बुधवार, 28 दिसंबर 2011

ग्रामीण क्षेत्रों में पटरी पर लौटी चिकित्सा व्यवस्था

ग्रामीण क्षेत्रों में पटरी पर लौटी चिकित्सा व्यवस्था

एनआरएचएम कर्मियों ने संभाली कमान, आयुश चिकित्सक भी जुटे सेवार्थ

बाडमेर। डॉक्टरों व एनआरएचएम कर्मियों के सामूहिक अवका के चलते पिछले करीब एक सप्ताह से लड़खड़ाई चिकित्सा व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्रों में बुधवार से पूरी तरह पटरी पर लौट आई है। एनआरएचएम कर्मियों के वापिस काम पर लौटने से ग्रामीणों ने राहत महसूस की है। एनआरएचएम के तहत जिले में करीब 700 कर्मी लगे हैं, जिनमें 36 आयुश चिकित्सक भी भामिल हैं। इसके साथ ही नवनियुक्त डॉक्टरों व अवका पर गए कई डॉक्टरों ने भी ज्वाइन किया है। वहीं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजमल हुसैन ने सभी डॉक्टरों से अपील की है कि वे जनहित को देखते हुए वापिस कार्य पर लौट आएं ताकि किसी भी मरीज को तकलीफ न उठानी पड़े। जो डॉक्टर मरीजों की हालत देख वापिस काम पर लौटे हैं, उनकी सीएमएचओ डॉ. हुसैन ने सराहना की है। जिला आईईसी समन्वयक विनोद बिनोई ने बताया कि राज्यस्तरीय निर्णय के तहत गत 19 दिसंबर से सभी एनआरएचएम कर्मी सामूहिक अवका पर चले गए थे, जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ा गई थी। इसी दौरान डॉक्टरों के सामूहिक अवका पर जाने के बाद हालात और अधिक विकट हो गए। इन्हीं परिस्थितियों के मद्देनजर एनआरएचएम कर्मियों द्वारा राज्यस्तर पर चिकित्सा स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार भार्मा की मध्यस्था में समझौता वार्ता हुई। उक्त वार्ता के बाद 26 दिसंबर से सभी कार्मिक काम पर लौट आए। काबिलेगौर है कि जिले में एनआरएचएम के तहत सीएमएचओ ऑफिस में सात जिलास्तरीय अधिकारी, जिले के आठों ब्लॉकों में 36 आयुश चिकित्सक, 19 आयुश कम्पाउडर, दोदो बीपीएम व आा फेसिलेटर, 23 एकाउंटेंट, 41 पीएचसी हेल्थ सुपरवाईजर, दस डाटा एंट्री ऑपरेटर, दो फार्मासिस्ट, पांचपांच पब्लिक हेल्थ नर्स व लैब टेक्नियन, 169 जीएनएम तथा 366 एएनएम लगी हुई हैं। उक्त स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की बदौलत ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं ने सुधार हुआ है तथा मरीजों को राहत मिलने लगी है। यही नहीं सभी आयुश चिकित्सकों को मरीजों की हर संभव सहायता के लिए निर्दोित किया गया है। वहीं नवनियुक्त 23 चिकित्सकों के ज्वाइनिंग करने से भी हालात में सुधार आए हैं तथा जनता को नियमित चिकित्सा सुविधाएं मिल रही हैं।

बीसीएमओ सहित 33 डॉक्टर लौटे काम पर

सीएमएचओ डॉ. अजमल हुसैन ने बताया कि मरीजों की तकलीफ समझते हुए जिले के 33 डॉक्टरों सहित सिणधरी बीसीएमओ डॉ. संजीव मितल काम पर वापिस लौट आए हैं। उक्त डॉक्टरों ने बुधवार को जिला अस्पताल, उप जिला अस्पताल सहित विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में अपनी सेवाएं दीं। बुधवार को बालोतरा स्थित उप जिला अस्पताल, नाहटा में डॉ. सुनीता सरथालिया, डॉ. गोपाल पोहानी, डॉ. रामनिवास पटेल, डॉ. नरो चौधरी, डॉ. राणुलाल खत्री, डॉ. कमल किोर, डॉ. मदनलाल खारवाल, डॉ. बलरामसिंह व डॉ. बांकाराम चौधरी तथा पचपदरा में डॉ. वीरेंद्र गांधी काम पर लौटे। इसी तरह जिला अस्पताल में डॉ. हेमाराम ने भी ज्वाइन किया है।

आाओं ने जगाई ॔॔आा’॔

स्वास्थ्य सेवाओं की प्राथमिक कड़ी के रूप में कार्यरत आाओं ने लड़खड़ाई चिकित्सा व्यवस्था के बीच ॔॔आा’॔ की लौ दिखाई है। दरअसल, जिले में 1782 आाएं कार्यरत है जो स्वास्थ्य सेवाओं से सीधे तौर पर जुड़ी हुई हैं तथा उक्त आाओं के बेहतर तालमेल व समन्वयक के लिए जिलास्तर पर एक समन्वयक और पीएचसी स्तर पर 41 आा सुपरवाईजर लगाए गए हैं। जिला आा समन्वयक राको भाटी ने बताया कि आा सहयोगिनी मुख्यतः सभी गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण कर उन्हें प्राथमिक स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाती हैं। महिला को प्रसव के लिए चिकित्सालय में ले जाती हैं तथा जरूरत पड़ने पर यदि महिला को रैफर किया जाता है तो आा गर्भवती महिला के साथ भी जाती है। प्रसव के प्राथमिक स्तर एवं प्रसव के दौरान का विस्तृत रिकॉर्ड भी आा रखती है ताकि चिकित्सक सीधे तौर पर गर्भवती महिला को उपचार दे सके। प्रसव पचात जच्चाबच्चा की छह माह तक नियमित देखभाल करने के साथ ही आवयक जानकारियां भी माता को देती है। इस दौरान टीकाकरण के लिए भी आा संबंधित परिजनों को प्रेरित करती है। नसबंदी, टीबी, मलेरिया एवं अन्य मौसमी बीमारियों को लेकर भी आाएं अपनी महती भूमिका अदा करती है।

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