बुधवार, 2 नवंबर 2011

राजस्थानी भासा री मानता मिलणो आपणो पेट रो सवाल है

राजस्थानी भासा री मानता मिलणो आपणो पेट रो सवाल है





राजस्थानी भासा री मानता मिलणो आपणो पेट रो सवाल है। यह बात शिक्षा विद देवी सिंह चोधरी ने बुधवार को राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय रेलवे स्कूल परिसर में ‘म्हारी जबान रो खोलो ताळो’ पोस्टकार्ड अभियान के तहत आयोजित कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा दो हजार साल पुरानी है, राजस्थानी भाषा का शब्दकोष विश्व का सबसे बड़ा शब्दकोष है। उन्होंने भाषा को राज्य की बाड़ बताते हुए कहा कि भाषा मरती है तो भाषा के साथ संस्कृति व संस्कार खत्म हो जाते हैं। उन्हों ने युवाओं को राजस्थानी भाषा के संघर्ष के लिए एकजुट होने का आह्वान करते हुए राजस्थानी भाषा के आंदोलन पर विस्तार से प्रकाश डाला। जिला पाटवी रिदमल सिंह दांता ने राजस्थानी भाषा की मान्यता के आंदोलन को गति देने व युवाओं को भाषा आंदोलन से जुडऩे की बात कही। हरपाल सिंह राव ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दिए जाने का प्रावधान है इसलिए राजस्थानी भाषा को अविलंब मान्यता मिलनी चाहिए। मोटियार परिषद् के जिला पाटवी रघुवीर सिंह तामलोर ने पोस्टकार्ड अभियान को क्षेत्र में सघनता से चलाने की बात कही।चन्दन सिंह भाटी ने मायड़ भाषा राजस्थानी के आंदोलन के लिए एकजुटता पर बल दिया। इस अवसर पर भाखर सिंह गोरडिया ने आह्वान किया की हर एक घर से राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए पोस्ट कार्ड लिखे जाए .इस अवसर पर प्रधानाध्यापक मांगी लाल गोरसिया ने कहा की मायड़ भाषा को मान्यता के लिए चलाये जरे अभियान की कमान युवाओं ने अपने हाथ लेकर इस अभियान को लोगो तथा सरकार तक पंहुचने का सराहनीय कार्य किया हें .सरकार को अब मान्यता देनी पड़ेगी .इस अवसर पर प्रकाश जोशी .विजय कुमार अशोक तन्सुखानी सवाई सिंह सुलतान सिंह रेडाना ,ने भी अपनी बात कही । कार्यक्रम के तत्पश्चात राजस्थानी भाषा की संवैधानिक मान्यता के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, सांसद एवं अन्य केंद्रीय मंत्रियों के नाम पोस्टकार्ड लिखकर भेजे गये।

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