निशुल्क दवा के दावे फेल
सिरोही राज्य सरकार की ओर से शुरू की गई मुफ्त दवा योजना के बाद जिलेभर के राजकीय अस्पतालों में बढ़ रहे आउटडोर के आंकड़े से मेडिकल विभाग सकते में आ गया है। पहले चरण में 200 प्रकार की दवाएं उपलब्ध करानी थीं, लेकिन योजना शुभारंभ के दूसरे दिन ही सरकारी अस्पतालों में 70-80 प्रकार की दवाइयां ही उपलब्ध हो सकीं। हैरानी की बात यह रही कि डॉक्टरों के पास दवा सूचियों में उपलब्ध दवाओं से दुगुनी संख्या थीं। इस गफलत में डॉक्टर वे दवाएं भी लिखते रहे जो काउंटरों पर थी ही नहीं। ऐसे में मरीज व परिजन चक्कर काटते रहे। ज्यादातर मरीजों को पांच में से दो या तीन दवाएं बाहर से भी खरीदनी पड़ी। ऐसे में सरकार की ओर से मरीजों को सभी आवश्यक दवाएं निशुल्क उपलब्ध कराने के दावे फेल होते नजर आ रहे हैं।
कुछ यूं बढ़ा आउटडोर का आंकड़ा : निशुल्क दवा योजना लागू होते ही जिले के सरकारी अस्पतालों में आउटडोर का आंकड़ा दुगुने से भी ज्यादा हो गया है। सिरोही के जिला अस्पताल में औसत आंकड़ा 350-400 मरीज प्रतिदिन है यह बढ़कर अब 750-850 तक पहुंच गया है। आबूरोड में 100-150 से 250-300 एवं शिवगंज में 300-350 से 700-800 तक पहुंच गया हैसोमवार को सिरोही में 726, शिवगंज में 840 एवं आबूरोड में 300 मरीज अस्पताल पहुंचे। बीते दिनों से अस्पतालों में बढ़ रहा मरीजों का आंकड़ा मेडिकल विभाग के लिए सिर दर्द बन गया है। अस्पतालों में पहले से ही सूची के अनुरूप सभी दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पाई है। ऐसे में मरीजों का दबाव योजना पर भारी पडऩे लगा है।
क्या हकीकत, क्या फसाना
प्रथम चरण में सभी सरकारी अस्पतालों में 200 दवाएं उपलब्ध करानी थीं। सभी दवा वितरण केंद्रों पर यह सुनिश्चित किया जाना था कि किसी भी मरीज को दवा लेने में कोई दिक्कत न हो।
मुख्यमंत्री के बजट भाषण में दवा वितरण योजना की घोषणा होने के बावजूद आठ महीने में दवा का प्रबंध नहीं हो सका।
कोई भी योजना नई लागू होने के बाद नई व्यवस्था स्थापित होने में कुछ समय तो लगता ही है। उपलब्ध सूची के अनुसार सभी दवाएं आगामी कुछ दिनों में उपलब्ध करा दी जाएगी। हालांकि राष्ट्रीय कार्यक्रमों की दवाएं पहले से ही अस्पतालों में निशुल्क दी जा रही है।अन्य प्रकार की दवाइयां भी अस्पतालों में मौजूद होने से मरीजों को ज्यादा परेशानी नहीं होगी।
सिरोही राज्य सरकार की ओर से शुरू की गई मुफ्त दवा योजना के बाद जिलेभर के राजकीय अस्पतालों में बढ़ रहे आउटडोर के आंकड़े से मेडिकल विभाग सकते में आ गया है। पहले चरण में 200 प्रकार की दवाएं उपलब्ध करानी थीं, लेकिन योजना शुभारंभ के दूसरे दिन ही सरकारी अस्पतालों में 70-80 प्रकार की दवाइयां ही उपलब्ध हो सकीं। हैरानी की बात यह रही कि डॉक्टरों के पास दवा सूचियों में उपलब्ध दवाओं से दुगुनी संख्या थीं। इस गफलत में डॉक्टर वे दवाएं भी लिखते रहे जो काउंटरों पर थी ही नहीं। ऐसे में मरीज व परिजन चक्कर काटते रहे। ज्यादातर मरीजों को पांच में से दो या तीन दवाएं बाहर से भी खरीदनी पड़ी। ऐसे में सरकार की ओर से मरीजों को सभी आवश्यक दवाएं निशुल्क उपलब्ध कराने के दावे फेल होते नजर आ रहे हैं।
कुछ यूं बढ़ा आउटडोर का आंकड़ा : निशुल्क दवा योजना लागू होते ही जिले के सरकारी अस्पतालों में आउटडोर का आंकड़ा दुगुने से भी ज्यादा हो गया है। सिरोही के जिला अस्पताल में औसत आंकड़ा 350-400 मरीज प्रतिदिन है यह बढ़कर अब 750-850 तक पहुंच गया है। आबूरोड में 100-150 से 250-300 एवं शिवगंज में 300-350 से 700-800 तक पहुंच गया हैसोमवार को सिरोही में 726, शिवगंज में 840 एवं आबूरोड में 300 मरीज अस्पताल पहुंचे। बीते दिनों से अस्पतालों में बढ़ रहा मरीजों का आंकड़ा मेडिकल विभाग के लिए सिर दर्द बन गया है। अस्पतालों में पहले से ही सूची के अनुरूप सभी दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पाई है। ऐसे में मरीजों का दबाव योजना पर भारी पडऩे लगा है।
क्या हकीकत, क्या फसाना
प्रथम चरण में सभी सरकारी अस्पतालों में 200 दवाएं उपलब्ध करानी थीं। सभी दवा वितरण केंद्रों पर यह सुनिश्चित किया जाना था कि किसी भी मरीज को दवा लेने में कोई दिक्कत न हो।
मुख्यमंत्री के बजट भाषण में दवा वितरण योजना की घोषणा होने के बावजूद आठ महीने में दवा का प्रबंध नहीं हो सका।
कोई भी योजना नई लागू होने के बाद नई व्यवस्था स्थापित होने में कुछ समय तो लगता ही है। उपलब्ध सूची के अनुसार सभी दवाएं आगामी कुछ दिनों में उपलब्ध करा दी जाएगी। हालांकि राष्ट्रीय कार्यक्रमों की दवाएं पहले से ही अस्पतालों में निशुल्क दी जा रही है।अन्य प्रकार की दवाइयां भी अस्पतालों में मौजूद होने से मरीजों को ज्यादा परेशानी नहीं होगी।
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