राजस्थान लगातार दूसरी बार रणजी चैम्पियन
राजस्थान लगातार दूसरी बार रणजी चैम्पियन
चेन्नई। एम.ए. चिदम्बरम स्टेडियम में तमिलनाडु और राजस्थान की टीमों के बीच खेला गया रणजी ट्रॉफी फाइनल मुकाबला सोमवार को हार-जीत के फैसले के बगैर खत्म हुआ लेकिन पहली पारी में मिली बढ़त के आधार राजस्थान ने विजेता बनने का गौरव हासिल किया। राजस्थान की टीम लगातार दूसरी बार चैम्पियन बनी है।
राजस्थान द्वारा जीत के लिए रखे गए 531 रनों के जवाब में तमिलनाडु की टीम ने मैच के पांचवें दिन सोमवार को दो विकेट के नुकसान पर आठ रन बनाए। कुथेथुरश्री वासुदेवदास सात रन पर और सुब्रह्यण्यम बद्रीनाथ बिना खाता खोले नाबाद लौटे। पहली पारी में 257 रन बनाने वाले विनीत सक्सेना को "मैन ऑफ द मैच" घोषित किया गया।
तमिलनाडु की दूसरी पारी की शुरूआत अच्छी नहीं रही और पारी के पहले ओवर की पहली ही गेंद पर यो महेश खाता खोले बगैर गजेन्द्र सिंह की गेंद पर पगबाधा आउट हो गए। टीम के कुल योग में अभी सात रन ही जुड़े थे कि अभिनव मुकुंद भी एक रन बनाकर गजेन्द्र के दूसरे शिकार हो गए। राजस्थान की ओर से दूसरी पारी में गजेन्द्र ने दो विकेट झटके।
इससे पहले, राजस्थान ने अपनी दूसरी पारी पांच विकेट पर 204 रन बनाकर घोषित की। राजस्थान की ओर से दूसरी पारी में रोबिन बिष्ट ने सबसे अधिक 92 रन बनाए। उन्होंने इस दौरान 185 गेंदों पर 13 चौके लगाए।
राजस्थान की ओर से पांचवें दिन के खेल की शुरूआत रविवार को नाबाद लौटे बल्लेबाज आकाश चोपड़ा (10) और विनीत सक्सेना (10) ने की। राजस्थान ने चौथे दिन के खेल की समाप्ति तक अपनी दूसरी पारी में बिना कोई विकेट गंवाए 21 रन बनाए थे। चोपड़ा सुबह आठ रन और जोड़कर 18 रन के निजी योग पर जगन्नाथन कौशिक की गेंद पर उन्हीं को कैच थमा बैठे। इसके बाद पहली पारी में दोहरा शतक लगाने वाले सक्सेना दूसरी पारी में कुछ खास नहीं कर सके और वह एक चौके की मदद से 13 रन बनाकर रामास्वामी प्रसन्ना की गेंद पर बोल्ड हो गए।
कप्तान ऋषिकेश कानितकर को 12 रन के निजी योग पर मुरली विजय ने पगबाधा आउट किया। कानितकर ने बिष्ट के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 41 रन जोड़े।
पुनीत यादव बिना खाता खोले आउट हुए वहीं रश्मि परिदा (43) और दिशांत याज्ञनिक (9) नाबाद लौटे। तमिलनाडु की ओर से दूसरी पारी में प्रसन्ना ने तीन विकेट झटके वहीं कौशिक और विजय के खाते में एक-एक विकेट गया।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान ने अपनी पहली पारी में 621 रन बनाए थे। इसके जवाब में तमिलनाडु की पहली पारी 295 रनों पर सिमट गई थी। राजस्थान को पहली पारी में 326 रनों की बढ़त प्राप्त थी। राजस्थान ने पिछले वर्ष बड़ौदा को हराकर खिताबी जीत दर्ज की थी। इस हार के साथ तमिलनाडु के हाथ से तीसरी बार चैम्पियन बनने का मौका निकल गया।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान दसवीं बार खिताबी मुकाबले में पहुंचा था। इससे पहले, सात मौकों पर राजस्थान को 39 बार के चैम्पियन मुम्बई के हाथों हार का सामना करना पड़ा था जबकि एक बार फाइनल में उसे कर्नाटक ने हराया था।
राजस्थान की टीम कुल दसवीं बार और लगातार दूसरी बार खिताबी मुकाबले में उतरी थी और उसने लगातार दूसरी बार कामयाबी भी दर्ज की। मेजबान तमिलनाडु ने अंतिम बार 1987-88 में इसी मैदान पर एस वासुदेवन की कप्तानी में रेलवे को हराकर खिताब जीता था। 1987-88 के बाद तमिलनाडु ने पांचवी बार फाइनल में स्थान बनाया उसका खिताबी सूखा 25 वर्ष बाद भी खत्म नहीं हो पाया।
वह 1991-92, 1995-96, 2002-03 तथा 2003-04 में भी खिताबी मुकाबले में पहुंचकर असफल रहा था। इस बार तमिलनाडु की टीम 11वीं बार रणजी फाइनल में पहुंची थी। फाइनल से पहले तीन मैचों में 22 विकेट झटक चुके मध्यम तेज गेंदबाज रितुराज ने खिताबी मुकाबले में 76 रन पर चार विकेट लिए। उन्होंने ये चारों विकेट तमिलनाडु की पहली पारी में हासिल किए। विनीत ने पहली पारी शानदार 257 रन बनाये थे जिसके बल पर राजस्थान ने 621 रन का विशाल स्कोर बनाया और जवाब में तमिलनाडु की टीम चौथे ही दिन 295 रन पर ढेर हो गई।
राजस्थान लगातार दूसरी बार रणजी चैम्पियन
चेन्नई। एम.ए. चिदम्बरम स्टेडियम में तमिलनाडु और राजस्थान की टीमों के बीच खेला गया रणजी ट्रॉफी फाइनल मुकाबला सोमवार को हार-जीत के फैसले के बगैर खत्म हुआ लेकिन पहली पारी में मिली बढ़त के आधार राजस्थान ने विजेता बनने का गौरव हासिल किया। राजस्थान की टीम लगातार दूसरी बार चैम्पियन बनी है।
राजस्थान द्वारा जीत के लिए रखे गए 531 रनों के जवाब में तमिलनाडु की टीम ने मैच के पांचवें दिन सोमवार को दो विकेट के नुकसान पर आठ रन बनाए। कुथेथुरश्री वासुदेवदास सात रन पर और सुब्रह्यण्यम बद्रीनाथ बिना खाता खोले नाबाद लौटे। पहली पारी में 257 रन बनाने वाले विनीत सक्सेना को "मैन ऑफ द मैच" घोषित किया गया।
तमिलनाडु की दूसरी पारी की शुरूआत अच्छी नहीं रही और पारी के पहले ओवर की पहली ही गेंद पर यो महेश खाता खोले बगैर गजेन्द्र सिंह की गेंद पर पगबाधा आउट हो गए। टीम के कुल योग में अभी सात रन ही जुड़े थे कि अभिनव मुकुंद भी एक रन बनाकर गजेन्द्र के दूसरे शिकार हो गए। राजस्थान की ओर से दूसरी पारी में गजेन्द्र ने दो विकेट झटके।
इससे पहले, राजस्थान ने अपनी दूसरी पारी पांच विकेट पर 204 रन बनाकर घोषित की। राजस्थान की ओर से दूसरी पारी में रोबिन बिष्ट ने सबसे अधिक 92 रन बनाए। उन्होंने इस दौरान 185 गेंदों पर 13 चौके लगाए।
राजस्थान की ओर से पांचवें दिन के खेल की शुरूआत रविवार को नाबाद लौटे बल्लेबाज आकाश चोपड़ा (10) और विनीत सक्सेना (10) ने की। राजस्थान ने चौथे दिन के खेल की समाप्ति तक अपनी दूसरी पारी में बिना कोई विकेट गंवाए 21 रन बनाए थे। चोपड़ा सुबह आठ रन और जोड़कर 18 रन के निजी योग पर जगन्नाथन कौशिक की गेंद पर उन्हीं को कैच थमा बैठे। इसके बाद पहली पारी में दोहरा शतक लगाने वाले सक्सेना दूसरी पारी में कुछ खास नहीं कर सके और वह एक चौके की मदद से 13 रन बनाकर रामास्वामी प्रसन्ना की गेंद पर बोल्ड हो गए।
कप्तान ऋषिकेश कानितकर को 12 रन के निजी योग पर मुरली विजय ने पगबाधा आउट किया। कानितकर ने बिष्ट के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 41 रन जोड़े।
पुनीत यादव बिना खाता खोले आउट हुए वहीं रश्मि परिदा (43) और दिशांत याज्ञनिक (9) नाबाद लौटे। तमिलनाडु की ओर से दूसरी पारी में प्रसन्ना ने तीन विकेट झटके वहीं कौशिक और विजय के खाते में एक-एक विकेट गया।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान ने अपनी पहली पारी में 621 रन बनाए थे। इसके जवाब में तमिलनाडु की पहली पारी 295 रनों पर सिमट गई थी। राजस्थान को पहली पारी में 326 रनों की बढ़त प्राप्त थी। राजस्थान ने पिछले वर्ष बड़ौदा को हराकर खिताबी जीत दर्ज की थी। इस हार के साथ तमिलनाडु के हाथ से तीसरी बार चैम्पियन बनने का मौका निकल गया।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान दसवीं बार खिताबी मुकाबले में पहुंचा था। इससे पहले, सात मौकों पर राजस्थान को 39 बार के चैम्पियन मुम्बई के हाथों हार का सामना करना पड़ा था जबकि एक बार फाइनल में उसे कर्नाटक ने हराया था।
राजस्थान की टीम कुल दसवीं बार और लगातार दूसरी बार खिताबी मुकाबले में उतरी थी और उसने लगातार दूसरी बार कामयाबी भी दर्ज की। मेजबान तमिलनाडु ने अंतिम बार 1987-88 में इसी मैदान पर एस वासुदेवन की कप्तानी में रेलवे को हराकर खिताब जीता था। 1987-88 के बाद तमिलनाडु ने पांचवी बार फाइनल में स्थान बनाया उसका खिताबी सूखा 25 वर्ष बाद भी खत्म नहीं हो पाया।
वह 1991-92, 1995-96, 2002-03 तथा 2003-04 में भी खिताबी मुकाबले में पहुंचकर असफल रहा था। इस बार तमिलनाडु की टीम 11वीं बार रणजी फाइनल में पहुंची थी। फाइनल से पहले तीन मैचों में 22 विकेट झटक चुके मध्यम तेज गेंदबाज रितुराज ने खिताबी मुकाबले में 76 रन पर चार विकेट लिए। उन्होंने ये चारों विकेट तमिलनाडु की पहली पारी में हासिल किए। विनीत ने पहली पारी शानदार 257 रन बनाये थे जिसके बल पर राजस्थान ने 621 रन का विशाल स्कोर बनाया और जवाब में तमिलनाडु की टीम चौथे ही दिन 295 रन पर ढेर हो गई।
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