हिन्दू धर्म मान्यताओं में पंचदेव पूजा का महत्व है। पंचदेव यानी एक ही ईश्वर के पांच स्वरूप, जो भगवान गणेश, शिव, सूर्य, दुर्गा और विष्णु के रूप में पूजनीय है, जो अलग-अलग शक्तियों से जगत रचना, पालन और संहार का नियंत्रण करते हैं।
शिव पुराण में भी सूर्य को शिव का स्वरूप ही बताया गया है, जो एक ही ईश्वरीय सत्ता का प्रमाण है। सूर्य और शिव की उपासना जीवन में सुख, स्वास्थ्य, काल भय से मुक्ति और शांति देने वाली मानी गई है।
सफल व समृद्ध जीवन के लिए ही सूर्य की उपासना रविवार को बहुत शुभ मानी जाती है। वहीं शिव भक्ति के लिये महाशिवरात्रि का काल। कल सूर्य-शिव पूजा का ऐसा ही एक दुर्लभ योग बना है। जिसमें वर्तमान में जारी शिव नवरात्रि में आए रविवार के साथ प्रदोष तिथि का संयोग हुआ है।
जिसमें एक ही ईश्वरीय शक्ति में आस्था के साथ शिव पुराण में बताए गए शिव स्वरूप सूर्य उपासना के कुछ मंत्रों को सूर्य की ओर मुख कर बोलना निरोगी, यशस्वी व सफल जीवन बनाने वाला माना गया है। जानिए यह शिव-सूर्य के एक साथ आराधना के अद्भुत मंत्र -
- सूर्योदय के पहले जागकर स्नान के बाद जल भरे तांबे के पात्र में लाल फूल डालकर सूर्य की ओर मुख करके अर्घ्य दें और इस शिव का स्मरण कर ये मंत्र बोलें -
दिवाकरो महेशस्य मूर्तिर्दीप्तसुमण्डल:।
निर्गुणो गुणसंकीर्णस्तथैव गुणकेवल:।
अविकारात्मकश्चाद्य एक: सामान्यविक्रय:।
असाधारणकर्मा च सृष्टिस्थितिलयक्रमात्।
एवं त्रिधा चतुद्र्धा च विभक्त: पञ्चधा पुन:।
चतुर्थावरणे शम्भो: पूजितश्चानुगै: सह।
शिवप्रिय: शिवसक्त: शिवपादार्चने रत:।
सत्कृत्य शिवयोराज्ञां स में दिशतु मङ्गलम्।
- बाद में घर के देवालय में ही सूर्य और शिव की पंचोपचार पूजा यानी गंध, अक्षत, धूप, दीप व नैवेद्य की विधि अपनाकर करें।
- अंत में शिव व सूर्य की आरती कर कष्ट, रोगों से छुटकारे की विनती करें।
शिव पुराण में भी सूर्य को शिव का स्वरूप ही बताया गया है, जो एक ही ईश्वरीय सत्ता का प्रमाण है। सूर्य और शिव की उपासना जीवन में सुख, स्वास्थ्य, काल भय से मुक्ति और शांति देने वाली मानी गई है।
सफल व समृद्ध जीवन के लिए ही सूर्य की उपासना रविवार को बहुत शुभ मानी जाती है। वहीं शिव भक्ति के लिये महाशिवरात्रि का काल। कल सूर्य-शिव पूजा का ऐसा ही एक दुर्लभ योग बना है। जिसमें वर्तमान में जारी शिव नवरात्रि में आए रविवार के साथ प्रदोष तिथि का संयोग हुआ है।
जिसमें एक ही ईश्वरीय शक्ति में आस्था के साथ शिव पुराण में बताए गए शिव स्वरूप सूर्य उपासना के कुछ मंत्रों को सूर्य की ओर मुख कर बोलना निरोगी, यशस्वी व सफल जीवन बनाने वाला माना गया है। जानिए यह शिव-सूर्य के एक साथ आराधना के अद्भुत मंत्र -
- सूर्योदय के पहले जागकर स्नान के बाद जल भरे तांबे के पात्र में लाल फूल डालकर सूर्य की ओर मुख करके अर्घ्य दें और इस शिव का स्मरण कर ये मंत्र बोलें -
दिवाकरो महेशस्य मूर्तिर्दीप्तसुमण्डल:।
निर्गुणो गुणसंकीर्णस्तथैव गुणकेवल:।
अविकारात्मकश्चाद्य एक: सामान्यविक्रय:।
असाधारणकर्मा च सृष्टिस्थितिलयक्रमात्।
एवं त्रिधा चतुद्र्धा च विभक्त: पञ्चधा पुन:।
चतुर्थावरणे शम्भो: पूजितश्चानुगै: सह।
शिवप्रिय: शिवसक्त: शिवपादार्चने रत:।
सत्कृत्य शिवयोराज्ञां स में दिशतु मङ्गलम्।
- बाद में घर के देवालय में ही सूर्य और शिव की पंचोपचार पूजा यानी गंध, अक्षत, धूप, दीप व नैवेद्य की विधि अपनाकर करें।
- अंत में शिव व सूर्य की आरती कर कष्ट, रोगों से छुटकारे की विनती करें।
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