सरहद पर हुआ गीता और कुरान का आदान-प्रदान
सीमा सद्भावना यात्रा पूर्ण, रोलसाहबसर ने कहा कल्याण के रास्ते भारत से गुजरते हैं
बाड़मेर देश के दो राज्यों, आठ जिलों, सत्रह तहसीलों और एक सौ तीस स्थानों से होते हुए गुजरी सीमा सद्भावना संदेश यात्रा ने सरहदी इलाकों में मोहब्बत का पैगाम दिया। सफर के दौरान सरहदी गांवों में धर्म ग्रंथ गीता और कुरान का आदान प्रदान हुआ। बीती 9 दिसम्बर को गुजरात के कच्छ भुज से शुरू हुई यात्रा दस हजार किमी का सीमा सफर तय कर 14 जनवरी को बाड़मेर पहुंची। बकौल क्षत्रिय युवक संघ के प्रमुख भगवानसिंह रोलसाहबसर सीमा पर सुख है बशर्ते कुछ नेता अपना नजरिया बदल लें।
उन्होंने कहा कि सीमा पर तैनात जवान और वहां के वाशिंदे वाकई क्षत्रिय हैं। क्षत्रिय किसी जाति का नाम नहीं है बल्कि वो ही क्षत्रिय है जो प्राणी हित की बात करे।
सरहदों के निगहबां मुश्किल हालात में भी फर्ज के लिए डटा रहे। जवानों और जनता में बेहतरीन तालमेल है। यात्रा का मकसद सीमा पर रहने वालों के बीच प्रेम का संदेश देना था। भारतीय संस्कृति से होकर विश्व कल्याण का रास्ता निकलता है। ऐसे में लोगों को शास्त्रों का अध्ययन करना चाहिए। यात्रा के दौरान सीमावर्ती लोगों और जवानों ने जो समस्याएं बताई है, उन्हें जल्द ही सूबे के मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति से मिलकर बताऊंगा। यात्रा के प्रदेश संयोजक राजेंद्रसिंह भियाड़ ने बताया कि यात्रा के दौरान सीमावर्ती इलाकों में स्वामी अडग़ड़ानंदजी की यथार्थ गीता की चार हजार पुस्तकें बांटी गई। सीमा से सटे अल्पसंख्यक गांवों में यात्रा के प्रमुख को कुरान भेंट कर प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। गांवों में बिजली, पानी, शिक्षा सरीखी बुनियादी सुविधाओं की कमी है।
सीमांत क्षेत्र में बालिका शिक्षा को लेकर अभी बहुत काम करने की जरूरत है।
सीमा सद्भावना यात्रा पूर्ण, रोलसाहबसर ने कहा कल्याण के रास्ते भारत से गुजरते हैं
बाड़मेर देश के दो राज्यों, आठ जिलों, सत्रह तहसीलों और एक सौ तीस स्थानों से होते हुए गुजरी सीमा सद्भावना संदेश यात्रा ने सरहदी इलाकों में मोहब्बत का पैगाम दिया। सफर के दौरान सरहदी गांवों में धर्म ग्रंथ गीता और कुरान का आदान प्रदान हुआ। बीती 9 दिसम्बर को गुजरात के कच्छ भुज से शुरू हुई यात्रा दस हजार किमी का सीमा सफर तय कर 14 जनवरी को बाड़मेर पहुंची। बकौल क्षत्रिय युवक संघ के प्रमुख भगवानसिंह रोलसाहबसर सीमा पर सुख है बशर्ते कुछ नेता अपना नजरिया बदल लें।
उन्होंने कहा कि सीमा पर तैनात जवान और वहां के वाशिंदे वाकई क्षत्रिय हैं। क्षत्रिय किसी जाति का नाम नहीं है बल्कि वो ही क्षत्रिय है जो प्राणी हित की बात करे।
सरहदों के निगहबां मुश्किल हालात में भी फर्ज के लिए डटा रहे। जवानों और जनता में बेहतरीन तालमेल है। यात्रा का मकसद सीमा पर रहने वालों के बीच प्रेम का संदेश देना था। भारतीय संस्कृति से होकर विश्व कल्याण का रास्ता निकलता है। ऐसे में लोगों को शास्त्रों का अध्ययन करना चाहिए। यात्रा के दौरान सीमावर्ती लोगों और जवानों ने जो समस्याएं बताई है, उन्हें जल्द ही सूबे के मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति से मिलकर बताऊंगा। यात्रा के प्रदेश संयोजक राजेंद्रसिंह भियाड़ ने बताया कि यात्रा के दौरान सीमावर्ती इलाकों में स्वामी अडग़ड़ानंदजी की यथार्थ गीता की चार हजार पुस्तकें बांटी गई। सीमा से सटे अल्पसंख्यक गांवों में यात्रा के प्रमुख को कुरान भेंट कर प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। गांवों में बिजली, पानी, शिक्षा सरीखी बुनियादी सुविधाओं की कमी है।
सीमांत क्षेत्र में बालिका शिक्षा को लेकर अभी बहुत काम करने की जरूरत है।
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