बैंक मैनेजर के साथ मिल कर कैशियर ने सैकड़ों लोगों को फर्जी पट्टों पर कृषि ऋण दिया था
जालोर
जोधपुर राजस्थान हाईकोर्ट ने जालोर सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक की एक ग्रामीण शाखा में फर्जी कृषि लोन वितरण कर लगभग एक करोड़ रुपए की हेराफेरी करने वाले कैशियर के जमानत आवेदन को खारिज कर दिया है। यह आदेश न्यायाधीश निशा गुप्ता ने प्रार्थी आरोपी जालोर सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक की गुमडिय़ा शाखा के कैशियर बाबूलाल पुत्र धूपा राम के जमानत आवेदन की सुनवाई में दिया है।
जालोर जिलांतर्गत भीनमाल पुलिस थाना में 12 फरवरी 2009 को जालोर सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक शाखा गुमडिय़ा के कार्यवाहक शाखा प्रबंधक जोग सिंह ने इस आशय की रिपोर्ट दर्ज करवाई कि शाखा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक भागीरथ राम व कैशियर बाबूलाल, दोनों ने मिल कर बैंक में कई अनियमितताएं की। जिसमें उन्होंने कृषक मित्र योजना में 24 लोगों को फर्जी नाम से ऋण वितरण किए। कुछ ऐसे लोगों को भी ऋण वितरण कर दिया जो उस ग्राम पंचायत के निवासी ही नहीं थे।
ऋण की साख के लिए बैंक में जमा कराए गए पट्टे भी फर्जी थे तथा पहचान भी फर्जी थी। लोगों को ऋण दिलाने वाले दलाल कृष्णकुमार के 11 परिजनों के नाम से भी ऋण वितरित किया गया था, इस तरह करीब एक करोड़ से अधिक की राशि की हेराफेरी की गई। इसके अलाव 23 जनवरी 2007 को कालेटी पंचात की ओर से 40 हजार बैंक में नगद जमा कराए गए जिसकी रसीद जारी कर दी, लेकिन बैंक में पैसे जमा नहीं कराए। अदालत में जमानत का विरोध करते हुए सरकारी वकील अनिल जोशी ने कहा कि मुख्य अभियुक्त शाखा प्रबंधक फरार है व दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की हुई है व अनुसंधान जारी है।
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