गुरुवार, 29 सितंबर 2011

दिल का कोई विकल्‍प नहीं



दुनिया एक है दिल भी एक है। दुनिया की तरह दिल का भी कोई विकल्‍प नहीं है। इसलिए इस बार हार्ट डे का स्लोगन है ‘ए हार्ट फॉर लाइफ’।

वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के मुताबिक दुनिया में हर साल 17.1 करोड़ लोग हृदय रोग और स्ट्रोक से मरते है। भारत में हर साल 20 लाख लोग कोरोनरी हार्ट डिजीज की बीमारी से मरते हैं। ज्यादातर लोगों को मालूम नहीं है कि उनकी अपनी जीवन शैली ही उनके दिल के लिए जोखिम पैदा कर रही है।

विश्‍व ह्रदय फांउडेशन का कहना है कि दिल की दौरे की वजह से समय से पहले होने वाली 80 प्रतिशत मौतों को समय से पहले रोका जा सकता है।

वहीं फार्टिस एस्‍कॉर्ट के सहायक निदेशक एवं इंटरवेंशनल कार्डियोलोजिस्‍ट डॉक्‍टर प्रवीर अग्रवाल का कहना है कि ह्रदय बेशकीमती है। खानपान की आदतों, शारीरिक गतिविधियों, ध्रूम्रपान में कटौती, शराब पर नियंत्रण और तनावरहित लाइफस्‍टाइल जैसी आदतों को अपना कर इसे स्‍वस्‍थ रखा जा सकता है।

मेदांता मेडीसिटी के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग के अध्‍यक्ष डॉ प्रवीन चंद्रा का कहना है कि ह्रदय रोगों को केवल 15 प्रतिशत इलाज से तथा बाकी का जीवनशैली में सुधार पर निर्भर करता है।

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