गुड़गांव.भोंडसी के पास मारुति कुंज में एक एनजीओ संचालिका के एचआईवी पॉजिटिव पुत्र पर इसी बीमारी से जूझ रही दो नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म का आरोप है। इस सनसनीखेज वारदात से सभी सन्न हैं।
केंद्रीय बाल अधिकारी संरक्षण आयोग और गुड़गांव पुलिस ने छापेमारी कर मामले का खुलासा किया है। छापा मंगलवार देर शाम मारा गया। एनजीओ के कब्जे से 14 एचआईवी पॉजिटिव बच्चों को मुक्त भी कराया गया है। इनमें से आठ लड़कियों को नाज फाउंडेशन को सौंप दिया गया है, जबकि छह लड़के गुड़गांव पुलिस को सुपुर्द किए गए हैं।
आरोपी युवक के साथ ही एनजीओ संचालिका उसकी मां और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। इनकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार द्रोण फाउंडेशन एचआईवी पीड़ित बच्चों की देखभाल करती है। संचालिका सुनीता गुप्ता का पुत्र अंकुर भी एचआईवी पॉजिटिव है। यहां रह रही 12 और 13 साल की दो लड़कियों ने अंकुर गुप्ता पर कई महीनों तक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया है।
बताने पर जान से मारने की धमकी भी देता था। डर के कारण लड़कियां चुप थीं। एक महिला की शिकायत पर आयोग की सदस्य रत्ना सक्सेना, एससी शर्मा ने छापा मारकर लड़कियों से पूछताछ की तो हकीकत सामने आ गई। इस दौरान एनजीओ शक्ति वाहिनी चाइल्ड लाइन के संचालक निशिकांत, सोशल एक्टीविस्ट भारती शर्मा भी मौजूद थीं। पुलिस ने मौके से पीड़ित लड़कियों के कपड़े अपने कब्जे में ले लिए हैं।
और भी हो सकती हैं शिकार
द्रोण फाउंडेशन के बोर्ड सदस्य एचआईवी पॉजिटिव अंकुर गुप्ता द्वारा दो नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म किए जाने के मामले में अब केंद्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने भी जांच शुरू कर दी है। आयोग की टीम का कहना है कि दो लड़कियों के साथ दुष्कर्म की पुष्टि तो हुई लेकिन अन्य लड़कियों के साथ भी इसकी आशंका है।
इसलिए मामले की पड़ताल गहनता से की जा रही है। टीम का कहना है कि आरोपी ने लड़कियों को काफी डराया है, जिससे वह सहमी हैं। छह लड़कियों का मेडिकल कराने के संबंध में टीम सदस्य रत्ना सक्सेना ने कहा कि अभी इस मामले में ज्यादा कुछ कहना जल्दबाजी होगी। जांच जारी है और उम्मीद है कि जांच रिपोर्ट गुरुवार शाम या शुक्रवार सुबह तक तैयार कर ली जाएगी।
ऐसे हुआ खुलासा
द्रोण फाउंडेशन बोर्ड के ही एक सदस्य ने एक व्यक्ति को इसकी जानकारी दी। उसने केंद्रीय बाल कल्याण समिति की पूर्व चेयरपर्सन भारती शर्मा इसकी सूचना दी।भारती शर्मा ने सोमवार को आयोग को विस्तार से जानकारी दी।आयोग ने चार सदस्यीय टीम का गठनआयोग सदस्यों ने मंगलवार देर शाम गुड़गांव के उपायुक्त पीसी मीणा को इसकी सूचना दी। मीणा ने तुरंत डीसीपी पुलिस साउथ हामिद अख्तर को मौके पर एक पुलिस टीम भेजने के लिए कहा।
पहले भी चर्चा में आई थी एनजीओ
दिसंबर 2010 में भी एचआईवी पॉजिटिव बच्चों को एक प्राइवेट स्कूल डीपीएस मारुति कुंज से निकाले जाने और राजकीय माध्यमिक विद्यालय भोंडसी में बच्चों के साथ र्दुव्यवहार के मामले में द्रोण फाउंडेशन चर्चा में आया था।उस समय एनजीओ की हेड सुनीता गुप्ता ने आरोप लगाया था कि स्कूल ने बच्चों के साथ भेदभाव किया। एचआईवी पॉजिटिव होने के कारण उन्हें अन्य छात्रों से दूर बैठाया जाता था।
बाद में स्कूल ने उन्हें निकाल दिया। उसके बाद बच्चों का एडमिशन राजकीय माध्यमिक विद्यालय भोंडसी में कराया गया। वहां भी उनके साथ र्दुव्यवहार हुआ। बच्चों से स्कूल में खुदाई, झाड़ू-पोछा और शौचालय साफ करने का कार्य कराया जाता था। इस मामले में सुनीता गुप्ता ने जिला शिक्षा अधिकारी से शिकायत की तो हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग की एक उच्चस्तरीय अधिकारियों की टीम और बाल अधिकार संरक्षण विभाग की एक टीम ने दोनों स्कूल संचालकों, एनजीओ संचालक और बच्चों से पूछताछ की थी।
संचालिका को थी जानकारी :संस्था में रह रही बच्चियों के साथ इस कृत्य की जानकारी संचालिका सुनीता को भी थी।लेकिन हर बार वह बच्चियों को समझाकर शांत कर देती थीं। यह बयान बच्चियों ने पुलिस को दिए। बच्चियों के मुताबिक उन्हें समझाया जाता था कि वह एड्स पीड़ित हैं और उनकी देखभाल करने वाला और कोई नहीं है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि अंकुर की पहली पत्नी को पता लगा कि वह एचआइर्वी पीड़ित है तो छोड़कर चली गई। फिर उसने दूसरी शादी की।
दो लड़कियों के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई है। यह काफी समय से हो रहा था। पांच अन्य लड़कियों के साथ भी ऐसी वारदात होने से इंकार नहीं किया सकता है। बाकी लड़कियों की काउंसलिंग अभी चल रही है। ’’
- हामिद अख्तर, डीसीपी साउथ, गुड़गांव
मेरे लड़के ने यदि ऐसा घिनौना कृत्य किया है तो उसे सजा मिलनी चाहिए। लेकिन, पुलिस को चाहिए कि वह लड़कियों से शांत माहौल में सही तरह से पूछताछ करे। हो सकता है कि लड़कियां डर के मारे ऐसा आरोप लगा रही हों।’’ -सुनीता गुप्ता, हेड, द्रोण फाउंडेशन
केंद्रीय बाल अधिकारी संरक्षण आयोग और गुड़गांव पुलिस ने छापेमारी कर मामले का खुलासा किया है। छापा मंगलवार देर शाम मारा गया। एनजीओ के कब्जे से 14 एचआईवी पॉजिटिव बच्चों को मुक्त भी कराया गया है। इनमें से आठ लड़कियों को नाज फाउंडेशन को सौंप दिया गया है, जबकि छह लड़के गुड़गांव पुलिस को सुपुर्द किए गए हैं।
आरोपी युवक के साथ ही एनजीओ संचालिका उसकी मां और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। इनकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार द्रोण फाउंडेशन एचआईवी पीड़ित बच्चों की देखभाल करती है। संचालिका सुनीता गुप्ता का पुत्र अंकुर भी एचआईवी पॉजिटिव है। यहां रह रही 12 और 13 साल की दो लड़कियों ने अंकुर गुप्ता पर कई महीनों तक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया है।
बताने पर जान से मारने की धमकी भी देता था। डर के कारण लड़कियां चुप थीं। एक महिला की शिकायत पर आयोग की सदस्य रत्ना सक्सेना, एससी शर्मा ने छापा मारकर लड़कियों से पूछताछ की तो हकीकत सामने आ गई। इस दौरान एनजीओ शक्ति वाहिनी चाइल्ड लाइन के संचालक निशिकांत, सोशल एक्टीविस्ट भारती शर्मा भी मौजूद थीं। पुलिस ने मौके से पीड़ित लड़कियों के कपड़े अपने कब्जे में ले लिए हैं।
और भी हो सकती हैं शिकार
द्रोण फाउंडेशन के बोर्ड सदस्य एचआईवी पॉजिटिव अंकुर गुप्ता द्वारा दो नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म किए जाने के मामले में अब केंद्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने भी जांच शुरू कर दी है। आयोग की टीम का कहना है कि दो लड़कियों के साथ दुष्कर्म की पुष्टि तो हुई लेकिन अन्य लड़कियों के साथ भी इसकी आशंका है।
इसलिए मामले की पड़ताल गहनता से की जा रही है। टीम का कहना है कि आरोपी ने लड़कियों को काफी डराया है, जिससे वह सहमी हैं। छह लड़कियों का मेडिकल कराने के संबंध में टीम सदस्य रत्ना सक्सेना ने कहा कि अभी इस मामले में ज्यादा कुछ कहना जल्दबाजी होगी। जांच जारी है और उम्मीद है कि जांच रिपोर्ट गुरुवार शाम या शुक्रवार सुबह तक तैयार कर ली जाएगी।
ऐसे हुआ खुलासा
द्रोण फाउंडेशन बोर्ड के ही एक सदस्य ने एक व्यक्ति को इसकी जानकारी दी। उसने केंद्रीय बाल कल्याण समिति की पूर्व चेयरपर्सन भारती शर्मा इसकी सूचना दी।भारती शर्मा ने सोमवार को आयोग को विस्तार से जानकारी दी।आयोग ने चार सदस्यीय टीम का गठनआयोग सदस्यों ने मंगलवार देर शाम गुड़गांव के उपायुक्त पीसी मीणा को इसकी सूचना दी। मीणा ने तुरंत डीसीपी पुलिस साउथ हामिद अख्तर को मौके पर एक पुलिस टीम भेजने के लिए कहा।
पहले भी चर्चा में आई थी एनजीओ
दिसंबर 2010 में भी एचआईवी पॉजिटिव बच्चों को एक प्राइवेट स्कूल डीपीएस मारुति कुंज से निकाले जाने और राजकीय माध्यमिक विद्यालय भोंडसी में बच्चों के साथ र्दुव्यवहार के मामले में द्रोण फाउंडेशन चर्चा में आया था।उस समय एनजीओ की हेड सुनीता गुप्ता ने आरोप लगाया था कि स्कूल ने बच्चों के साथ भेदभाव किया। एचआईवी पॉजिटिव होने के कारण उन्हें अन्य छात्रों से दूर बैठाया जाता था।
बाद में स्कूल ने उन्हें निकाल दिया। उसके बाद बच्चों का एडमिशन राजकीय माध्यमिक विद्यालय भोंडसी में कराया गया। वहां भी उनके साथ र्दुव्यवहार हुआ। बच्चों से स्कूल में खुदाई, झाड़ू-पोछा और शौचालय साफ करने का कार्य कराया जाता था। इस मामले में सुनीता गुप्ता ने जिला शिक्षा अधिकारी से शिकायत की तो हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग की एक उच्चस्तरीय अधिकारियों की टीम और बाल अधिकार संरक्षण विभाग की एक टीम ने दोनों स्कूल संचालकों, एनजीओ संचालक और बच्चों से पूछताछ की थी।
संचालिका को थी जानकारी :संस्था में रह रही बच्चियों के साथ इस कृत्य की जानकारी संचालिका सुनीता को भी थी।लेकिन हर बार वह बच्चियों को समझाकर शांत कर देती थीं। यह बयान बच्चियों ने पुलिस को दिए। बच्चियों के मुताबिक उन्हें समझाया जाता था कि वह एड्स पीड़ित हैं और उनकी देखभाल करने वाला और कोई नहीं है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि अंकुर की पहली पत्नी को पता लगा कि वह एचआइर्वी पीड़ित है तो छोड़कर चली गई। फिर उसने दूसरी शादी की।
दो लड़कियों के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई है। यह काफी समय से हो रहा था। पांच अन्य लड़कियों के साथ भी ऐसी वारदात होने से इंकार नहीं किया सकता है। बाकी लड़कियों की काउंसलिंग अभी चल रही है। ’’
- हामिद अख्तर, डीसीपी साउथ, गुड़गांव
मेरे लड़के ने यदि ऐसा घिनौना कृत्य किया है तो उसे सजा मिलनी चाहिए। लेकिन, पुलिस को चाहिए कि वह लड़कियों से शांत माहौल में सही तरह से पूछताछ करे। हो सकता है कि लड़कियां डर के मारे ऐसा आरोप लगा रही हों।’’ -सुनीता गुप्ता, हेड, द्रोण फाउंडेशन
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