क्या है इवेंट
10 दिसंबर को पृथ्वी का चक्कर काटता चांद पृथ्वी के ठीक पीछे होगा, यानी सूरज और चांद के बीच होगी हमारी पृथ्वी। इस वजह से चांद तक सूरज की रोशनी नहीं पहुंच पाएगी। सारी रोशनी पृथ्वी पर पड़ने से चांद पर पृथ्वी की बड़ी छाया बनेगी। जब छाया का सेंट्रल पार्ट चांद पर पड़ेगा, उस वक्त चांद पूरा ढक जाएगा, वह भी खूबसूरत लाल रंग में। यह लाल चांद 51 मिनट तक दिखेगा। साइंस की भाषा में यही खूबसूरत इवेंट है पूर्ण चंद्र ग्रहण यानी टोटल लूनर इक्लिप्स।
लाल चांद क्यों...
साइंस पॉपुलराइजेशन असोसिएशन ऑफ कम्यूनिकेटर्स एंड एजुकेटर्स (स्पेस) की साइंटिफिक ऑफिसर मिला मित्रा बताती हैं, यह लाल इसलिए हो जाता है, क्योंकि जब पृथ्वी के वातावरण से सूरज की रोशनी गुजरती है, वह छितरकर मुड़ जाती है। नीली रोशनी सबसे ज्यादा मुड़ती है, जबकि लाल रंग सीधे गुजरती है, ठीक उसी तरह जैसे सूरज उगते वक्त या डूबते वक्त होता है। यह लाल रोशनी पृथ्वी के वातावरण से निकलकर चांद तक पहुंचती है इसलिए वह लाल नजर आता है।
इस साल दूसरी बार हम इस इवेंट का आनंद लेंगे। इससे पहले 21 जून को पूर्ण चंद्र ग्रहण हुआ था। इसके बाद 2014 में भारत में पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखेगा। 5 घंटे का यह इवेंट एशिया और ऑस्टे्रलिया में दिखेगा। भारत में शाम 5 बजे से ग्रहण की शुरुआत होगा, हालांकि 30-40 मिनट तक साफ तौर पर कुछ नजर नहीं आएगा। 6:16 मिनट पर पूरा चांद ढक जाएगा। रात 10 बजे बाद यह शैडो गुजर जाएगी और चांद अपने असली चेहरे के साथ मिलेगा। इस दौरान हमें अमावस्या का आसमान नजर आएगा, कई धुंधले तारों के साथ।
एक्सपर्ट संग जश्न
पब्लिक को इस इवेंट से जोड़ने के लिए तीन मूर्ति भवन परिसर में एमचुअर असोसिएशन ऑफ दिल्ली (एएआईडी ) और नेहरू प्लेनटैरियम की ओर से शाम 5 बजे से खास प्रोग्राम होंगे। एएआईडी ने बताया कि यहांबड़े - बड़े पावरफुल टेलिस्कोप लगाए जाएंगे , ताकि पब्लिक इस इवेंट का बारीकी से मजा ले सके।
इंडिया गेट पर स्पेस की एक्सपर्ट टीम के साथ आप , खासतौर पर स्कूली बच्चे इस इवेंट को देख - जान सकते हैं।मिला बताती हैं , हर साल करीब 2 बार चंद्र ग्रहण होता है , लेकिन आंशिक। साल में दो - दो बार पूर्ण चंद्र ग्रहणकी घटना रेयर है। वह बताती हैं , हम पूर्ण चंद्र ग्रहण की हर एंगल की फोटोग्राफी करके और एक्सपेरिमेंट करकेआपको इस इवेंट की तह तक ले जाएंगे।
कई जगह चंद्र ग्रहण को लेकर मान्यता है कि इस दौरान कुछ खाना नहीं चाहिए। यह साइंटिफिक सोच नहीं , चंद्रग्रहण का फैक्ट साइंस ने सालों पहले खोलकर रख दिया था। हम लोगों को ग्रहण का मतलब समझाकर औरमिठाई बांटकर इस मिथ को तोड़ेंगे ।
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