नई दिल्ली। भारतीय राजनेताओं को अपनी सुरक्षा की कितनी चिंता है इसका खुलासा हुआ है आरटीआई के जरिए मांगी गई सूचना के जवाब से।
आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 25 सालों में देश के 750 सांसदों ने अपनी सुरक्षा के लिए सरकार की ओर से जब्त किए हथियार खरीदे हैं। इनमें .22 बोर रिवॉल्वर और 7.65 वॉल्दर पिस्टल की मांग ज्यादा है। 90 के दशक में आर्मीनियस और
एर्मा रिवॉल्वर की मांग थी वहीं बाद में इनकी जगह वेब्ली रिवॉल्वर ने ले ली।
आरटीआई कार्यकर्ता गोपाल प्रसाद द्वारा कस्टम कमिश्नर से मांगी गई सूचना के मुताबिक कांग्रेस के जनार्दन द्विवेदी, आतिक अहमद और अबू आजम आजमी ने सरकार से कई सारे हथियार खरीदे हैं। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने फरवरी 1991 में 4900 रूपए में अर्मीनियस रिवॉल्वर खरीदा था। जबकि द्विवेदी ने 1.45 लाख रूपए में 0.32 बोर एस एंड डब्लू रिवॉल्वल लिया था।
हत्या और कई आपराधिक मामलों के लिए जेल में बंद पूर्व सांसद आतिक अहमद हथियारों की खरीद पर सबसे ज्यादा पैसा खर्च करने वाले वीआईपी में शुमार है। अहमद ने सवा तीन लाख रूपए की कीमत में रजर एम-77 मार्क- दो 30.66 एमएम खरीदा था। पीपीके पिस्टल के लिए उन्होंने तीन लाख रूपए अदा किए थे।
वहीं कॉमनवेल्थ घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद सुरेश कलमाड़ी ने भी 1995 में 9150 रूपए में वेब्ली रिवॉल्वर खरीदा था। एक अन्य कैदी सांसद शहाबुद् दीन ने 2001 में 43507 रूपए में एस एंड डब्लू ली थी।
क्या है नियम
गौरतलब है कि वित्त मंत्रालय द्वारा जुलाई 2002 में जारी किए गए सर्कुलर के अनुसार पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर जब्त किए गए हथियार बेचे जा सकते हैं, बशर्ते वे यह लिखित में दे कि वर्तमान में उनके पास कोई हथियार नहीं है।
इन हथियारों को विभाग के अधिकारियों को कुछ समय के लिए लीज पर दिए जा सकते हैं। हालांकि लीज की अवधि दस साल से ज्यादा नहीं हो सकती। हथियार के गुम जाने या चोरी हो जाने पर दोबारा हथियार दिए जाने का प्रावधान नहीं है।
हालांकि यह बात और है कि सूचना में 1986 और 2000 से कई सांसदों के पास हथियार होने की बात सामने आई है।
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