रविवार, 4 मार्च 2012

पाकिस्तान विकसित कर रहा है हिंदू तीर्थ

पाकिस्तान विकसित कर रहा है हिंदू तीर्थ

वास्तुकला-नक्काशी का बेहतरीन नमूना
१६ किलोमीटर लंबी साल्ट वैली के शुरुआत में ही पहाड़ के बीचोंबीच कटासराज के मंदिर हैं। यहां अभी भी सात मंदिर सही-सलामत हैं। कटासराज के मंदिरों में वास्तुकला व नक्काशी का अदभुत नमूना मिलता है।







 कटासराज (पाकिस्तान)

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मौजूद तीन हजार साल पुराने कटासराज मंदिरों में 65 साल बाद भगवान विराजेंगे। 1947 में हुए बंटवारे के दौरान पलायन करते हिंदुओं ने मंदिर को खतरे में जानकर यहां की मूर्तियों को कुओं में फेंक दिया था। पाकिस्तान सरकार अब उन्हीं मूर्तियों को दोबारा मंदिर में स्थापित कराने जा रही है। ये कोशिश है कटासराज को हिंदू तीर्थ के रूप में विकसित करने की। बताया तो यह भी जा रहा है कि इससे दुनिया में देश की कट्टर छवि भी बदलेगी।

मंदिरों को उनका पुराना स्वरूप दिलाने के लिए ११ करोड़ रुपए खर्च करने की योजना है। यहां हरिद्वार की तर्ज पर घाट बनवाने और मंदिरों के रखरखाव का मॉडल तैयार किया गया। इस पर काम भी शुरू हो चुका है। ऑर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ पाकिस्तान के चीफ कंजरवेटर नसीब शहजाद के मुताबिक आजादी के बाद जब इस क्षेत्र की खुदाई कराई गई तो कुएं से मूर्तियां मिलीं। ये मूर्तियां फिलहाल लाहौर के म्यूजियम में रखी हंै। मंदिरों का काम पूरा होते ही म्यूजियम में रखी मूर्तियों की यहां पुन: स्थापना कर दी जाएगी। यहां एक विश्राम गृह भी बनाया जाएगा।

कटासराज की यात्रा पर आए सनातन धर्मसभा, उत्तर भारत के अध्यक्ष शिव प्रताप बजाज बताते हैं कि पाकिस्तान सरकार के इस कदम से हिंदू सभ्यता और संस्कृति को एक बार फिर से संरक्षित किया जा सकेगा।

ऑर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ पाकिस्तान के अधिकारी यूं तो कहते हैं कि वे यहां के हेरिटेज को बचाना चाहते हैं। लेकिन दबी जुबान से वे स्वीकार करते हैं कि कटासराज की दशा सुधरने से यहां रहने वाले हिंदुओं में पाक सरकार के प्रति नया विश्वास व भरोसा कायम होगा। पाकिस्तान एवेक्यू बोर्ड के डिप्टी चीफ अजहर नजीर सल्लेहरी कहते भी हैं, 'भारत से ननकाना साहिब के लिए सिख तो खूब आते हैं। कटासराज की दशा सुधरने से हिंदू तीर्थ यात्रियों की संख्या भी बढ़ेगी।'

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