गुरुवार, 29 सितंबर 2011

श्री घंटियाली राय मन्दिर जैसलमेर ...जय माता दी. या देवी सर्वभूतेषु माँ शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तयै नमस्तयै



श्री घंटियाली राय मन्दिर जैसलमेर 
जैसलमेर की परमुख देवी स्थान घंटियाली माँ तणोट माता के दर्शन से पहले घंटियाली माँ के दर्शन जरूरी हें .इनके दर्शन के बिना तणोट माता के दर्शन सफल नहीं होते .यह .स्थान तनोट मन्दिर से बी. एस. ऍफ़. मुख्यालय से आते समय १० की. मी प्रूव की और इसी रोड पर हें ! जब मातेश्वरी तणोट से पधार रही थी तब इस स्थान के धोरों मे भयंकर वन मानुस असुर रहता था ! उसके गले मे बड़ी भयंकर मवाद भरी प्राकुतिक गाठ थी उकत असुर इतना भयंकर था की जब वह चलता तो उसके शरीर से गाठ टकराने पर बड़ी भरी आवाज निकलती थी वह भोजन की तलास मे प्रत्येक प्राणियो के साथ साथ मनुष्यों को भी खा जाता था ! वहा की प्रजा इसके आतंक से दुखी थी ! प्रत्येक ग्रामो मे रात्रि को पहरा बैठाया जाता था ज्यादा मनुष्य देखकर वह भाग जाता था ! उसे जो भी अकेला मिलता उसे खा जाता था ! ऐसे भयंकर देत्य को मैया ने उसकी घंटिया पकड़ कर मार गिराया व वहा के निवासियों ने उसे रेत मे गाड दिया व पास मे मातेश्वरी का मन्दिर बना दिया ! उस घंटिवाले असुर को मारने से घंटियाली राय नाम से प्रशिद्ध हुवा !!!!बहूत सुंदर ओउर रमणीक स्थान पर घंटियाली माता का मंदिर है .आसपास रेट के बड़े बड़े धोरे होने से इस मंदिर का प्राक्रतिक सुन्दरता को चार चाँद लग गए हें .
घंट भज्यो घंटियालरो , राकस मेटी राड़, पाट बैठी परमेश्वरी , खुशी भई खडाल !!

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