गुरुवार, 15 सितंबर 2011

बच्चों की अर्थियां उठी तो हर किसी की आंख नम थी

हर आंख नम, गूंजी चित्कारें

जालोर.उम्मेदाबाद। सांफाडा और डांगरा गांव मे पसरा सन्नाटा चीख-चीख कर दिल दहलाने वाले हादसे की गवाही देता रहा। जीवनदायिनी कही जाने वाली जवाई नदी कई घरों की रोशनी छीन ले गई। गांवों मे जब एक साथ इन बच्चों की अर्थियां उठी तो हर किसी की आंख नम थी। हर तरफ गूंज रहा करूण कं्रदन ने हर किसी की रूलाई फूट रही थी।
मंगलवार दोपहर जवाई नदी अचानक काल बन कर नौ जिंदगियां लील गई। डांगरा गांव के पांच और केशवना नदी में सांफाड़ा गांव के तीन बच्चे समेत एक अधेड़ के शव बुधवार दोपहर तक निकाल लिए गए। केशवना हादसे मे एक बच्चे को जीवित निकाल लिया गया था। दो बच्चों तनसिंह और महेन्द्र के शव मंगलवार रात को ही बाहर निकाल लिए गए। इसके बाद देर रात को नाथाराम और किशन के शव भी निकाल लिए गए। डांगरा गांव मे बहे पांच बच्चो मे से दो बच्चो रामाराम और रमेश को जीवित निकाला गया था। जिन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। वहीं बचाव दल ने देर रात लेहराराम का शव भी बाहर निकाल लिया था। इसके बाद सुबह आठ बजे सांवलाराम और दोपहर 12 बजे चेनाराम के शव भी निकाल लिए गए। इधर, जिला प्रशासन ने राज्य सरकार से बात कर जल्द ही मृतकों के परिजनो को एक-एक लाख रूपए की आर्थिक सहायता देने की बात कही।
ऑपरेशन में अड़चन
आपदा प्रबंधन के नाम पर तैयारियों का दावा करने वाला जिला प्रशासन इस पूरे हादसे मे केवल मूक दर्शक बना रहा। रात मे लाइट की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन मे काफी परेशानियो का सामना करना पड़ा। ग्रामीणो ने अपने स्तर पर टै्रैक्टर और बैटरी की व्यवस्था की। जिससे कुछ हद तक बचाव कार्य मे सहायता मिली।
जब टूट गए सपने
स्कूल से घर के लिए डांगरा गांव के 50 बच्चों का दल नदी मे नहाने के लिए रूका था। इनमें से पांच बच्चे पीछे रह गए। जगह-जगह गड्ढे और कच्ची मिट्टी के कारण ये बच्चे डूब गए। रमेश के पिता मीठालाल ने बेटे को उच्च शिक्षा दिलाने के ख्वाब संजोए था। लेकिन उनके अरमानो पर कुदरत ने पानी फेर दिया। रामाराम के पिता हड़मताराम अपने बेटे को आईपीएस या बड़ा प्रशासनिक अधिकारी बनाना चाहते थे, लेकिन सपने टूट गए।

मिसाल कायम कर गया नाथाराम
मिसाल कायम कर गया नाथाराम
सांफाड़ा निवासी नाथाराम अपनी दिलेरी से सभी ग्रामीणो केे लिए एक मिसाल कायम कर गया। केशवना में जवाई नदी में मंगलवार शाम करीब चार बच्चे बहे। इनमे से जसवंतसिंह काफी मशक्कत कर बाहर निकल आया। जिसने वहां से गुजर रहे नाथाराम को इसकी सूचना दी। नाथाराम ने अपनी जान की परवाह किए बगैर बच्चो को बचाने के लिए नदी मे छलांग लगा दी। ग्रामीणो के अनुसार तीन बच्चे उससे लिपट गए, लेकिन मिट्टी और फिसलन होने के कारण नाथाराम बच्चों को बचाने में कामयाब नहीं हो पाया और मासूमों की जिंदगी बचाने के लिए अपनी जिंदगी भी गंवा बैठा।

इनका कहना है...
जवाई नदी मे बच्चो के डूबने की घटना काफी दुखद है। प्रमुख शासन सचिव से बात कर मृतकों के परिजनों को आपदा प्रबंधन मद से एक-एक लाख रूपए सहायता राशि दिलाई जाएगी।
केवल कुमार गुप्ता
जिला कलक्टर, जालोर

20 घंटे तक चली कवायद
केशवना नदी में मंगलवार शाम करीब चार बजे हादसा हुआ। इसके बाद से सांफाड़ा के ग्रामीणों ने बचाव कार्य शुरू कर दिया। शाम करीब पांच बजे डांगरा गांव मे भी पांच जनो के डूबने के समाचार मिले। प्रशासनिक अमला पुलिस दल के साथ दोनों घटना स्थलो पर पहुंचा, लेकिन शवो को निकालने मे सफलता नहीं मिल पाई। इसके बाद डांगरा गांव मे बालोतरा से मालवीय बंधुओ की टीम बुलाई गई। वहीं सांफाड़ा मे सिरोही और जोधपुर से आई टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। जो बुधवार दोपहर 12 बजे तक चला।

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