गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

तीन दिन किसी से नहीं मिल सकते चिंकारा शिकार के आरोपी सैनिक!

बाड़मेर.चिंकारा शिकार प्रकरण में फंसी सेना की यूनिट नहीं मिल पाई है। वनकर्मी नामजद आरोपियों का समन तामील कराने के लिए घूमते रहे, लेकिन बताए गए पते पर यूनिट मौजूद नहीं थी।

वन विभाग की टीम ने मोबाइल फोन पर कमांडिंग ऑफिसर से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि वे युद्धाभ्यास में बिजी हैं और तीन दिन नहीं मिल सकते, न ही यह बता सकते हैं कि वे कहां अभ्यास कर रहे हैं। तीन समन के बावजूद नामजद सैनिकों के पेश नहीं होने पर अब वन विभाग गुरुवार को उनका गिरफ्तारी वारंट लेने का प्रयास करेगा।

झांसी स्थित 88 आम्र्ड वर्कशॉप यूनिट के पांच सैनिकों के चिंकारा शिकार प्रकरण में फंसने के बाद सेना ने उन्हें अपनी कस्टडी में ले लिया। वन विभाग बुधवार को पांचवे दिन भी उनसे पूछताछ नहीं कर पाया।

इधर सेना की यूनिट ने निम्बला गांव से मंगलवार को जगह बदल दी थी और वन विभाग को सूचना भेजी थी। वनकर्मी मंगलवार शाम पचपदरा के पास बताए गए पते पर समन तामील कराने पहुंचे, लेकिन उस इलाके में यूनिट का कोई पता नहीं चला।

आखिरी समन नहीं हो पाया तामील

वनकर्मी बुधवार को फिर आखिरी समन तामील कराने वहां पहुंचे, लेकिन देर शाम तक यूनिट का कहीं पता नही चल पाया। इस पर डीएफओ बीआर भादू ने यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर अतुल बामजाई से संपर्क किया। बामजाई ने उन्हें बताया कि ‘सुदर्शन शक्ति’ अभ्यास के दौरान वे कहीं गुप्त जगह युद्धाभ्यास कर रहे हैं।

वे नहीं बता सकते कि 72 घंटे चलने वाला यह महत्वपूर्ण अभ्यास कहां चल रहा है, ना ही यूनिट का कोई सदस्य वहां से जा सकता है। उन्होंने कहा कि वे बताए गए पते पर दो दिन बाद पहुंच जाएंगे।

गिरफ्तारी वारंट के लिए अर्जी देगा वन विभाग

भादू ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ बिना जांच आगे नहीं बढ़ सकती, लेकिन उन्हें तलब करने के बावजूद वे पेश नहीं हुए हैं। आखिरी समन भी भेज दिया गया, लेकिन यूनिट लापता हो गई है।

गुरुवार को सरकारी वकील से इस प्रकरण में कानूनी सलाह लेने के बाद कोर्ट में गिरफ्तारी वारंट के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया जाएगा।

वन विभाग के गिरफ्तारी वारंट के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल करने पर कोर्ट नामजद आरोपी सूबेदार गोपीलाल, हवलदार बीआर नाथ, नायक एन. सरकार, लांस नायक परदेसी और सिपाही डीआर नायडू के खिलाफ नोटिस जारी करेगा। सुनवाई के बाद गिरफ्तारी वारंट जारी होगा।

यूनिट के नहीं लौटने पर कहां होगी तलाश?

झांसी स्थित 88 आम्र्ड वर्कशॉप यूनिट के कमांडिंग आफिसर बामजाई ने दो दिन बाद पचपदरा में बताए पते पर पहुंचने की बात कही है। यदि यूनिट वहां नहीं पहुंची तो वन विभाग उन्हें कहां तलाश करेगा, यह तय नहीं है। हालांकि अभी तक यूनिट के अधिकारी वन विभाग के संपर्क में हैं।

गौरतलब कि सेना की 21 स्ट्राइक कोर के नेतृत्व में अहमदाबाद व जोधपुर स्थित 11 व 12 डिवीजन के अलावा तीन ओर डिवीजन रेगिस्तान में अभ्यास कर रहे हैं। इन पांच डिवीजन की कई यूनिट हैं। ऐसे में कौनसी यूनिट कहां अभ्यास कर रही है, वन विभाग के लिए यह पता लगाना बड़ा मुश्किल होगा।

सुखसिंह से पूछताछ में सामने आएगी असलियत :

सेना हिरण शिकार प्रकरण में निम्बला गांव निवासी सुखसिंह से पूछताछ करना चाहती है, लेकिन उसका कहीं पता नहीं लग पाया है। उसकी तलाश के लिए सेना ने बाड़मेर एसपी से लिखित में मदद मांगी है।

सेना ने अभी यह खुलासा नहीं किया है कि उसका इस प्रकरण से क्या संबंध है, उसने यदि उसने हिरण शिकार कर मांस सैनिकों को सौंपा था तो उसका नाम वन विभाग को क्यों नहीं बताया गया। सेना का कहना है कि उससे पूछताछ से ही हिरण शिकार की असलियत सामने आ सकती है।

गौरतलब है कि वन विभाग को किसी गांव वाले ने ही हिरण शिकार और यूनिट में शिकार किए हिरण का मांस पकाने की तैयारी की सूचना दी थी।

"युद्धाभ्यास में यूनिट एक जगह से दूसरी जगह अभ्यास करने निकल जाती है। उसी तरह यह यूनिट भी किसी दूसरी लोकेशन पर अभ्यास करने गई है, लेकिन वन विभाग चाहे तो समन सेना के किसी भी यूनिट में जाकर दे सकता है। संभव हुआ तो उन्हें उस यूनिट की लोकेशन की जानकारी भी दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि वन अधिकारी की गवाही, एफआईआर, सीज सामान व तमाम दस्तावेज नहीं मिलने की वजह से कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी पूरी नहीं हो रही है।"

-एसडी गोस्वामी, रक्षा प्रवक्ता

--

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें