महात्मा गांधी नरेगा मंे बन सकेंगे नए कुंए
-महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत नए कुंए खोदने के साथ पुराने कुंआंे को गहरा करवाया जा सकेगा।
बाड़मेर, 13 सितंबर। महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत नए कुंए खुदवाने के साथ पुराने कुंआंे को गहरा कराया जा सकेगा। अपना खेत अपना काम योजना के तहत खेत मंे सिंचाई की सुविधा के लिए नए कुंआ निर्माण के साथ कुंआंे के गहरीकरण के प्रस्ताव तैयार किए जा सकते है।
जिला कार्यक्रम समन्वयक एवं जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार डार्क जोन को छोड़कर दूसरे इलाकांे मंे कुंआ निर्माण के कार्य करवाए जा सकते है। इसके लिए व्यक्तिगत श्रेणी के कार्य के लिए अनुमत राशि 1.50 लाख तक का बजट खर्च किया जा सकेगा। इसमंे 60 फीसदी राशि श्रम एवं 40 फीसदी राशि सामग्री मद पर खर्च की जा सकेगी। श्रम एवं सामग्री पर होने वाले व्यय का अनुपात प्रति पखवाडे़ संधारित करना होगा। जिला कलेक्टर के मुताबिक सामग्री मद पर 40 फीसदी से अधिक खर्च होने पर प्रार्थी स्वयं को वहन करना होगा। अगर प्रार्थी सामग्री मद पर 40 फीसदी से अधिक व्यय होेने पर स्वयं वहन करने के लिए तैयार नहीं होगा तो इस तरह की स्वीकृतियां जारी नहीं की जाएगी। जिन इलाकांे मंे पानी सिंचाई योग्य नहीं है वहां कुंआ निर्माण के कार्य स्वीकृत नहीं किए जाएंगे।
जिला कलेक्टर ने बताया कि कार्य स्वीकृति से पूर्व प्रार्थी से यह शपथ पत्र लिया जाएगा कि सामग्री मद पर 40 फीसदी से अधिक राशि खर्च होने पर वह स्वयं वहन करेगा। साथ ही कार्य अपूर्ण नहीं छोड़ेगा। कार्य अपूर्ण रहने की स्थिति मंे लाभार्थी से उस कार्य पर व्यय की गई राशि वापिस लौटानी होगी। इस आशय का शपथ पत्र भी लिया जाएगा। कुंआ खुदाई का कार्य जोखिमपूर्ण होने की वजह से प्रत्येक पखवाड़े मंे एक मर्तबा तकनीकी अधिकारी द्वारा इसके निरीक्षण के निर्देश जारी किए गए है। पूर्व मंे विद्यमान कुंए के गहरीकरण के लिए वर्तमान कुंए की नाप, इसकी वर्तमान स्थिति का इन्द्राज कार्य की पत्रावली, माप पुस्तिका एवं तकमीने मंे करने के साथ कनिष्ठ तकनीकी सहायक एवं सहायक अभियंता को इसको सत्यापित करना होगा। राज्य सरकार ने कुंआ निर्माण के स्थान पर अधिकाधिक फार्म पौंड निर्माण एवं अन्य हार्वेस्टिंग सिस्टम के जरिए पानी एकत्रित कर सिंचाई के लिए इस्तेमाल करने वाले कार्याें को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए है।
बैंक स्टेटमेंट एवं रोकड़ बही का प्रतिमाह करना होगा मिलान
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ग्राम पंचायतांे के पास महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत अधिक राशि होने पर वापिस मंगाने के निर्देश
बाड़मेर, 13 सितंबर। महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत बैंक स्टेटमेंट एवं रोकड़ बही का प्रति माह मिलान करने के निर्देश दिए गए है। ताकि वित्तीय अनियमितता पर रोक लगाई जा सके।
जिला कार्यक्रम समन्वयक एवं जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार पंचायत समिति के लेखाकार एवं लेखा सहायकांे को निर्देशित किया गया है कि वे प्रत्येक माह प्रत्येक ग्राम पंचायत के ग्रामसेवकांे का एक कार्यक्रम बनाकर रोकड़ बही एवं बैंक स्टेटमेंट के साथ बुलाएं। इसके बाद बैंक स्टेटमंेट एवं रोकड़ बही का मिलान करें। ऐसा नहीं हो कि ग्राम पंचायत द्वारा चैक जारी कर दिए गए हो लेकिन उसका केश बुक मंे इन्द्राज नहीं किया गया हो। इसके बाद प्रत्येक माह की रोकड़ पुस्तिका की एमआईएस मैनेजर की मदद से एमआईएस फीडिंग करवाकर इसका प्रमाण पत्र रोकड़ पुस्तिका मंे लगाएं। यदि किसी माह मंे ग्राम पंचायत मंे सामग्री मद मंे कोई व्यय नहीं हुआ है तो रोकड़ पुस्तिका की अंतिम तिथि के पेज मंे यह इन्द्राज किया जाए कि इस माह मंे ग्राम पंचायत मंे कोई व्यय नहीं हुआ है। ताकि पीछे की तारीखांे मंे कोई व्यवहार नहीं किया जा सके। जिला कलेक्टर के मुताबिक 16 नवंबर 2009 को जारी निर्देशों के अनुसार 1500 तक पंजीकृत परिवारांे वाली पंचायतांे को रिवाल्विंग फंड के रूप मंे 4 लाख एवं 1500 से अधिक परिवारांे वाली ग्राम पंचायतांे को रिवाल्विंग फंड के रूप मंे 5 लाख रूपए दिए जा सकते है। अगर किसी पंचायतांे के पास अगर रिवाल्विंग फंड से अधिक राशि विद्यमान है तो उस राशि को वापिस लेने के निर्देश दिए गए है।
-महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत नए कुंए खोदने के साथ पुराने कुंआंे को गहरा करवाया जा सकेगा।
बाड़मेर, 13 सितंबर। महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत नए कुंए खुदवाने के साथ पुराने कुंआंे को गहरा कराया जा सकेगा। अपना खेत अपना काम योजना के तहत खेत मंे सिंचाई की सुविधा के लिए नए कुंआ निर्माण के साथ कुंआंे के गहरीकरण के प्रस्ताव तैयार किए जा सकते है।
जिला कार्यक्रम समन्वयक एवं जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार डार्क जोन को छोड़कर दूसरे इलाकांे मंे कुंआ निर्माण के कार्य करवाए जा सकते है। इसके लिए व्यक्तिगत श्रेणी के कार्य के लिए अनुमत राशि 1.50 लाख तक का बजट खर्च किया जा सकेगा। इसमंे 60 फीसदी राशि श्रम एवं 40 फीसदी राशि सामग्री मद पर खर्च की जा सकेगी। श्रम एवं सामग्री पर होने वाले व्यय का अनुपात प्रति पखवाडे़ संधारित करना होगा। जिला कलेक्टर के मुताबिक सामग्री मद पर 40 फीसदी से अधिक खर्च होने पर प्रार्थी स्वयं को वहन करना होगा। अगर प्रार्थी सामग्री मद पर 40 फीसदी से अधिक व्यय होेने पर स्वयं वहन करने के लिए तैयार नहीं होगा तो इस तरह की स्वीकृतियां जारी नहीं की जाएगी। जिन इलाकांे मंे पानी सिंचाई योग्य नहीं है वहां कुंआ निर्माण के कार्य स्वीकृत नहीं किए जाएंगे।
जिला कलेक्टर ने बताया कि कार्य स्वीकृति से पूर्व प्रार्थी से यह शपथ पत्र लिया जाएगा कि सामग्री मद पर 40 फीसदी से अधिक राशि खर्च होने पर वह स्वयं वहन करेगा। साथ ही कार्य अपूर्ण नहीं छोड़ेगा। कार्य अपूर्ण रहने की स्थिति मंे लाभार्थी से उस कार्य पर व्यय की गई राशि वापिस लौटानी होगी। इस आशय का शपथ पत्र भी लिया जाएगा। कुंआ खुदाई का कार्य जोखिमपूर्ण होने की वजह से प्रत्येक पखवाड़े मंे एक मर्तबा तकनीकी अधिकारी द्वारा इसके निरीक्षण के निर्देश जारी किए गए है। पूर्व मंे विद्यमान कुंए के गहरीकरण के लिए वर्तमान कुंए की नाप, इसकी वर्तमान स्थिति का इन्द्राज कार्य की पत्रावली, माप पुस्तिका एवं तकमीने मंे करने के साथ कनिष्ठ तकनीकी सहायक एवं सहायक अभियंता को इसको सत्यापित करना होगा। राज्य सरकार ने कुंआ निर्माण के स्थान पर अधिकाधिक फार्म पौंड निर्माण एवं अन्य हार्वेस्टिंग सिस्टम के जरिए पानी एकत्रित कर सिंचाई के लिए इस्तेमाल करने वाले कार्याें को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए है।
बैंक स्टेटमेंट एवं रोकड़ बही का प्रतिमाह करना होगा मिलान
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ग्राम पंचायतांे के पास महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत अधिक राशि होने पर वापिस मंगाने के निर्देश
बाड़मेर, 13 सितंबर। महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत बैंक स्टेटमेंट एवं रोकड़ बही का प्रति माह मिलान करने के निर्देश दिए गए है। ताकि वित्तीय अनियमितता पर रोक लगाई जा सके।
जिला कार्यक्रम समन्वयक एवं जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार पंचायत समिति के लेखाकार एवं लेखा सहायकांे को निर्देशित किया गया है कि वे प्रत्येक माह प्रत्येक ग्राम पंचायत के ग्रामसेवकांे का एक कार्यक्रम बनाकर रोकड़ बही एवं बैंक स्टेटमेंट के साथ बुलाएं। इसके बाद बैंक स्टेटमंेट एवं रोकड़ बही का मिलान करें। ऐसा नहीं हो कि ग्राम पंचायत द्वारा चैक जारी कर दिए गए हो लेकिन उसका केश बुक मंे इन्द्राज नहीं किया गया हो। इसके बाद प्रत्येक माह की रोकड़ पुस्तिका की एमआईएस मैनेजर की मदद से एमआईएस फीडिंग करवाकर इसका प्रमाण पत्र रोकड़ पुस्तिका मंे लगाएं। यदि किसी माह मंे ग्राम पंचायत मंे सामग्री मद मंे कोई व्यय नहीं हुआ है तो रोकड़ पुस्तिका की अंतिम तिथि के पेज मंे यह इन्द्राज किया जाए कि इस माह मंे ग्राम पंचायत मंे कोई व्यय नहीं हुआ है। ताकि पीछे की तारीखांे मंे कोई व्यवहार नहीं किया जा सके। जिला कलेक्टर के मुताबिक 16 नवंबर 2009 को जारी निर्देशों के अनुसार 1500 तक पंजीकृत परिवारांे वाली पंचायतांे को रिवाल्विंग फंड के रूप मंे 4 लाख एवं 1500 से अधिक परिवारांे वाली ग्राम पंचायतांे को रिवाल्विंग फंड के रूप मंे 5 लाख रूपए दिए जा सकते है। अगर किसी पंचायतांे के पास अगर रिवाल्विंग फंड से अधिक राशि विद्यमान है तो उस राशि को वापिस लेने के निर्देश दिए गए है।
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