नई दिल्ली. गुजरात दंगों के दौरान पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी हत्याकांड मामले में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फिलहाल राहत मिलती दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका के बारे में निचली अदालत ही फैसला करेगी। सोमवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गुलबर्ग सोसायटी कांड की रिपोर्ट मजिस्ट्रेट के पास भेज दी जो इस पर फैसला लेंगे। यह रिपोर्ट एसआईटी जांच पर कोर्ट के सलाहकार की ओर से तैयार की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी के खिलाफ मुकदमा चलाने के पर्याप्त सबूत नहीं हैं। नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ट्विटर पर टिप्पणी की है, 'भगवान महान है।' गुजरात सरकार के प्रवक्ता जयनारायण व्यास ने कहा कि गुजरात दंगे के पीडितों को बहुत पहले ही न्याय मिलता, लेकिन सामाजिक संगठनों ने अड़ंगा लगा दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह मजिस्ट्रेट पर निर्भर करता है कि वह दंगे मामले में मोदी और 63 अन्य के खिलाफ अदालती कार्यवाही आगे बढ़ाते हैं या नहीं। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट से जाफरी की विधवा की अर्जी सुनने को कहा है यदि मजिस्ट्रेट मोदी और अन्य के खिलाफ मामला बंद करने का फैसला करते हैं। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की जांच पर आगे से निगरानी भी नहीं रखेगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी और उनकी बेटी ने कहा कि अदालत के फैसले से उन्हें निराशा हुई है। वहीं मोदी के वकील यतिन ओझा ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले को नरेंद्र मोदी खेमा जीत मान रहा है। दूसरी ओर सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता शीतलवाड़ इस फैसले को मोदी के लिए पूरी तरह राहत नहीं मान रही हैं और उनका कहना है कि न्याय की ओर एक बड़ा कदम है।
बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद बलबीर पुंज का कहना है कि पार्टी इस के मामले के चलते थोड़ी लाचार नजर आ रही थी लेकिन अब नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर गुजरात सरकार की ओर से थोड़ी देर में बयान आने की उम्मीद है। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मोदी को बदनाम करने की कोशिश 10 सालों से चल रही है। लेकिन हर बार मोदी बेदाग निकलते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश डीके जैन, पी सतशिवम एवं आफताब आलम की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की है। पीठ ने अदालत मित्र राजू रामचंद्रन और विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट पर संज्ञान के बाद व्यवस्था दी है।
एसआईटी पहले ही गुजरात दंगों के मामले में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे चुकी है। मामले की जांच में जुटी टीम के मुखिया रहे पूर्व आईपीएस अधिकारी आर के राघवन ने कहा कि वो निचली अदालत को पूरा सहयोग करेंगे।
क्या था पूरा मामला?
जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी ने नरेन्द्र मोदी सहित 62 महानुभावों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष जांच दल (एसआईटी) को आरोपों की जांच के आदेश दिए थे। इस मामले में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी एसआईटी के समक्ष पेश हो चुके हैं। हालांकि एसआईटी ने मुख्यमंत्री को क्लीनचिट दे दी थी।
इस आशय की खबरों के बाद पांच मई को अदालत ने अदालत मित्र को स्वतंत्र रूप से निरीक्षण कर रिपोर्ट देने को कहा था। साथ ही रिपोर्ट की छायाप्रति देने की गुजरात सरकार की मांग खारिज कर दी थी। इसी साल अप्रैल में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपी थी। गोधरा कांड के बाद राज्य में भड़के सांप्रदायिक दंगों के समय पूर्वी अहमदाबाद में 2002 में हुए गुलबर्ग कांड में पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित कई लोग मारे गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह मजिस्ट्रेट पर निर्भर करता है कि वह दंगे मामले में मोदी और 63 अन्य के खिलाफ अदालती कार्यवाही आगे बढ़ाते हैं या नहीं। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट से जाफरी की विधवा की अर्जी सुनने को कहा है यदि मजिस्ट्रेट मोदी और अन्य के खिलाफ मामला बंद करने का फैसला करते हैं। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की जांच पर आगे से निगरानी भी नहीं रखेगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी और उनकी बेटी ने कहा कि अदालत के फैसले से उन्हें निराशा हुई है। वहीं मोदी के वकील यतिन ओझा ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले को नरेंद्र मोदी खेमा जीत मान रहा है। दूसरी ओर सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता शीतलवाड़ इस फैसले को मोदी के लिए पूरी तरह राहत नहीं मान रही हैं और उनका कहना है कि न्याय की ओर एक बड़ा कदम है।
बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद बलबीर पुंज का कहना है कि पार्टी इस के मामले के चलते थोड़ी लाचार नजर आ रही थी लेकिन अब नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर गुजरात सरकार की ओर से थोड़ी देर में बयान आने की उम्मीद है। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मोदी को बदनाम करने की कोशिश 10 सालों से चल रही है। लेकिन हर बार मोदी बेदाग निकलते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश डीके जैन, पी सतशिवम एवं आफताब आलम की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की है। पीठ ने अदालत मित्र राजू रामचंद्रन और विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट पर संज्ञान के बाद व्यवस्था दी है।
एसआईटी पहले ही गुजरात दंगों के मामले में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे चुकी है। मामले की जांच में जुटी टीम के मुखिया रहे पूर्व आईपीएस अधिकारी आर के राघवन ने कहा कि वो निचली अदालत को पूरा सहयोग करेंगे।
क्या था पूरा मामला?
जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी ने नरेन्द्र मोदी सहित 62 महानुभावों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष जांच दल (एसआईटी) को आरोपों की जांच के आदेश दिए थे। इस मामले में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी एसआईटी के समक्ष पेश हो चुके हैं। हालांकि एसआईटी ने मुख्यमंत्री को क्लीनचिट दे दी थी।
इस आशय की खबरों के बाद पांच मई को अदालत ने अदालत मित्र को स्वतंत्र रूप से निरीक्षण कर रिपोर्ट देने को कहा था। साथ ही रिपोर्ट की छायाप्रति देने की गुजरात सरकार की मांग खारिज कर दी थी। इसी साल अप्रैल में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपी थी। गोधरा कांड के बाद राज्य में भड़के सांप्रदायिक दंगों के समय पूर्वी अहमदाबाद में 2002 में हुए गुलबर्ग कांड में पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित कई लोग मारे गए थे।
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