लखनऊ।। 12 अगस्त को रिलीज होने जा रही फिल्म 'आरक्षण' पर विवाद बढ़ता जा रहा है। लखनऊ जिला प्रशासन ने किसी विवाद से बचने के लिए फिल्म के प्रमोशन कार्यक्रमों पर रोक लगाते हुए अमिताभ बच्चन के लखनऊ एयरपोर्ट से बाहर आने पर ही पाबंदी लगा दी है।
उधर, मुंबई हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा है कि आखिर फिल्म के प्रदर्शन से कानून-व्यवस्था पर क्या असर पड़ सकता है? हालांकि प्रकाश झा का कहना है कि फिल्म को सेंसर बोर्ड ने पास कर दिया है और किसी भी नेता को यह पता ही नहीं कि फिल्म किस बारे में है।
दलित विरोधी बताई जा रही फिल्म आरक्षण के कार्यक्रमों से कोई विवाद पैदा न हो, इसलिए लखनऊ जिला प्रशासन ने मायावती सरकार के निर्देश पर फिल्म से जुड़े सभी तरह के कार्यक्रमों पर रोक लगा दी है।
लखनऊ यूनिवर्सिटी और राम मनोहर लोहिया नैशनल लॉ यूनिवर्सिटी से टॉक शो की इजाजत न मिलने पर यह कार्यक्रम 4 अगस्त को गोमती नगर स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल ऑडिटोरियम में होना था, लेकिन इसकी अनुमति भी बुधवार को रद्द कर दी गई।
इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए 940 स्टूडेंट्स रजिस्ट्रेशन करा चुके थे। कार्यक्रमों के लखनऊ को-ऑर्डिनेटर अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि जिला प्रशासन ने किसी विवाद से बचने के लिए टॉक शो व प्रेस कॉन्फ्रेंस को दी गई इजाजत को रद्द कर दिया है। स्टूडेंट्स के साथ होने वाले इस टॉक शो में अमिताभ बच्चन, सैफ अली खान, दीपिका पादुकोण और मनोज बाजपेयी को हिस्सा लेना था।
एडीएम राम सिंहासन प्रेम ने बताया कि खुफिया रिपोर्ट मिली है कि अमिताभ के कार्यक्रम को इजाजत देने से कानून-व्यवस्था निश्चित रूप से खराब होगी।
उधर, मुंबई हाई कोर्ट की जस्टिस डी. डी. सिन्हा और ए. आर. जोशी की बेंच ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा है कि क्या आरक्षण फिल्म के रिलीज होने से कानून-व्यवस्था बिगड़ने की संभावना है? अगर हां, तो राज्य सरकार बताए कि वह स्थिति से निपटने के लिए कितनी तैयार है? बेंच फिल्म को आरक्षण विरोधी बताने वाली दो वकीलों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया है कि फिल्म रिलीज होने पर एक वर्ग विशेष में असंतोष पैदा हो सकता है। सरकार को इस मामले में 5 अगस्त तक जवाब देना है।
इस मामले में प्रकाश झा का कहना है कि सभी नेता केवल शक कर रहे हैं कि कुछ गलत हो सकता है, लेकिन किसी को पता ही नहीं है कि फिल्म में है क्या ? फिल्म शिक्षा और सरकारी नौकरियों में जातिगत आरक्षण ही नहीं, शिक्षा के कमर्शल होने पर भी आधारित है और सेंसर इसे पास कर चुका है। किसी सामाजिक मुद्दे पर फिल्म बनाने पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं होती हैं। मैं सभी को सुनने के लिए तैयार हूं, लेकिन अपने दर्शकों को सच जरूर बताऊंगा।
गौरतलब है कि फिल्म में दलित का किरदार रॉयल फैमिली के सैफ अली खान को दिए जाने से नाराज कुछ लोगों ने इसे दलितों का अपमान बताकर कानपुर में विरोध प्रदर्शन भी किया था।
उधर, मुंबई हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा है कि आखिर फिल्म के प्रदर्शन से कानून-व्यवस्था पर क्या असर पड़ सकता है? हालांकि प्रकाश झा का कहना है कि फिल्म को सेंसर बोर्ड ने पास कर दिया है और किसी भी नेता को यह पता ही नहीं कि फिल्म किस बारे में है।
दलित विरोधी बताई जा रही फिल्म आरक्षण के कार्यक्रमों से कोई विवाद पैदा न हो, इसलिए लखनऊ जिला प्रशासन ने मायावती सरकार के निर्देश पर फिल्म से जुड़े सभी तरह के कार्यक्रमों पर रोक लगा दी है।
लखनऊ यूनिवर्सिटी और राम मनोहर लोहिया नैशनल लॉ यूनिवर्सिटी से टॉक शो की इजाजत न मिलने पर यह कार्यक्रम 4 अगस्त को गोमती नगर स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल ऑडिटोरियम में होना था, लेकिन इसकी अनुमति भी बुधवार को रद्द कर दी गई।
इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए 940 स्टूडेंट्स रजिस्ट्रेशन करा चुके थे। कार्यक्रमों के लखनऊ को-ऑर्डिनेटर अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि जिला प्रशासन ने किसी विवाद से बचने के लिए टॉक शो व प्रेस कॉन्फ्रेंस को दी गई इजाजत को रद्द कर दिया है। स्टूडेंट्स के साथ होने वाले इस टॉक शो में अमिताभ बच्चन, सैफ अली खान, दीपिका पादुकोण और मनोज बाजपेयी को हिस्सा लेना था।
एडीएम राम सिंहासन प्रेम ने बताया कि खुफिया रिपोर्ट मिली है कि अमिताभ के कार्यक्रम को इजाजत देने से कानून-व्यवस्था निश्चित रूप से खराब होगी।
उधर, मुंबई हाई कोर्ट की जस्टिस डी. डी. सिन्हा और ए. आर. जोशी की बेंच ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा है कि क्या आरक्षण फिल्म के रिलीज होने से कानून-व्यवस्था बिगड़ने की संभावना है? अगर हां, तो राज्य सरकार बताए कि वह स्थिति से निपटने के लिए कितनी तैयार है? बेंच फिल्म को आरक्षण विरोधी बताने वाली दो वकीलों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया है कि फिल्म रिलीज होने पर एक वर्ग विशेष में असंतोष पैदा हो सकता है। सरकार को इस मामले में 5 अगस्त तक जवाब देना है।
इस मामले में प्रकाश झा का कहना है कि सभी नेता केवल शक कर रहे हैं कि कुछ गलत हो सकता है, लेकिन किसी को पता ही नहीं है कि फिल्म में है क्या ? फिल्म शिक्षा और सरकारी नौकरियों में जातिगत आरक्षण ही नहीं, शिक्षा के कमर्शल होने पर भी आधारित है और सेंसर इसे पास कर चुका है। किसी सामाजिक मुद्दे पर फिल्म बनाने पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं होती हैं। मैं सभी को सुनने के लिए तैयार हूं, लेकिन अपने दर्शकों को सच जरूर बताऊंगा।
गौरतलब है कि फिल्म में दलित का किरदार रॉयल फैमिली के सैफ अली खान को दिए जाने से नाराज कुछ लोगों ने इसे दलितों का अपमान बताकर कानपुर में विरोध प्रदर्शन भी किया था।
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