जननी के साथ अब शिशु की सुरक्षा करेगी सरकार
-जल्द शुरू होगा राज्य सरकार का महत्वाकांक्षी जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, गर्भवती, जननी व नवजात शिशु होंगे लाभान्वित
बाडमेर। राज्य में गांधी जयंती से सभी वर्गों के लिए निःशुल्क दवा वितरण की एतिहासिक योजना शुरू कर रही राज्य सरकार इससे पूर्व एक और सराहनीय व जनहितेषी कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिला व जननी के साथ नवजात शिशु भी लाभान्वित होंगे। सभी को सरकारी चिकित्सा संस्थानों में हर प्रकार की सेवाएं निःशुल्क उपलब्ध करवाई जाएंगी। जिसमें संस्थागत प्र्रसव, सिजेरियन ऑपरेशन, दवाईयां व अन्य सामग्री, लैब जांच, भोजन, ब्लड एवं रैफरल ट्रांसपोर्ट पूर्णतः निःशुल्क रहेंगे। कार्यक्रम शुरू करने का मुख्य उद्देश्य मातृ मृत्यु दर तथा शिशु मृत्यु दर में भी कमी लाना है। उक्त कार्यक्रम को जिलास्तर पर लागू करने के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। बहरहाल, कार्यक्रम लागू होने के बाद गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं को उपचार के दौरान सभी प्रकार के यूजर चार्जेस से छूट प्रदान की जाएगी। कार्यक्रम के 30 अगस्त को शुरू होने की संभावना है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गणपतसिंह राठौड़ ने बताया कि सरकार ने सराहनीय पहल करते हुए मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम लागू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत सभी गर्भवती महिलाओं को राजकीय चिकित्सा संस्थानों में प्रसव कराने पर प्रसव संबंधी पूर्ण व्यय का वहन राज्य सरकार करेगी। महिला को प्रसवपूर्व, प्रसव के दौरान व प्रसव पश्चात सभी दवाईयां व अन्य कंज्युमेबल्स निःशुल्क उपलब्ध करवाए जाएंगे। वहीं चिकित्सालय में उपलब्ध सभी प्रकार की जांच भी निःशुल्क होगी। संस्थागत प्रसव होने पर अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान गर्भवती महिलाओं को तीन दिन तक तथा सिजेरियन ऑपरेशन होने पर सात दिन निःशुल्क भोजन दिया जाएगा। प्रसव के दौरान एवं प्रसवोंपरांत छह सप्ताह तक आवश्यकता पड़ने पर रक्त भी निःशुल्क उपलब्ध करवाया जाएगा।
परिवहन (रैफरल ट्रांस्पोर्ट) सुविधा भी निःशुल्क
जिला आईईसी समन्वयक विनोद बिश्नोई ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए घर से चिकित्सा संस्थान तक तथा प्रसवोपरांत डिस्चार्ज के बाद संस्थान से वापिस घर तक निःशुल्क परिवहन सेवा उपलब्ध करवाई जाएगी। आपातकालीन स्थिति अथवा जटिलता उत्पन्न होने पर उच्च चिकित्सा संस्थान में रैफर करने पर निःशुल्क परिवहन सुविधा मिलेगी। यही नहीं प्रसवपूर्व, प्रसव के दौरान एवं प्रसवोपरांत प्रसव से संबंधित आकस्मिक परिस्थितियों में महिलाओं एवं नजवात शिशुओं (30 दिवस की उम्र तक) को घर से चिकित्सा संस्थान एवं वापिस घर तक के लिए सरकारी स्तर पर वाहन उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके लिए एम्बुलेंस 108, चिकित्सा संस्थान में उपलब्ध एम्बुलेंस तथा क्षेत्र में उपलब्ध निजी एम्बुलेंस, टेक्सी या अन्य वाहन उपयोग में लिए जाएंगे। निजी वाहन उपयोग होने की स्थिति में 12 किमी से कम दूरी के लिए 125 रूपए, 12 किमी से 25 किमी तक 250 रूपए तथा इससे अधिक सात रूपए प्रति किमी की दर से अतिरिक्त भुगतान किया जाएगा। निजी वाहन चालकों के नाम, मोबाइल नंबर आदि की विस्तृत सूची प्राथमिक स्तर पर तैयार की गई है तथा भविष्य में भी अन्य वाहन चालकों की सूची तैयार कर संबंधित गांव, ब्लॉक, जिला एवं राज्यस्तर पर उपलब्ध रहेगी।
30 दिन तक शिशु सुरक्षा करेगी सरकार
गर्भवती व जननी को ही नहीं अपितु अब जन्म के बाद 30 दिन तक शिशु को भी हर तरह की सरकारी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी तथा सरकार पूरी तरह से शिशु की सुरक्षा करेगी। उन्हें सभी दवाईयां व कंज्युमेबल्स निःशुल्क उपलब्ध करवाए जाएंगे। सभी तरह की जांच निःशुल्क होगी। इस अवधि में जरूरत होने पर शिशु के लिए निःशुल्क रक्त भी उपलब्ध करवाया जाएगा।
जिलास्तर पर होगा सुचारू संचालन
आईईसी समन्वयक विनोद बिश्नोई के अनुसार सीएमएचओ, पीएमओ, बीसीएमओ, सीएचसी प्रभारी व सेक्टर स्तर पर प्रभारी अधिकारी कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी भूमिका अदा करेंगे। कार्यक्रम से संबंधित शिकायत निवारण एवं आवश्यक्तानुसार सुधारात्मक प्रयास के लिए प्रत्येक चिकित्सा संस्थान पर निगरानी सुनिश्चित की जाएगी। दवाओं व अन्य सामग्री के लिए जिलास्तर से प्रभावी वितरण व्यवस्था की जाएगी और सितंबर 2011 तक जिलास्तर पर दवाईयों की खरीद की जाएगी। चिकित्सा संस्थान पर जांच सुविधाओं का सफल संचालन, जांच संबंधी उपकरण उपकरण खरीद तथा स्टाफ की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाएगी। जिला अस्पताल व उपखण्ड अस्पताल पर 50 प्रकार की जांच, सीएचसी पर 35, पीएचसी पर 25 और सब सेंटर पर पांच प्रकार की जांच की सुविधा सुनिश्चित की जाएगी।
वाहन चालक निभाएं पावन कार्य में भागीदारी
सीएमएचओ डॉ. गणपतसिंह राठौड़ ने कहा कि निश्चित ही यह कार्यक्रम सरकारी की सकारात्मक सोच का परिणाम है, लेकिन इसे सफल बनाने में आमजन का योगदान भी अहम रहेगा। उन्होंने विशेषतौर पर वाहन चालकों से अपील करते हुए कहा कि वे इस पावन कार्य में अपनी भागीदारी अवश्य निभाएं, इसके लिए बकायदा उन्हें सरकार की ओर से परिवहन खर्च भी दिया जाएगा। उन्होंने प्रत्येक गांव से तीन या चार वाहन चालकों को इस कार्यक्रम के तहत जुड़ने का आह्वान किया है। जो वाहन चालक इस कार्य में भागीदारी निभाना चाहते हैं वे वाहन नंबर, रजिस्ट्रेशन नंबर, खुद का नाम व मोबाइल नंबर आदि की जानकारी जिला स्वास्थ्य भवन के कमरा नबंर 20 में अथवा नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर दे सकते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर उनकी सेवाएं ली जा सकें। सीएमएचओ डॉ. राठौड़ ने कहा कि इससे न केवल जरूरतमंद को सहयोग मिलेगा, बल्कि वाहन चालक को भी रोजगार उपलब्ध होगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें