सूरत। जूनागढ़, चांदनी बलात्कार और हत्या केस के आरोपी मोहन हमीर को पुत्र प्रेम फांसी के फंदे तक ले गया। मोहन और एक अन्य आरोपी 13 मई 2007 को जूनागढ़ के गिर मंे स्थित दातार में 15 वर्षीय मासूम चांदनी की गला रेतकर हत्या और उसकी 18 वर्षीय सहेली का बलात्कार कर मुंबई फरार हो गए थे।
पुलिस दो वर्ष तक मोहन की खाक छानती रही लेकिन उसका कहीं कोई अता-पता नहीं चला। लगभग एक साल बाद पुलिस को जानकारी मिली की कच्छ में मोहन की पूर्व पत्नी अपने 7 वर्षीय बेटे के साथ रहती है। अत्यंत गुप्त तरीके से पुलिस ने उसकी बीवी पर नजर रखना शुरू कर दी और उसका मोबाइल नंबर प्राप्त कर लिया। पत्नी के कॉल डिटेल में हर महीने मुंबई से लैंड लाइन नंबर से एक फोन आया करता था। इस नंबर का पीछा करते-करते पुलिस मुंबई के बोरीवली तक पहुंच गई। यहां के हरेक पीसीओ के मालिकों को पुलिस ने मोहन की फोटो दे रखी थी।
गिरफ्तारी के पंद्रह दिन पहले ही एक एसटीडी से पुलिस के पास फोन आया कि जो फोटो आपने दी थी, उससे मिलता-जुलता एक आदमी यहां फोन करने आता है। जानकारी मिलते ही पुलिस यहां पहुंच गई और इसके बाद मोहन तक पहुंच गई।
आधी रात का समय था और मोहन प्लेटफार्म पर गहरी नींद में सो रहा था। पुलिस ने उसे उठाया तो यह मैली-कुचैली चड्डी-बनियान और लंबी दाढ़ी में था। पुलिस ने इसे गिरफ्तार कर लिया और गुजरात ले आई। प्राथमिक पूछताछ में ही मोहन ने बलात्कार और चांदनी की हत्या की बात कुबूल कर ली। उसने पुलिस को बताया कि पत्नी से तलाक के बाद वह उससे मिलने कभी भी कच्छ नहीं गया, हां लेकिन वह अपने बेटे से बहुत प्रेम करता है, इसलिए उससे बात करने के लिए हर महीने फोन लगाया करता था।
क्या था मामला :
जूनागढ़। मई 2007 के बहुचर्चित दातार ज्यादती-हत्या मामले में स्थानीय अदालत ने दोनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है। सुनवाई के दौरान 107 गवाहों की गवाही हुई तथा 260 सबूत अदालत के समक्ष रखे गए। बुधवार को न्यायाधीश जी.एम. पटेल की अदालत ने यह व्यवस्था दी। इस प्रकरण में मोहन हमीर गोहेल एवं महेश उर्फ भदो मूलजी चौहान को गिरफ्तार किया गया था।
मामला 13 मई 2007 का है। परिवार के साथ उपला दातार (पहाड़ियों पर स्थित जूनागढ़ का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल) दर्शन करके लौट रही राजकोट निवासी चांदनी एवं इसकी सहेली परिजनों से अलग-थलग चल रही थी। इसी बीच मोहन हमीर और महेश चौहाण नामक दो व्यक्तियों ने चाकू दिखाकर इनका अपहरण कर लिया और पहाड़ी पर ले गए।
जब दोनों आरोपी इनसे ज्यादती का प्रयास करने लगे तो चांदनी ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। चांदनी को भिड़ते देख आरोपी ने गला काटकर उसकी निर्मम हत्या कर दी और उसकी सहेली का बलात्कार किया। किसी तरह चांदनी की सहेली इनके चंगुल से निकलने में कामयाब रही। जिससे मामले का खुलासा हुआ।
इस घटना से सौराष्ट्र और फिर पूरा गुजरात हिल उठा। हजारों-लाखों लोगों ने रैलिया निकालीं और पुलिस व प्रशासन को जमकर कोसा। गृहमंत्री व मुख्यमंत्री के पुतले जलाए गए और मामला कई दिनों तक मीडिया की सुर्खियों में रहा। घटना के विरोध में राजकोट में 23 मई को चार बसों को आग के हवाले भी कर दिया गया, मामला इतना हिंसक हो चुका था कि इस दिन पुलिस को 7 राउंड गोलियां तक चलानी पड़ीं।
आरोपी दो साल बाद मुंबई से पकड़ाए :
घटना के बाद दोनों आरोपी यह शहर छोड़कर फरार हो चुके थे। पुलिस व क्राइम ब्रांच की टोलियां दिन-रात इनकी तलाश में लगी रहीं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके चलते पुलिस को अनेकों बार लोगों को कोप का भाजन बनना पड़ा। इसके अलावा पुलिस ने आरोपियों की जानकारी देने वाले को 51 हजार रुपए का इनाम भी घोषित कर दिया गया था। अंतत: 30 मई 2009 को दोनों आरोपियों को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया गया और तभी से ये जेल में थे।
अदालत ने हत्या के मामले में दोनों आरोपियों को मृत्यु दंड की सजा सुनाई है। वहीं ज्यादती के आरोप में उम्रकैद तथा 25-25 हजार रुपए के अर्थ दंड की और अन्य आरोपों में भी सजा का एलान किया गया है। अर्थदंड राशि में पीड़िता को 50 हजार मुआवजे के रूप में चुकाने का भी हुक्म दिया गया है।
पुलिस दो वर्ष तक मोहन की खाक छानती रही लेकिन उसका कहीं कोई अता-पता नहीं चला। लगभग एक साल बाद पुलिस को जानकारी मिली की कच्छ में मोहन की पूर्व पत्नी अपने 7 वर्षीय बेटे के साथ रहती है। अत्यंत गुप्त तरीके से पुलिस ने उसकी बीवी पर नजर रखना शुरू कर दी और उसका मोबाइल नंबर प्राप्त कर लिया। पत्नी के कॉल डिटेल में हर महीने मुंबई से लैंड लाइन नंबर से एक फोन आया करता था। इस नंबर का पीछा करते-करते पुलिस मुंबई के बोरीवली तक पहुंच गई। यहां के हरेक पीसीओ के मालिकों को पुलिस ने मोहन की फोटो दे रखी थी।
गिरफ्तारी के पंद्रह दिन पहले ही एक एसटीडी से पुलिस के पास फोन आया कि जो फोटो आपने दी थी, उससे मिलता-जुलता एक आदमी यहां फोन करने आता है। जानकारी मिलते ही पुलिस यहां पहुंच गई और इसके बाद मोहन तक पहुंच गई।
आधी रात का समय था और मोहन प्लेटफार्म पर गहरी नींद में सो रहा था। पुलिस ने उसे उठाया तो यह मैली-कुचैली चड्डी-बनियान और लंबी दाढ़ी में था। पुलिस ने इसे गिरफ्तार कर लिया और गुजरात ले आई। प्राथमिक पूछताछ में ही मोहन ने बलात्कार और चांदनी की हत्या की बात कुबूल कर ली। उसने पुलिस को बताया कि पत्नी से तलाक के बाद वह उससे मिलने कभी भी कच्छ नहीं गया, हां लेकिन वह अपने बेटे से बहुत प्रेम करता है, इसलिए उससे बात करने के लिए हर महीने फोन लगाया करता था।
क्या था मामला :
जूनागढ़। मई 2007 के बहुचर्चित दातार ज्यादती-हत्या मामले में स्थानीय अदालत ने दोनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है। सुनवाई के दौरान 107 गवाहों की गवाही हुई तथा 260 सबूत अदालत के समक्ष रखे गए। बुधवार को न्यायाधीश जी.एम. पटेल की अदालत ने यह व्यवस्था दी। इस प्रकरण में मोहन हमीर गोहेल एवं महेश उर्फ भदो मूलजी चौहान को गिरफ्तार किया गया था।
मामला 13 मई 2007 का है। परिवार के साथ उपला दातार (पहाड़ियों पर स्थित जूनागढ़ का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल) दर्शन करके लौट रही राजकोट निवासी चांदनी एवं इसकी सहेली परिजनों से अलग-थलग चल रही थी। इसी बीच मोहन हमीर और महेश चौहाण नामक दो व्यक्तियों ने चाकू दिखाकर इनका अपहरण कर लिया और पहाड़ी पर ले गए।
जब दोनों आरोपी इनसे ज्यादती का प्रयास करने लगे तो चांदनी ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। चांदनी को भिड़ते देख आरोपी ने गला काटकर उसकी निर्मम हत्या कर दी और उसकी सहेली का बलात्कार किया। किसी तरह चांदनी की सहेली इनके चंगुल से निकलने में कामयाब रही। जिससे मामले का खुलासा हुआ।
इस घटना से सौराष्ट्र और फिर पूरा गुजरात हिल उठा। हजारों-लाखों लोगों ने रैलिया निकालीं और पुलिस व प्रशासन को जमकर कोसा। गृहमंत्री व मुख्यमंत्री के पुतले जलाए गए और मामला कई दिनों तक मीडिया की सुर्खियों में रहा। घटना के विरोध में राजकोट में 23 मई को चार बसों को आग के हवाले भी कर दिया गया, मामला इतना हिंसक हो चुका था कि इस दिन पुलिस को 7 राउंड गोलियां तक चलानी पड़ीं।
आरोपी दो साल बाद मुंबई से पकड़ाए :
घटना के बाद दोनों आरोपी यह शहर छोड़कर फरार हो चुके थे। पुलिस व क्राइम ब्रांच की टोलियां दिन-रात इनकी तलाश में लगी रहीं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके चलते पुलिस को अनेकों बार लोगों को कोप का भाजन बनना पड़ा। इसके अलावा पुलिस ने आरोपियों की जानकारी देने वाले को 51 हजार रुपए का इनाम भी घोषित कर दिया गया था। अंतत: 30 मई 2009 को दोनों आरोपियों को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया गया और तभी से ये जेल में थे।
अदालत ने हत्या के मामले में दोनों आरोपियों को मृत्यु दंड की सजा सुनाई है। वहीं ज्यादती के आरोप में उम्रकैद तथा 25-25 हजार रुपए के अर्थ दंड की और अन्य आरोपों में भी सजा का एलान किया गया है। अर्थदंड राशि में पीड़िता को 50 हजार मुआवजे के रूप में चुकाने का भी हुक्म दिया गया है।
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