अनोखा हैं गुफा वाला नौ नाथ द्वार
अलवर। अलवर जिले की सीमा के समीप ही फिरोजपुर झिरका स्थित नौ नाथ द्वार मंदिर के नाम से प्रसिद्ध शिवालय द्वापरकालीन है। सुरम्य पहाड़ों के बीच स्थित इस मंदिर के पास से पूरे साल जलधारा बहती है। इस शिवालय में श्रावण मास व महाशिवरात्रि सहित प्रमुख त्योहारों पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
गुफा में हैं शिव परिवार
यह शिवालय पहाड़ पर बनी गुफा में बना हुआ है। जिसमें नौ शिवलिंग तथा शिव परिवार मौजूद है। शिव मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष अनिल गोयल तथा मंत्री गिर्राज प्रसाद ने बताया कि पाण्डव जब अज्ञातवास में थे तब उन्होंने इस गुफा में भगवान शिव की तपस्या की थी। उस समय यहां एक शिवलिंग था।
बाद में यहां और शिवलिंग निकलते गए तथा आज इस शिवालय में नौ शिवलिंग मौजूद हैं। गुफा का द्वार साढ़े 5 फीट का है। शिवालय के अन्दर एक-दो व्यक्तियों के बैठने लायक जगह ही है। शिवालय के ऊपर एक अन्य गुफा में हनुमान जी विराजमान हैं। शिवालय 105 फीट ऊंचा है। यहां पहुंचने के लिए एक सौ से अधिक सीढियां पार करनी पड़ती है।
मंदिर निर्माण कराया तहसीलदार ने
समिति अध्यक्ष अनिल गोयल ने बताया कि द्वापर कालीन शिव गुफा का वर्ष 1776 में तत्कालीन तहसीलदार पं. जीवन लाल शर्मा को पहाड़ी रास्ते से गुजरते समय पता चला। जहां उनके द्वारा पूजन व आराधना के बाद संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होने पर मंदिर का निर्माण कराया गया। इसके बाद समिति ने 1970 में मंदिर का विस्तार कराया।
पहले शीश झुकता है माता के
मंदिर की परिधि में बने द्वार के बाद पहला पड़ाव दर्शन में मां वैष्णव का मंदिर भक्तों की ओर से बनवाया गया है। इसके बाद चौक में स्थापित नंदी बाबा की करीब दस फीट ऊंची व आकर्षक प्रतिमा। प्राचीन शिवालय के बांई तरफ हनुमान जी का मंदिर बनवाया गया। हनुमान मंदिर शिवालय से भी करीब पचास सीढ़ी ऊपर है।
शिवालय व हनुमान मंदिर के बीच कृत्रिम रूप से बनाया झरना, वहां विराजित शिव प्रतिमा के सिर से निकलती गंगा की धार सभी श्रद्धालुओंं को आकर्षित करती है। शिव मंदिर विकास समिति की ओर से दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने तथा भण्डारे आदि के लिए सभी सुविधाएं मंदिर की ओर से प्रदान की गई हैं। श्रावण मास, महाशिवरात्रि सहित अनेक बड़े त्योहारों तथा मन्नत पूरी होने पर भण्डारे किए जाते हैं।
अलवर। अलवर जिले की सीमा के समीप ही फिरोजपुर झिरका स्थित नौ नाथ द्वार मंदिर के नाम से प्रसिद्ध शिवालय द्वापरकालीन है। सुरम्य पहाड़ों के बीच स्थित इस मंदिर के पास से पूरे साल जलधारा बहती है। इस शिवालय में श्रावण मास व महाशिवरात्रि सहित प्रमुख त्योहारों पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
गुफा में हैं शिव परिवार
यह शिवालय पहाड़ पर बनी गुफा में बना हुआ है। जिसमें नौ शिवलिंग तथा शिव परिवार मौजूद है। शिव मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष अनिल गोयल तथा मंत्री गिर्राज प्रसाद ने बताया कि पाण्डव जब अज्ञातवास में थे तब उन्होंने इस गुफा में भगवान शिव की तपस्या की थी। उस समय यहां एक शिवलिंग था।
बाद में यहां और शिवलिंग निकलते गए तथा आज इस शिवालय में नौ शिवलिंग मौजूद हैं। गुफा का द्वार साढ़े 5 फीट का है। शिवालय के अन्दर एक-दो व्यक्तियों के बैठने लायक जगह ही है। शिवालय के ऊपर एक अन्य गुफा में हनुमान जी विराजमान हैं। शिवालय 105 फीट ऊंचा है। यहां पहुंचने के लिए एक सौ से अधिक सीढियां पार करनी पड़ती है।
मंदिर निर्माण कराया तहसीलदार ने
समिति अध्यक्ष अनिल गोयल ने बताया कि द्वापर कालीन शिव गुफा का वर्ष 1776 में तत्कालीन तहसीलदार पं. जीवन लाल शर्मा को पहाड़ी रास्ते से गुजरते समय पता चला। जहां उनके द्वारा पूजन व आराधना के बाद संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होने पर मंदिर का निर्माण कराया गया। इसके बाद समिति ने 1970 में मंदिर का विस्तार कराया।
पहले शीश झुकता है माता के
मंदिर की परिधि में बने द्वार के बाद पहला पड़ाव दर्शन में मां वैष्णव का मंदिर भक्तों की ओर से बनवाया गया है। इसके बाद चौक में स्थापित नंदी बाबा की करीब दस फीट ऊंची व आकर्षक प्रतिमा। प्राचीन शिवालय के बांई तरफ हनुमान जी का मंदिर बनवाया गया। हनुमान मंदिर शिवालय से भी करीब पचास सीढ़ी ऊपर है।
शिवालय व हनुमान मंदिर के बीच कृत्रिम रूप से बनाया झरना, वहां विराजित शिव प्रतिमा के सिर से निकलती गंगा की धार सभी श्रद्धालुओंं को आकर्षित करती है। शिव मंदिर विकास समिति की ओर से दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने तथा भण्डारे आदि के लिए सभी सुविधाएं मंदिर की ओर से प्रदान की गई हैं। श्रावण मास, महाशिवरात्रि सहित अनेक बड़े त्योहारों तथा मन्नत पूरी होने पर भण्डारे किए जाते हैं।
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