सोमवार, 31 अक्टूबर 2011

1500 साधकों की क्षमता वाली विशाल यज्ञशाला भी पडऩे लगी छोटी

1500 साधकों की क्षमता वाली विशाल यज्ञशाला भी पडऩे लगी छोटी

जालोर नंदगांव में चल रहे श्री भारतीय गोकल्याण महोत्सव में आध्यात्म और सुस्वास्थ्य का अलौकिक संगम हो रहा है। श्रद्धालु प्रतिदिन हजारों गोमाताओं की पांच किलोमीटर लंबी गो परिक्रमा और यज्ञ में आहुतियां देकर आध्यात्म लाभ अर्जित कर रहे हैं।

बालव्यास राधाकृष्ण महाराज के सानिध्य में श्रद्धालुओं को पंचामृत एवं पंचगव्य का पान कराकर गो परिक्रमा प्रारंभ हुई। वेदविद पंडित गंगाधर पाठक के आचार्यत्व में सुबह 8 बजे से साढ़े 3 बजे तक तथा साढ़े 3 बजे से शाम 6 बजे तक विशाल यज्ञशाला में आहुतियां दी गई। राजस्थान सहित मध्यप्रदेश, गुजरात, चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई, गोवा आदि कई स्थानों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु नंदगांव पहुंच रहे हैं।

इससे 1500 साधकों की क्षमता वाली विशाल यज्ञशाला भी छोटी लगने लगी है। रविवार को भी यज्ञशाला में खड़ी गोवत्सों सहित 55 गोमाताओं, मुख्य गोमाता समृद्धि मैया, नंदियों व वृशभों का पूजन हुआ।

यज्ञशाला के सामने सत्संग मंच से संबोधित करते हुए रविवार को गोधाम पथमेड़ा के प्रधान संरक्षक एवं संस्थापक स्वामी दत्तशरणानंद महाराज ने कहा कि संसार में गाय ही एक मात्र ऐसा प्राणी है जो सबको देती ही देती है।

देने वाले को ही देवत्व की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि गोमाता के पंचगव्य में ऐसी शक्ति होती है जो पंचतत्वों में व्याप्त प्रदूषण को दूर कर सकती है। उन्होंंने बताया कि आज आकाश, वायु, पृथ्वी, अग्नि और जल ये पंच महाभूत विषैले हो चुके हैं। जिन्हें मात्र पंचगव्य से ही शुद्ध किया जा सकता है। आयोजन के संयोजक मलूकपीठाधीश्वर महंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि संसार में जितने भी दूध देने वाले प्राणी हैं उन्हें क्षीरसागर से गोमाता ही दूध प्रदान करती है। गोमाता का दूध अमृत के समान है और तेज व आयु प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि गोधाम पथमेड़ा में लाखों गोवंश को पाला जा रहा है। जिसके परिणाम से ही सुरभि महामंत्र अनुष्ठान संभव हो पाया है। इस अवसर पर बालव्यास, राधाकृष्ण महाराज, महंत दिनेश गिरी महाराज, ज्ञानानंद महाराज सहित कई संत मौजूद थे। इनके अलावा सिणधरी के रघुनाथ भारती महाराज, कबीर आश्रम के निर्मलदास महाराज, अवधूत महाराज, नेमीनाथ महाराज, सुमन सुलभ महाराज, गोविंदवल्लभ महाराज, दीनदयाल महाराज, अशोज महाराज, रामरतन महाराज समेत कई साधु संत सभी अनुष्ठानों व धार्मिक गतिविधियों को मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं।

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