट व लग्जरी आइटम भी खरीद लिए गए, जो नियम विरुद्ध हैं। कैग (सीएजी) की ओर से प्रदेश के आठ जिलों की 16 पंचायत समितियों की कुल 64 ग्राम पंचायतों की ऑडिट की गई। बाड़मेर जिले की सभी 383 में से महज सात ग्राम पंचायतों की हुई ऑडिट में भारी अनियमितताओं का खुलासा हुआ है।
इंडियन ऑडिट एंड एक्ट्रस डिपार्टमेंट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव सीएस राजन से मनरेगा की ऑडिट में सामने आई अनियमितताओं के तथ्यों की पुष्टि चाही है। कैग (सीएजी) की ओर से प्रदेश के 8 जिलों की 16 पंचायत समितियों की कुल 64 ग्राम पंचायतों की ऑडिट की गई। इस दौरान अक्टूबर 2007 व 2010-11 में ग्राम पंचायतों की ओर से करोड़ों रुपए की अग्रिम राशि ली गई। बाद में समायोजन करने की बजाय बजट निजी कार्यो पर खर्च कर दिया। जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत बूठ जेतमाल में पांच लाख रुपए का एडवांस बजट समायोजन नहीं करने की पुष्टि की गई।
अफसरों ने मनरेगा योजना के बजट से एसी, सोफासेट व लग्जरी सामान तक खरीद लिया। इसमें बालोतरा व सिणधरी पंचायत समिति शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार बाड़मेर, बीकानेर व करौली में 13.27 करोड़ रुपए की लागत से स्वीकृत 134 कार्य वार्षिक कार्ययोजना में शामिल नहीं होने के बावजूद स्वीकृत किए गए। बाड़मेर में 48 लाख के 11 कार्य तो बिना तकनीकी स्वीकृत के मंजूर कर दिए गए।
श्रमिकों से नहीं मशीनों से करवाए कार्य
पंचायत समिति सिणधरी समेत पांच पंचायत समितियों की ग्राम पंचायतों में करीब 15 लाख रुपए के स्वीकृत कार्य श्रमिकों की बजाय मशीनों से करवाए गए। संबंधित ग्राम पंचायतों ने ग्रेवल सड़क व अन्य कार्य जेसीबी मशीनों से करवाकर लाखों रुपए का भुगतान उठा लिया, जबकि नियमानुसार मनरेगा के तहत स्वीकृत कार्य श्रमिकों से करवाए जाने प्रस्तावित है। पंस बालोतरा में 71 फर्जी जॉबकार्ड का मामला ऑडिट में सामने आया।
बिना अप्रूव्ड प्लान पर करोड़ों खर्च
हरित राजस्थान कार्यक्रम के तहत जुलाई 09 में प्लांटेशन पर 356 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। जो गैरकानूनी था। यह प्लान अप्रूव्ड ही नहीं था। इतना ही नहीं बाड़मेर जिले में मनरेगा के तहत किए पौधरोपण का रिकॉर्ड तक ऑडिट टीम को नहीं मिला। ऐसे में कागजों में पौधरोपण कर लाखों रुपए की अनियमितता का इससे पहले खुलासा नहीं हो पाया। बाड़मेर के अलावा बीकानेर में भी हरित राजस्थान कार्यक्रम के तहत रोपे गए पौधों की जानकारी नहीं मिली।
बैंक से उठा लिए लाखों, केश बुक में इन्द्राज तक नहीं
रिपोर्ट के अनुसार मनरेगा योजना के तहत ग्राम पंचायतों को जारी बजट में जमकर बंदरबांट हुई है। कई पंचायतों ने बैंक खातों से पैसे उठा लिए, लेकिन केश बुक में इन्द्राज नहीं किया। इस पर ऑडिट में आपत्ति जताई गई।
इनका कहना है
रिपोर्ट का परीक्षण चल रहा है। ऑडिट में मिली अनियमितताओं को गंभीरता से लेते हुए सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सीएस राजन, अतिरिक्त मुख्य सचिव पंचायतीराज और ग्रामीण विकास विभाग
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