रियां सेठों की, पीपाड़, खारिया, अरटिया कलां, संखवास, हुरड़ी, सिलारी व बुचकला आदि गांवों से करीब 22 अप्रकाशित शिलालेख खोजे गए हैं। ये शिलालेख 11वीं से 18वीं शताब्दी के हैं। ये शिलालेख मोहणोत परिवार, चौहान, मेड़तिया राठौड़, चंपावत राठौड़, श्रीमाली ब्राह्मण व भाटी वंश से संबंधित हैं।
इंटेक द्वारा स्वीकृत प्रोजेक्ट के तहत विशेषज्ञ डॉ. विक्रमसिंह भाटी ने इन गांवों से शिलालेख खोजे हैं। रियां सेठों की स्थित मोहणोत परिवार की 20 स्तंभों की कलात्मक छतरी का भी पता लगाया गया।
इसके बाहरी स्तंभों में लगे अभिलेख से पता चलता है कि गोरधनदास ने विक्रम संवत 1841 की फाल्गुन सुदी 1 को छतरी की नींव रखी। रघुनाथदास हरजीमल ने इसका निर्माण कराया। मोहणोत सेठ जीवणदास ने विक्रम संवत 1844 की माघ सुदी 15 को छतरी पर कलश चढ़ाया था।
इंटेक द्वारा स्वीकृत प्रोजेक्ट के तहत विशेषज्ञ डॉ. विक्रमसिंह भाटी ने इन गांवों से शिलालेख खोजे हैं। रियां सेठों की स्थित मोहणोत परिवार की 20 स्तंभों की कलात्मक छतरी का भी पता लगाया गया।
इसके बाहरी स्तंभों में लगे अभिलेख से पता चलता है कि गोरधनदास ने विक्रम संवत 1841 की फाल्गुन सुदी 1 को छतरी की नींव रखी। रघुनाथदास हरजीमल ने इसका निर्माण कराया। मोहणोत सेठ जीवणदास ने विक्रम संवत 1844 की माघ सुदी 15 को छतरी पर कलश चढ़ाया था।
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