पोलियो के खिलाफ जंग की जरूरत
विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के प्रमुख ने कहा है कि भारत में खतरनाक पोलियो रोग के खिलाफ जारी अभियान के उत्साहजनक नतीजे सामने आए हैं। साल भर से वहां पोलियो का कोई नया मामला सामने नहीं आया है। गौरतलब है कि इस सहस्त्राब्दी के अंत तक दुनिया ने इस खतरनाक रोग पर नियंत्रण का संकल्प लिया था। इस लिहाज से पड़ोसी देश भारत का प्रयास सराहनीय है। यदि वह पोलियो से मुक्ति पा लेता है, तो सिर्फ नाइजीरिया, अफगानिस्तान व पाकिस्तान ही पोलियो पीड़ित देश रह जाएंगे। पाकिस्तान में पोलियो वाइरस की मौजूदगी के कई कारण हैं। इनमें प्रमुख यह है कि यहां माता-पिता बच्चों को टीका लगवाने के खिलाफ होते हैं, क्योंकि मौलाना टीकाकरण कार्यक्रम को मजहब के हिसाब से गलत करार देते हैं। फिर देश में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम की स्थिति भी ठीक नहीं है। दूर-दराज के ग्रामीण इलाके स्वास्थ्य की पहुंच से अभी भी काफी दूर हैं। एक बड़ी सच्चाई यह है कि पाकिस्तान में दहशत व बाढ़ के कारण लाखों लोग अपनी जगहों से पलायन कर गए हैं। इससे भी टीकाकरण कार्यक्रम को नुकसान पहुंचा है। वर्ष 2005 में देश में पोलियो के 28 मामले सामने आए थे, लेकिन िपछले साल 170 नए मामले सामने आए। इतना ही नहीं जिन इलाकों को पोलियो मुक्त मान लिया गया था, वहां भी इसके वाइरस मौजूद होने की पुष्टि हुई है। साफ है कि पोलियो उन्मूलन की दिशा में देश कुछ आगे बढ़ा है,लेकिन रास्ता अभी काफी कठिन है। 1990 के शुरुआती दशक में, देश में पोलियो के सालाना 20,000 से ज्यादा मामलों का अनुमान लगाया गया था। अब इस आंकड़े में निर्णायक कमी आई है। फिर भी बहुत कुछ किया जाना शेष है। खतरनाक इस वाइरस के खिलाफ निर्णायक जंग जरूरी है। - द डॉन
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