शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

संसद में फिर गुंजा राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वीं अनूसूची में मान्यता का मुद्दा,


संसद में फिर गुंजा राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वीं अनूसूची में मान्यता का मुद्दा, 
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बीकानेर सांसद अर्जुन मेघवाल ने गैर सरकारी विधेयक पर बोलते हुये उठाया सदन में 



नई दिल्ली। 27 अप्रैल 2012। बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने आज लोक सभा में सतपाल महाराज द्वारा प्रस्तुत गैर सरकारी विधेयक पर चर्चा के दौरान राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची मे सम्मिलित करने का मुद्दा उठाया। सांसद मेघवाल ने राजस्थानी भाषा को मान्यता देने के विषय पर बोलते हुये कहा कि महात्मा गांधी जब 09 जनवरी 1915 को अफ्रीका से भारत लौटे थे , तो उसे प्रवासी दिवस के रूप मे मनाया गया था, तब महात्मा गांधी जी ने कहा था कि मेरा यह विश्वास है कि राष्ट्र के जो बालक अपनी मातृभाषा के अलावा दूसरी भाषा में शिक्षा प्राप्त करते है वे आत्महत्या ही करते है तथा यह उन्हे अपने जन्म शिक्षा अधिकार से वंचित करती है। अनिवार्य शिक्षा कानून में भी मातृभाषा मे शिक्षा देने की बात कही गई है। सरकार द्वारा शिक्षा का अधिकार कानून बनाया गया है जिसमें पैरा 29(2)(एफ) में यह प्रावधान है कि छात्र/छात्राओ को प्राईमरी शिक्षा उनकी मातृभाषा में दी जावें। हमारे राजस्थान में मातृभाषा राजस्थानी है जिसे संविधान की आठवीं अनूसूची में सम्मिलित नहीं कर रखा है, तो भारत सरकार द्वारा जो कानून शिक्षा का अधिकार बनाया गया है उसकी पालना कैसे होगी? अटल जी ने मैंथली भाषा को तुरन्त मान्यता दे दी थी। वर्ष 2003 में श्री सीताकांत महापात्रा की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गयी थी जिसके द्वारा भाषाओं को संविधान की आठवी अनुसूचि में शामिल करने के सभी प्रस्तावों को एक्जामीन करवाया तथा निस्तारण करते हुये रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमे राजस्थानी व भोजपुरी को मान्यता की सिफारिश की। 25 अगस्त 2003 को राजस्थान की विधानसभा से सर्वसम्मत प्रस्ताव पास करके केन्द्र सरकार को भेजा था जिस पर 17 दिसम्बर 2006 को लोक सभा मे तत्कालीन गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने बजट सत्र 2007 मे ही राजस्थानी भाषा की मान्यता का विधेयक संसद मे पेंश करने आश्वासन दिया था, राजस्थान में तथा देश विदेश में जहां राजस्थानी बसे हुये है, कई संस्थाओं, पत्रपत्रिकाओं तथा राजस्थान के आम नागरिकों द्वारा राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए एक आंदोलन हो रहा है। सांसद मेघवाल निम्न दोहो के माध्यम से राजस्थानी का महत्व समझाया। 
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   10 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली राजस्थानी भाषा को अमेरिका द्वारा व्हाईट हाउस के प्रेसिडेंसियल अपॉइटमेंटस की प्रकि्रया में राजस्थानी भाषा को अन्तरराष्ट्रीय भाषाओं की सूची में शामिल किया गया है, फिर भी संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित नहीं किया जा रहा है। राजस्थान प्रेम की भाषा है, राजस्थानी भाषा को मान्यता के गृह राज्य मंत्री से बीकानेर सांसद ने अनुरोध किया कि आप राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वी अनुसूची में मान्यता दिलावे आप भी राजस्थान से है। राजस्थानीयों एवं राजस्थानी भाषा को उचित सम्मान मिल सकें जिसके हम हकदार है। 

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