"बाबरी मस्जिद को ढहाना सिर्फ घटना थी"
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद को ढहाए जाने को सिर्फ एक घटना करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि इसमें फेमस और इनफेमस जैसा कुछ नहीं है। कोर्ट ने यह टिप्पणी सीबीआई की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की जिसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे व अन्य 18 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का आरोप तय करने की मांग की गई थी।
न्यायाधीश सीके प्रसाद और एच एल दत्तू की पीठ ने कहा कि इसमें उत्कृष्ण जैसा क्या है। यह सिर्फ घटना थी जो घटित हो गई और मामले में शामिल सभी पक्ष हमारे सामने है। इसमें फेमस और इनफेमस जैसा कुछ नहीं है। पीठ ने यह बात तब कही जब एडिशनल सोलिसिटर जनरल ने कहा कि यह मामला फैमश बाबरी विध्वंस काण्ड से जुड़ा है।
पीठ ने कहा कि मामले में शामिल कुछ पक्षों ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया है इसलिए अब मामले की सुनवाई मार्च में होगी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 4 मार्च को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित 21 लोगों को नोटिस जारी किया था। नोटिस में यह पूछा गया था कि क्यों ने आपराधिक साजिश रचने के आरोप तय कर लिए जाएं?
21 मई 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा था जिसमें इन सभी के खिलाफ आपराधिक साजिश का आरोप वापस लेने का आदेश दिया गया था। सीबीआई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद को ढहाए जाने को सिर्फ एक घटना करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि इसमें फेमस और इनफेमस जैसा कुछ नहीं है। कोर्ट ने यह टिप्पणी सीबीआई की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की जिसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे व अन्य 18 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का आरोप तय करने की मांग की गई थी।
न्यायाधीश सीके प्रसाद और एच एल दत्तू की पीठ ने कहा कि इसमें उत्कृष्ण जैसा क्या है। यह सिर्फ घटना थी जो घटित हो गई और मामले में शामिल सभी पक्ष हमारे सामने है। इसमें फेमस और इनफेमस जैसा कुछ नहीं है। पीठ ने यह बात तब कही जब एडिशनल सोलिसिटर जनरल ने कहा कि यह मामला फैमश बाबरी विध्वंस काण्ड से जुड़ा है।
पीठ ने कहा कि मामले में शामिल कुछ पक्षों ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया है इसलिए अब मामले की सुनवाई मार्च में होगी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 4 मार्च को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित 21 लोगों को नोटिस जारी किया था। नोटिस में यह पूछा गया था कि क्यों ने आपराधिक साजिश रचने के आरोप तय कर लिए जाएं?
21 मई 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा था जिसमें इन सभी के खिलाफ आपराधिक साजिश का आरोप वापस लेने का आदेश दिया गया था। सीबीआई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
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