सेक्टर की निगरानी कर रहे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने इसे लेकर पाकिस्तानी रेंजर्स के सामने चिंता जताई थी। इसके बावजूद यह निर्माण बेरोक-टोक हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि गृह मंत्रालय ने बीएसएफ को इस निर्माण कार्य का वीडियो तैयार करने को कहा है। ताकि पाकिस्तान के हठी स्वभाव को जवाब दिया जा सके। यह निर्माण गतिविधियां भारत-पाकिस्तान की अंदरूनी सीमा से कुछ ही दूरी पर हो रही हैं। जो अंतरराष्ट्रीय मानकों का गंभीर उल्लंघन भी है।
बीएसएफ ने क्षेत्र का विस्तृत सर्वेक्षण कर लिया है। बाड़मेर के एसपी संतोष कुमार चालके ने बताया कि बड़ी मात्रा में निर्माण सामग्री बिखरी पड़ी है। इसे भारतीय क्षेत्र से आसानी से देखा जा सकता है। यह स्थान अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 से 20 मीटर की दूरी पर मौजूद है। दोनों देशों ने मुनाबाव-खोखरापार रेलवे लाइन को फरवरी 2006 में खोला था।
इसे 1965 के भारत-पाक युद्ध में बंद कर दिया गया था। पाकिस्तान का जीरो लाइन पर छोटा सा रेलवे स्टेशन पहले से है। उसने प्लेटफार्म तो नहीं हटाया, लेकिन स्टेशन को ही नए सिरे से बनाना शुरू कर दिया।
जून में त्रैमासिक बैठक में पाकिस्तान रेंजर्स ने यह मुद्दा उठाया था। बीएसएफ ने उसके अनुरोध को खारिज कर दिया। एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि हमारी आपत्ति के बावजूद वे रेलवे स्टेशन का निर्माण कर रहे हैं। अंदरूनी सीमा के कानूनों का यह उल्लंघन है। हम यह मुद्दा उच्च अधिकारियों तक पहुंचा रहे हैं। वे उचित कूटनीतिक कदम उठाकर इस्लामाबाद तक विरोध दर्ज कराएगी। वीडियो रिकॉर्डिग के साथ ही विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है। निर्माण सामग्री वहां पहुंच गई है। एक चीनी कंपनी को ठेका दिया गया है, जो हमारे लिए चिंता का विषय है।
अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय सीमा के 150 यार्ड के भीतर किसी भी तरह का निर्माण प्रतिबंधित है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को डर है कि रेलवे स्टेशन का पाकिस्तान रणनीतिक फायदा उठा सकता है। इससे युद्ध की स्थिति में पाक सेना को परिवहन में मदद मिलेगी। पाकिस्तान ने 2003-04 में मुनाबाव और खोखरापार के बीच चलाने के लिए थार एक्सप्रेस का स्टेशन बनाना शुरू किया था। तब यह निर्माण अंतरराष्ट्रीय सीमा से काफी दूर था। लेकिन धीरे-धीरे यह निर्माण उसके काफी करीब पहुंच गया।
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