कुरजां ऎ म्हारी भंवर मिला दीजौ..
बाड़मेर शीतकालीन प्रवास के लिए सात समंदर पार कर ठंडे मुल्क के प्रवासी परिंदें कुरजां ने शुक्रवार को पचपदरा में दस्तक दी। डैने पसारकर तुर्र तुर्र के कलरव के साथ कुरजां के पहले जत्थे ने जब पचपदरा की जमीन पर कदम रखा, तो फिजां में जैसे नई रौनक घुल गई। खेत खलिहान, मैदान व तालाब के किनारे कुरजां के मधुर कलरव व उनकी स्वच्छंद अठखेलियों को देखने वाले एकटक निहारते रह गए।
इस बार क्षेत्र में अच्छी बारिश के चलते कस्बे के तालाब व तालर मैदान पानी से लबालब भरे पड़े हैं। धरती ने हरियाली की चादर ओढ़ रखी है। अच्छी बरसात से खेतों में फसलें भी लहलहा रही है। चुग्गे व पानी की कोई कमी नहीं है। ऎेसे में ठंडे मुल्कों से शीतकालीन प्रवास के लिए आए प्रवासी परिंदें कुरजां के लिए यहां की आबोहवा हर लिहाज से अनुकूल है।
इस बार कुरजां की आवक व संख्या बीते वष्ाोü की तुलना में ज्यादा देखी जा रही है। पचपदरा के हरजी, इमरतिया, गुलाब सागर, धीयारनाडी, इयानाडी, चिरढ़ाणी, नवोड़ा तालाब तथा इनसे सटे मैदानों मे बड़ी संख्या में कुरजों के समूह स्वच्छंद अठखेलियां करते देखे जा सकते हैं। प्रवासी परिंदों का क्षेत्र में छह माह तक पड़ाव रहेगा। फरवरी माह के अंत तक गर्मी की दस्तक के साथ ही पाहुणां पंखेरू स्वदेश के लिए वापसी की उड़ान भरेंगे।
सुरक्षा के लिए पहरेदारी
प्रवासी परिंदें अपनी सुरक्षा का विशेष घेरा बनाए रखते हैं। रात के वक्त या दिन में पड़ाव के दौरान कुरजां के समूह के चारों तरफ पहरेदार की तरह कुछ परिंदें शिकारी व जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए तैनात रहते हैं। जब कभी खतरा महसूस होता है तो सुरक्षा घेरे के अंतिम सिरे पर तैनात कुरजां दल में शामिल अन्य परिंदों कोे विशेष ध्वनि निकालकर सावचेत कर देती है। प्रवासी परिंदों को संरक्षण प्रदान करने तथा पर्यटन विकास के लिए सरकारी स्तर पर पिछले कई वर्षो से प्रयास नहीं हो रहे हैं। शिकार की घटनाएं बढ़ रही है। बीते वर्षो में कुरजां की आवक में भी कमी आई है। पर्यटन विकास की प्रस्तावित योजना डेढ़ दशक से फाइलों में बंद है। इस स्थिति के चलते सात समंदर पार से आने वाले पाहुणां परिंदों को शीतकालीन प्रवास के दौरान परेशानियां झेलनी पड़ती है।
अनुशासन काबिले तारीफ
कुरजां पक्षियों में अनुशासन देखते ही बनता है। वी आकार में सैकड़ों परिंदें एक साथ आसमान में उड़ान भरते हैं। सबसे अग्रिम पंक्ति में चल रही कुरजां के पीछे सारा दल फौज के अनुशासित सिपाहियों की तरह उड़ान भरता रहता है। दल के मुखिया के पड़ाव के लिए जमीन की ओर उतरने के बाद ही दल में शामिल सारे परिंदें उसके पीछे पीछे उतरते हैं।
मांग की है
भारतीय पर्यटन विकास निगम के चैयरमेन डॉ.ललित के.पंवार से मांग की गई थी। डॉ.पंवार ने यहां पर प्रवासी परिंदो के संरक्षण व पर्यटन विकास के लिए विशेष प्रयास करने का भरोसा दिलाया है।
एडवोकेट विजयसिंह राठौड़ पूर्व सरपंच पचपदरा
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