मंगलवार, 1 नवंबर 2011

बेटे की चाह में बढ़ रही जनसंख्या

बेटे की चाह में बढ़ रही जनसंख्या
हकीकत : मां नहीं, परिजन तय करते हैं बच्चों की संख्या, नसबंदी ऑपरेशन भी परिवार की मर्जी से ही

बाड़मेर बेटों की चाह में बाड़मेर में जनसंख्या वृद्धि दर पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। सोमवार को सरकारी अस्पताल में दोपहर दो बजे तक नौ बच्चों की किलकारियां गूंजी। दुनिया की आबादी सात अरब होने के संदर्भ में  प्रसूताओं से बात की तो कई चौंकाने वाली बात सामने आई। ज्यादातर केसेज ऐसे थे जिनके दो बच्चों से भी ज्यादा थे लेकिन बेटे की चाहत में तीसरा... चौथा...पांचवां बच्चा। बातचीत में महिलाओं ने माना कि वे परिवार सीमित रखने की चाहत रखती हैं। लेकिन परिजन की चाहत बेटे की होती है।

राजकीय अस्पताल में 30 अक्टूबर को 15 डिलेवरी हुई। इसमें 11 ऐसी महिलाएं थीं जिनके दो से अधिक बच्चे हैं।वहीं निजी अस्पतालों में दो दिनों में छह डिलेवरी हुई। इनमें भी ज्यादातर के दो बच्चे से ज्यादा हैं। बड़ाऊ निवासी हजारी देवी ने छठवें बच्चे को जन्म दिया।


इसमें से एक बच्चे की पहले ही मौत हो गई।

पूछने पर कहा कि चार बच्चों के बाद ऑपरेशन करवाया था। लेकिन इसके बावजूद फिर बच्ची हो गई। वहीं नांद निवासी रामू तो सपाट कहते हैं कि उनके दो बच्चियां ही हैं। जब बेटा होगा तभी ऑपरेशन करवाएंगे। वहीं दो बच्चियों के बाद बेटे के जन्म से खुशी जयंती कहती हैं कि अब बेटा हो गया है। अब ऑपरेशन कराएंगे।

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