कागजों में चला, सड़क पर दिखा नहीं 'रोलर'
भुगतान के कायदे ताक पर, बिल भी बने फर्जी, टांकों का आगोर किया छोटा, कार्रवाई के निर्देश, संतरा ग्राम पंचायत का मामला
बाड़मेरपंचायत समिति बायतु की संतरा ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत हुए कार्यों और उसके बदले में हुए भुगतान को लेकर गड़बड़ी का मामला सामने आया है। ऐसे में अब जिम्मेदारों से वसूली के साथ अनुशासनात्मक कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा।
तकनीकी अधिकारियों टीम ने जांच में पाया कि ग्रेवल सड़कों पर जितना माल-मसाला होना चाहिए उतना नहीं था। काम के बदले श्रमिकों को जो भुगतान किया गया वो भी कायदों को ताक पर रख किया गया। मजदूरों को निर्धारित अवधि में भुगतान नहीं कर देरी की गई। तय नाप से कम टांकों के आगोर बनाए गए। पक्के और टिन नंबर वाले बिलों की बजाए कच्चे और बिना टिन नंबर के बिल बनाकर भुगतान उठा लिया गया। बाजार भाव से दोगुने दामों में टंकियों का भुगतान किया गया।
रोलर चला नहीं हो गया भुगतान : सियागों की ढाणी से राजपुरा तक बनी ग्रेवल सड़क पर रोलर चलाने का किराया अदा कागजों में किया गया। टीम की जांच में पाया गया कि सड़क पर रोलर चला ही नहीं। राज्य स्तरीय पर्यवेक्षक बी.डी. शर्मा ने जांच के दौरान नियम विरुद्ध लाखों रुपए के नगद भुगतान एवं श्रमिकों को दो से पांच माह में भुगतान को गंभीर मानते हुए ग्रेवल सड़कों की तकनीकी अधिकारियों से जांच के आदेश दिए है।
यहां भी बुरे हाल : सूत्रों के अनुसार जांच में जिले की बाटाडू, परेऊ, झाक, कोसरिया, चौखला, एवं बाछडाऊ ग्राम पंचायत समिति सहित अन्य ग्राम पंचायतों में भी गड़बड़ी की आशंका व्यक्त की गई है। यहां भी टीम जल्द ही जांच करेगी।
भुगतान के कायदे ताक पर, बिल भी बने फर्जी, टांकों का आगोर किया छोटा, कार्रवाई के निर्देश, संतरा ग्राम पंचायत का मामला
बाड़मेरपंचायत समिति बायतु की संतरा ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत हुए कार्यों और उसके बदले में हुए भुगतान को लेकर गड़बड़ी का मामला सामने आया है। ऐसे में अब जिम्मेदारों से वसूली के साथ अनुशासनात्मक कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा।
तकनीकी अधिकारियों टीम ने जांच में पाया कि ग्रेवल सड़कों पर जितना माल-मसाला होना चाहिए उतना नहीं था। काम के बदले श्रमिकों को जो भुगतान किया गया वो भी कायदों को ताक पर रख किया गया। मजदूरों को निर्धारित अवधि में भुगतान नहीं कर देरी की गई। तय नाप से कम टांकों के आगोर बनाए गए। पक्के और टिन नंबर वाले बिलों की बजाए कच्चे और बिना टिन नंबर के बिल बनाकर भुगतान उठा लिया गया। बाजार भाव से दोगुने दामों में टंकियों का भुगतान किया गया।
रोलर चला नहीं हो गया भुगतान : सियागों की ढाणी से राजपुरा तक बनी ग्रेवल सड़क पर रोलर चलाने का किराया अदा कागजों में किया गया। टीम की जांच में पाया गया कि सड़क पर रोलर चला ही नहीं। राज्य स्तरीय पर्यवेक्षक बी.डी. शर्मा ने जांच के दौरान नियम विरुद्ध लाखों रुपए के नगद भुगतान एवं श्रमिकों को दो से पांच माह में भुगतान को गंभीर मानते हुए ग्रेवल सड़कों की तकनीकी अधिकारियों से जांच के आदेश दिए है।
यहां भी बुरे हाल : सूत्रों के अनुसार जांच में जिले की बाटाडू, परेऊ, झाक, कोसरिया, चौखला, एवं बाछडाऊ ग्राम पंचायत समिति सहित अन्य ग्राम पंचायतों में भी गड़बड़ी की आशंका व्यक्त की गई है। यहां भी टीम जल्द ही जांच करेगी।
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