शनिवार, 5 नवंबर 2011

जमानत मिलते ही ऑफिस पहुंच गए एसडीओ




जमानत मिलते ही ऑफिस पहुंच गए एसडीओ


पाली एसीबी द्वारा 30 हजार रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार रोहट के उपखंड अधिकारी चूनाराम विश्नोई और कनिष्ठ लिपिक मोहम्मद उमर को कोर्ट से जमानत मिल गई है। एक दिन एसीबी की हिरासत तथा दो दिन जेल में बिताने के बाद शुक्रवार दोपहर को दोनों कर्मचारी रोहट स्थित कार्यालय पहुंचे। दोनों ने उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर किए। एसडीओ ने तो वेतन व अन्य बिलों पर भी हस्ताक्षर किए। तीन घंटे ऑफिस में बिताने के बाद शाम को एसडीओ पाली में कलेक्टर ऑफिस भी पहुंचे। गुरुवार की शाम तक हालांकि न तो कार्मिक प्रशासनिक विभाग से दागी अफसर व बाबू के निलंबन के आदेश मिले और न ही एसीबी की कार्रवाई का पत्र मिला। इस असमंजस की स्थिति में जयपुर से दिशा निर्देश नहीं मिलने तक कलेक्टर नीरज के पवन ने एसडीओ व क्लर्क को ऑफिस नहीं जाने की हिदायत देकर अवकाश पर रहने के निर्देश दिए हैं।

5 दिन बीते, निलंबन क्यों नहीं ?

असल में एसीबी की टीम गत 31 अक्टूबर को दोपहर में रोहट स्थित उपखंड कार्यालय से आरएएस अधिकारी चूनाराम विश्नोई तथा कार्यालय के कनिष्ठ लिपिक कम रीडर मोहम्मद उमर को गिरफ्तार कर ले गई। कार्रवाई के चार दिन बाद 4 नवंबर को दोनों दागी ऑफिस पहुंचे और सामान्य दिनों की तरह कामकाज किया। शुक्रवार शाम को हालांकि कलेक्टर ने दोनों आरोपियों को दफ्तर में नहीं जाने का कहते हुए अवकाश पर भेज दिया, लेकिन एसीबी की कार्रवाई के 5 दिन बाद भी दागी अफसरों का निलंबन आदेश नहीं मिलना सरकारी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाता है।
रोहट के एसडीओ व लिपिक को एसीबी द्वारा रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार करने की जानकारी तो है, लेकिन अधिकारिक तौर पर एसीबी ने इसकी कोई सूचना नहीं दी। आरएएस अफसर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का अधिकार कार्मिक विभाग जयपुर के पास है, जहां से इनके निलंबन अथवा कार्रवाई को लेकर निर्देश मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। आरोपी एसडीओ व लिपिक को अग्रिम आदेश तक अवकाश पर जाने को कहा गया है। -नीरज के पवन, कलेक्टर

॥ 31 अक्टूबर को एसीबी द्वारा गिरफ्तारी की कार्रवाई की गई, जबकि 1 नवंबर को दोनों आरोपियों को कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया गया। उसी दिन आरोपी आरएएस व लिपिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए पत्रावली एसीबी मुख्यालय जयपुर को भेज दी गई, जबकि कार्मिक विभाग को भी कार्रवाई से अवगत करा दिया गया। पांच दिन बाद भी आरोपियों के निलंबन आदेश नहीं मिलने अथवा ऑफिस में ज्वाइन करने के मसले पर हम क्या कह सकते हैं। -जोगाराम, एसीबी टीम प्रभारी एवं डीएसपी, सिरोही चौकी

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