रविवार, 14 अगस्त 2011

जालौर राजस्थान राज्य का एक एतिहसिक शहर है

जालौर  राजस्थान राज्य का एक एतिहसिक शहर है। यह शहर प्राचीनकाल मे 'जाबालिपुर' के नाम से जाना जाता था। जालौर जिला मुख्यालय यहा स्थित है। लूनी नदी की उपनदी सुकरी के दक्षिण में स्थित जालौर राजस्थान का ऐतिहासिक जिला है।प्राचीनकाल में इसे जबलीपुर और सुवर्णगिरी के नाम से भी जाना जाता था। 12वीं शताब्दी में यह चौहान राजपूतों की राजधानी था। वर्तमान में यह जिला बाड़मेर, सिरोही, पाली और गुजरात के बनासकांथा जिले से घिरा हुआ है। परिहार, दहिया, मारवाड़ समेत कई शासकों के हाथ से गुजरने के कारण यहां के स्मारकों पर उनका प्रभाव देखा जा सकता है। जालौर का प्रमुख आकर्षण जालौर किला है लेकिन इसके अलावा भी यहां अनेक दर्शनीय स्थल हैं।

जालौर किला

भारत के सबसे प्रसिद्ध किलों में से एक जालौर किले का निर्माण 10वीं शताब्दी में परमारों द्वारा कराया गया था। यह अद्भुत किला खड़ी पहाड़ी पर स्थित है। यहां के महल बहुत साधरण हैं जिनमें बहुत अधिक सजावट देखने को नहीं मिलती। मंदिर में प्रवेश के चार भव्य द्वार हैं जहां तक पहुंचने का एक ही रास्ता है। किले का निर्माण पारंपरिक हिंदू वास्तुशिल्प के &x905
जहाज मंदिर

जहाज मंदिर एक जैन मंदिर है जो बिशनगढ़ से 5 किमी. दूर है। श्री शांतिनाथ प्रभु की प्रतिमा और परमात्मा का मार्ग पंचधातु से बनाया गया है। मुख्य प्रतिमा के दायीं ओर आदिनाथ और बायीं ओर भगवान वसुपूज्य विराजमान हैं। मंदिर के अन्य कोनों पर भी मूर्तियां रखी गई हैं। अराधना भवन और भोजशाला के साथ ही एक विशाल धर्मशाला भी जुड़ी हुई है।
श्री स्वर्णगिरी तीर्थ

श्री स्वर्णगिरी तीर्थ जालौर शहर के पास स्वर्णगिरी पहाड़ी पर स्थित है। पद्मासन मुद्रा में बैठे भगवान महावीर यहां के मुख्य अराध्य देव हैं। मंदिर का निर्माण राजा कमरपाल ने करवाया था और इसकी देखरख श्री स्वर्णगिरी जैन श्‍वेतांबर तीर्थ पेढ़ी नामक ट्रस्ट करता है। भगवान महावीर की श्‍वेत प्रतिमा की स्थापना 1221 विक्रम संवत में की गई थी।
श्री उमेदपुर तीर्थ

श्री उमेदपुर तीर्थ जालौर जिले के उमेदपुर में स्थित है। यह मंदिर श्री भीदभंजन पार्श्‍वनाथ भगवान को समर्पित है। मंदिर की नींव योगराज श्री विजय शांतिगुरु ने 1995 विक्रम संवत में रखी थी। यहां पर भोजनशाला और धर्मशाला में है।

तीर्थेद्रनगर

तीर्थेद्रनगर एक धार्मिक स्थल है जो जालौर से 48 किमी. दूर है। श्री चमत्कारी पार्श्‍वनाथ जैन तीर्थ यहां के मुख्य आकर्षण हैं। जालौर से यहां के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है।

====श्री धबाआवालि माताजि खासरवी तेसिल साचोर इन जिला जालोर ======= श्री धबाआवलि माताजि का मनदीर साचओर से ३० कीलो मी दूर हे माना जाता हे की धबाआवालि माताजि का परचा बोहत हे पास मे भादरुन गाव मे जूजार जी का मनदीर हे जो करीब ५५० साल पुराना मनदीर हे सपादक सावलाराम वीराराजी देवासी गाव भादरुन

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