सोमवार, 5 सितंबर 2011

आंखो पर पट्टी, कानो मे घुंघरूकी खनक


आंखो पर पट्टी, कानो मे घुंघरूकी खनक

जैसलमेर। उन्हे कुदरत ने सुंदर आंखें व स्वस्थ शरीर दिया है, बावजूद कलात्मक सुंदरता, जीवनशैली व संस्कृति की अनुभूति आंखो पर पट्टी बांध कर करने का अनूठा शौक है। जैसलमेर की सुंदरता को निहारने व मधुर स्मृतियो को कैमरे मे कैद करने के लिए तो हजारो किलोमीटर की दूरी तय कर लाखो सैलानी हर साल यहां पहुंचते हंै, लेकिन विदेश से आए ये विद्यार्थी बंद आंखो से शरीर की अन्य इंद्रियो को सक्रिय कर इसी अनूठे अनुभव की चाह मे ही सात समंदर पार से यहां आए हैं।

आंखे बंद कर शरीर की अन्य इंद्रियो को सक्रिय करना और आवाज व गंध से यहां के परिवेश को अनुभव करना आसान नहीं है। बावजूद इसके ये विदेशी सैलानी स्वर्णनगरी मे इस कठिन लेकिन अनूठे अनुभव को लेकर बेहद रोमांचित हैं।

घुंघरूकी आवाज पर डगर का सफर
अहमदाबाद की सेप्ट यूनिवर्सिटी की ओर से स्वर्णनगरी मे आया देशी-विदेशी विद्यार्थियो का दल इन दिनो आंखो पर पट्टी बांध कर व अपने साथी के हाथो से घूंघरू बजाने की आवाज सुन कर यहां के पर्यटन स्थलो की डगर की ओर बढ़ता देखा जा सकता है। यही नहीं वे आंखो मे काली पट्टी बांध कर ही यहां सजी दुकानो मे रखे सामान की प्रकृति को जानने का भी प्रयास कर रहे हैं।

आकष्ाüण का केंद्र बने विद्यार्थी
दरअसल स्वर्णनगरी मे एक वर्कशॉप के तहत आए देशी-विदेशी विद्यार्थियो का दल इन दिनो स्वर्णनगरी का भ्रमण तो कर रहा है, लेकिन आंखो मे काली पट्टी बांधकर स्वर्णनगरी की छितराई गलियो व दुर्गम रास्तो को अपने अडिग विश्वास के बूते नापते ये देशी-विदेशी मेहमान स्थानीय बाशिंदो के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हंै।

अहमदाबाद की सेप्ट यूनिवर्सिटी की फैकल्टी ऑफ डिजाइन से जुड़े इन विद्यार्थियो के स्वर्णनगरी पहुंचे दल मे जर्मनी, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड व फिनलैंड के विद्यार्थियो सहित कुल दस विद्यार्थी व तीन फैकल्टी टीचर शामिल हैं।

आंखों पर पट्टी बांध देखा सोनार दुर्ग
स्वर्णनगरी मे आए इस दल में अधिकांश पहली बार यहां आए हैं। दल को गाइड कर रही मित्रजा ने पत्रिका को बताया कि इन विदेशी छात्रो ने आंखो पर काली पट्टी बांधकर ऎतिहासिक सोनार दुर्ग की गलियो का अवलोकन किया वहीं वे यहां की दुकानो मे सजे हैंडीक्राफ्ट के सामान का अनुभव भी गंध, छूकर व आवाज सुनकर कर रहे हंै। स्थानीय बाशिंदे भी इन विदेशी विद्यार्थियो को भरपूर सहयोग कर रहे हैं। इन विद्यार्थियो का दल सोनार किला व राजप्रसाद मे आंखो पर काली पट्टी बांधकर भ्रमण के लिए गए अनुभव को पाकर सर्वाधिक उत्साहित नजर आ रहा है।

अनोखा अनुभव
ये विदेशी छात्र अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप के तहत यहां आए हैं। बंद आंखो से प्रकृति की सुंदरता व अनुभवो को महसूस करना एक अनूठा शौक है। इसी अनोखे अनुभव को लेने ये विदेशी छात्र यहां आए हंै। स्वर्णनगरी मे भी इनके प्रयासो को प्रोत्साहन मिल रहा है। जय ठक्कर, असिसटेंट प्रोफेसर, सेप्ट यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद

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