रविवार, 6 नवंबर 2011

कैदी का परिवार व समाज से जुड़ाव जरूरी : भारद्वाज

कैदी का परिवार व समाज से जुड़ाव जरूरी : भारद्वाज

कहा खुली जेल में कैदियों के आजीविका के साधन बढ़ाए जाएंगे। जेलों को शहर से बाहर स्थानांतरित करने की कोई योजना नहीं।

. जालोर राज्य के जेल महानिदेशक ओमेंद्र भारद्वाज ने कहा है कि कैदियों को सुधरने का मौका मिलना चाहिए ताकि वे समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकें। वे शनिवार को यहां जेल परिसर में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कैदी में सुधार के लिए जरूरी है उसका अपने परिवार और समाज से सतत् जुड़ाव बना रहे। उन्होंने बताया कि आमतौर पर जेलों को शहर से बाहर करने की बात की जाती है, लेकिन यह सही नहीं है क्योंकि किसी सुनसान जगह पर जेल खोल देने से कैदी भी उसी माहौल के आदि हो जाएंगे और उनसे मिलने वाले भी परेशान होंगे। उन्होंने कहा कि अपराधी भी इंसान है उन्हें सुधारने के लिए ही जेल लाया जाता है। किसी को जेल में रखने का मतलब उस व्यक्ति को मिटाना नहीं है बल्कि उसके अपराध को मिटाना है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कई जेलों को शहर से बाहर करने की चर्चाएं होती रहती हैं, लेकिन यह गलत है। केवल उन्हीं जेलों को बदला जा रहा है जिनकी क्षमता पूरी हो चुकी है। जालोर में स्थित खुली जेल में व्याप्त अव्यवस्थाओं के संबंध में उन्होंने कहा कि अगर वहां कैदियों के रहने की पर्याप्त जगह नहीं है तो इस समस्या को दूर किया जाएगा। साथ ही इन कैदियों के लिए आजिविका के संसाधन भी मुहैया करवाए जाएंगे। इस दौरान उनके साथ उप महानिरीक्षक कारागार जोधपुर (डीआईजी जेल) देवेंद्रसिंह, जालोर एसपी राहुल बारहठ, जेलर धन्नाराम, मुख्य प्रहरी दलपतसिंह और मोहनसिंह तथा मेलनर्स शहजाद खान भी मौजूद थे।

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