लज्जा ही नारी का आभूषण:अब्दुल
वीर दुर्गादास छात्रावास में बालिका संस्कार शिविर
बालोतरा लज्जा ही नारी का आभूषण है। नारी परिवार, समाज का आभूषण है। नारी के स्वाभाविक गुणों से युक्त नारी न सिर्फ स्वयं बल्कि परिवार, समाज एवं धर्म को गौरवान्वित करती है। यह बात वीर दुर्गादास राजपूत बालोतरा में क्षत्रिय युवक संघ के सात दिवसीय संस्कार शिविर में प्रवचन कार्यक्रम के दौरान मौलाना अब्दुल बारी ने कही।
संस्कार शिविर के संयोजक चंदनसिंह चांदेसरा ने बताया कि प्रवचन कार्यक्रम में मौलाना अब्दुल बारी ने बालिकाओं को अपने परिवार, समाज व धर्म की मर्यादाओं एवं व्यवस्थाओं के अनुरूप पहनावा, आचरण एवं सदाचार पर चलने की सीख देते हुए कहा कि नारी पर आज के समय में बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। आज के युग की आधुनिकता में न बहकर स्वसंस्कृति अपनाएं। बालिकाओं को भले बुरे की पहचान होनी चाहिए।
शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मौलाना अब्दुल ने कहा कि आज अच्छी से अच्छी तालीम बालिकाओं को ग्रहण करनी चाहिए। तालीम के साथ अच्छे से अच्छे गुण एवं संस्कार भी ग्रहण करना अनिवार्य है।
नारी के कर्तव्यों का पालन करते हुए मां, बाप एवं परिवार की सेवा एवं शादी के बाद पति एवं सास, ससुर सहित ससुराल पक्ष की सेवा नारी को स्वर्ण में ले जाती है। कार्यक्रम की शुरूआत में सहायक संचालक अमरसिंह अकली ने मौलाना अब्दुल बारी का स्वागत किया। रामसिंह माडपुरा ने संस्कार शिविर की दैनिक गतिविधियों पर प्रकाश डाला। शिविर संचालक रतनसिंह नगली ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मौलाना की ओर से बताई गई बातों को जीवन में आत्मसात करें। इस अवसर पर व्यवस्थापक गोविंदसिंह, सोहनसिंह कालेवा, बाबूसिंह बूठ, मूलसिंह चांदेसरा, दिलीपसिंह समेत कई जने मौजूद थे।
संस्कार शिविर के संयोजक चंदनसिंह चांदेसरा ने बताया कि प्रवचन कार्यक्रम में मौलाना अब्दुल बारी ने बालिकाओं को अपने परिवार, समाज व धर्म की मर्यादाओं एवं व्यवस्थाओं के अनुरूप पहनावा, आचरण एवं सदाचार पर चलने की सीख देते हुए कहा कि नारी पर आज के समय में बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। आज के युग की आधुनिकता में न बहकर स्वसंस्कृति अपनाएं। बालिकाओं को भले बुरे की पहचान होनी चाहिए।
शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मौलाना अब्दुल ने कहा कि आज अच्छी से अच्छी तालीम बालिकाओं को ग्रहण करनी चाहिए। तालीम के साथ अच्छे से अच्छे गुण एवं संस्कार भी ग्रहण करना अनिवार्य है।
नारी के कर्तव्यों का पालन करते हुए मां, बाप एवं परिवार की सेवा एवं शादी के बाद पति एवं सास, ससुर सहित ससुराल पक्ष की सेवा नारी को स्वर्ण में ले जाती है। कार्यक्रम की शुरूआत में सहायक संचालक अमरसिंह अकली ने मौलाना अब्दुल बारी का स्वागत किया। रामसिंह माडपुरा ने संस्कार शिविर की दैनिक गतिविधियों पर प्रकाश डाला। शिविर संचालक रतनसिंह नगली ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मौलाना की ओर से बताई गई बातों को जीवन में आत्मसात करें। इस अवसर पर व्यवस्थापक गोविंदसिंह, सोहनसिंह कालेवा, बाबूसिंह बूठ, मूलसिंह चांदेसरा, दिलीपसिंह समेत कई जने मौजूद थे।
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