सोमवार, 5 सितंबर 2011

राजस्थान के लापता आईएएस नवीन घर पहुंचे

नरवाना/जींद. ‘जब मुझसे अपेक्षा की जाती है कि मैं अपना काम जिम्मेदारी से करूं और जनता के प्रति संवेदनशील रहूं तो सरकार का भी फर्ज है कि वह मेरे परिवार के प्रति संवदेना दिखाए। चूंकि राजस्थान सरकार ने मेरी बात सुन ली है, इसलिए अब मुझे सरकार से कोई शिकायत नहीं है।’

यह बात रात लगभग पौने दस बजे अपने घर नरवाना पहुंचे राजस्थान के आईएएस अधिकारी नवीन जैन ने कही। जैन छह दिन पहले राजस्थान के शाहजहांपुर के एक होटल में अपने परिवार को छोड़ कर लापता हो गए थे। उन्होंने जाते समय अपनी पत्नी को होटल के नेपकिन पेपर पर एक पत्र लिखा था, जिसमें अपनी पीड़ा बताते हुए पत्नी को नरवाना या दिल्ली चले जाने के लिए कहा था।

नवीन जैन ने कहा कि ‘राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सारी बात सुन ली है और मेरे परिवार को तुरंत संभाला है। उन्होंने मुझसे संपर्क किया। मैं सरकार के इस कदम से प्रभावित हूं। इसलिए अब मुझे कोई शिकायत नहीं है। कुछ दिन परिवार के साथ यहां नरवाना में आराम करूंगा, फिर ड्यूटी ज्वाइन कर लूंगा। मुख्यमंत्री से मैंने अपनी छुट्टी मंजूर करवा ली है। बस मेरा यही कहना है कि जिन हालात से मैं गुजरा हूं, ऐसे पल सब की जिंदगी में आते हैं। विस्तार से इन पर मैं बाद में बात कंरूगा।’

नहीं बताया, कहां रहे

परिवार को एक होटल में छोड़कर जाने के बाद कहां रहे, इस बारे में उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने बताया कि रविवार को चंडीगढ़ में कालेज के मित्रों सरदार सुखप्रीत सिंह और अमित के संपर्क में आए तो वे अपने घर लौट आए। उनके दोनों साथी गुड़गांव में निजी कंपनी में कार्यरत्त हैं।

रात में पहुंचे नरवान

नरवाना (जींद). नवीन जैन के यहां पहुंचते ही उनके परिवार वालों और रिश्तेदारों की आंखें भर आईं। उन्होंने जब अपने माता पिता के पैर छुए तो तीनों की आंखों से आंसू बहने लगे। उनके घर पर परिवार वालों और रिश्तेदारों के साथ बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी उनका इंतजार कर रहे थे। उनके चंडीगढ़ से नरवाना के लिए चलने की सूचना यहां पहले ही मिल चुकी थी। जैन के यहां पहुंचते ही लोगों ने उनका मालाओं से स्वागत किया।

मेरे बेटे से हो रहा भेदभाव

नवीन के पिता रायचंद जैन का कहना है कि उनके बेटे को राजस्थान सरकार की ओर से जयपुर में लगभग दो सप्ताह पहले एक मकान अलाट किया गया था। इसके तुरंत बाद भेदभाव करते हुए वह मकान नवीन के किसी जूनियर को अलाट कर दिया गया। उस पर प्रशासनिक अधिकारियों का दबाव भी काफी रहता है।

मैं दबंग अधिकारी हूं

भूमाफिया के दबाव बारे उनके पिता के बयान पर उन्होंने कहा कि पिताजी राजनीति कम समझते हैं। इसलिए, उन्होंने ऐसे ही कह दिया। जो सच्चाई है, वह सब के सामने आ जाएगी। मैं राजस्थान में एक दबंग और सक्षम अधिकारी जाना जाता हूं। मैंने गुर्जर और घड़साना आंदोलन में अपनी काबिलियत दिखाई है। बाढ़ राहत के दौरान मेरे कार्य के लिए मुझे सम्मानित भी किया गया था।


बाद में बताऊंगा डिटेल

नवीन से जब पूरे मामले के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि मैं लंबा सफर करके आया हूं। सारे रिकार्ड और कागज जयपुर में देखे जा सकते हैं। यह पूछे जाने पर कि मकान पर कब्जे को लेकर उनका अधिकारियों से कोई विवाद था, तो उन्होंने कहा कि जयपुर के गांधीनगर मकान पर कब्जे की बात गलत है। मैंने कोई रजिस्टरी नहीं करवा ली है। वहां एक परिवार और रहता है।

दिल-दिमाग तो अलग होते हैं

जब उनसे पूछा गया कि आपने पत्नी और बेटे को बीच सफर में छोड़कर जाने का निर्णय क्यों लिया, तब उन्होंने कहा कि दिल और दिमाग अलग-अलग होते हैं। कई बार मन सोचता है कि काश मेरे साथ ऐसा होता, लेकिन हो नहीं पाता। उस स्थिति में आम आदमी की जो मनोस्थिति होती है, वह एक आईएएस व राजनेता की भी हो सकती है। तनाव के समय जो निर्णय लिया जाता है, वह तत्कालीन होता है।

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