रविवार, 11 दिसंबर 2011

महाराष्ट्र का छोरा बना बिहार का 'सिंघम'

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मुंबई।। महाराष्ट्र और बिहार का रिश्ता समझ से परे है। बिहारी जनता महाराष्ट्र के बारे में अब तक चाहे जो सोचती रही हो, लेकिन अब महाराष्ट्र के लिए उसके मन में सम्मान और प्रेम भाव ही कायम होंगे। कारण है वह पुलिस ऑफिसर जिसने पटना में लोकप्रियता का इतिहास रचा है। वह भी सिर्फ 10 महीने में। पटना के गुंडों, गुनहगारों और मिलावट खोरों को भारी झटका देने वाले इस जांबाज ऑफिसर ने किशोर वर्ग पर मानो जादू कर दिया है। उसकी बहादुरी, उसकी इमानदारी के हजारों युवक- युवतियां कायल हो गए है।

विदर्भ के अकोला जिले में पैदा हुए इस 34 साल के ऑफिसर का नाम है-शिवदीप वामन लांडे। बिहार के अन्य क्षेत्रों में उनकी दबंगई के किस्से सुनने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें राजधानी पटना का एसपी बनाया। उन्हें परिवहन एवं अपराध शाखा का अतिरिक्त भार भी सौंपा गया। यह नए एसपी गुंडों, गुनहगारों, अवैध धंधेबाजों, मजनुओं और मिलावट खोरों के लिए 'काल' बन गए। जिन्हें समाज अच्छा कहता है, ऐसे लोगों के लिए शिवदीप का मोबाइल 24 घंटे उपलब्ध रहता है। पटना में ऐसे बहुत कम कॉलेज छात्र हैं, जिनके पास एसपी शिवदीप का मोबाइल नंबर नहीं है।

एक बार शहर के बीचोबीच 3 शराबियों ने एक युवती के साथ छेड़खानी और जबर्दस्ती करना शुरू किया। मुसीबत में फंसी लड़की ने मोबाइल पर शिवदीप से संपर्क किया। हिंदी फिल्म की तरह मिनटों में वह दनादन घटना स्थल पहुंच गए। लड़की को बचा लिया गया, पर बदमाश भाग निकले। शिवदीप की टीम ने हफ्ते भर में उन्हें भी ढूंढ निकाला। तब से ही वह पॉप्युलर हो गए। इतने कि सभी दलों के नेताओं को भी उनकी तारीफ करनी पड़ी। पटना के अखबारों में शिवदीप छाए रहते हैं। लड़की-लड़कों के वे लाड़ले बन गए। कोई उन्हें दबंग कहता है, कोई सिंघम, तो कोई रॉकस्टार। अभिभावकों में भी शिवदीप लोकप्रिय है। जवानी को बिगाड़ने वाले सायबर कैफे, पार्लरों, अवैध धंधों पर वह कहर बन कर बरपे हैं, पैरेंट्स को यह बात बहुत पसंद आई है।

किसी को नहीं मालूम क्या हुआ, नवंबर के आखिरी हफ्ते में बिहार के पुलिस महानिदेशक ने शिवदीप का तबादला पुलिस हेड क्वॉर्टर में कर दिया। यह खबर सुनकर पटना में तहलका मच गया। यंग लोग तबादले का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए। डेढ़ दशक पहले ऐसा नजारा ठाणे में देखा गया था, जब वहां के मनपा आयुक्त टी. चंद्रशेखर का तबादला किया गया था। अब वे राजनीति में हारे हुए खिलाड़ी का गम ओढे़ हुए आंध्र प्रदेश की खाक छान रहे हैं।

बात शिवदीप की करें। उनका तबादला रोकने के लिए यंग लोगों ने 15 दिसंबर को बंद का आह्वान किया है। देखें नितीश कुमार क्या करते हैं। पर वह बता चुके हैं कि तबादला शिवदीप के करियर के लिए अच्छा है। शिवदीप नई पोस्टिंग पर उपस्थित हो चुके हैं। उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा है, पर पटनावासियों को पड़ा है। वे इस जांबाज ऑफिसर को पटना की सेवा में ही देखना चाहते हैं।

देखा जाए तो महाराष्ट्र को भी शिवदीप जैसे ऑफिसरों की बहुत जरूरत है। किसान परिवार में जनमे शिवदीप ने बड़ी प्रतिकूल स्थिति में शिक्षा पूरी की है। 2006 में आईपीएस में चयन के बाद उन्हें बिहार कैडर मिला। वहां के नक्सलग्रस्त क्षेत्र में उनका ट्रेनिंग हुआ। उस क्षेत्र में उनके कार्य की रिपोर्ट मिलने के बाद नीतीश कुमार ने उन्हें पटना बुलाया था।

साहस और इमानदारी ही शिवदीप का यूएसपी नहीं, यकीन नहीं होता कि यह ऑफिसर अपने वेतन का 60 प्रतिशत अकोला के युवक संगठनों को दे देता है। यह संगठन उसी ने बनाया है। वह वंचित बच्चों के लिए ट्यूशन का इंतजाम और गरीब लड़कियों के सामुदायिक विवाह कराता है। खुद शिवदीप लेकिन कुंआरे हैं। रोज उन्हें 300 एसएमएस मिलते हैं, जिसमें ज्यादातर ऐसी लड़कियों के होते हैं, जो उनसे शादी करना चाहती हैं।

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