बुधवार, 17 अगस्त 2011

बाड़मेर की सड़कों पर जन सैलाब उमड़ पड़ा




बाड़मेर की  सड़कों पर जन सैलाब उमड़ पड़ा



बाड़मेर भ्रष्टाचार के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के समर्थन में बुधवार की रात्री बाड़मेर की सड़कों पर जन सैलाब उमड़ पड़ा। गांधी चौक से अंहिंसा चौराहे तक करीब लगभग एक किलोमीटर लंबा रास्ता अन्ना समर्थकों के नारों से गूंजता रहा। गांधी चौक से अंहिंसा चौराहे मार्ग होते हुए लोगों का हुजूम गांधी सर्कल मार्ग पहुंचा।



अन्ना टीम समर्थकों
 ने भ्रष्टाचार के खिलाफ इस शांति मार्च का आह्वान किया था। उमस भरी गर्मी के बावजूद शांति मार्च में शामिल होने वाले लोगों का उत्साह देखने लायक था। अन्ना समरथाको ने सेकड़ो की तादाद में मोमबतिया हाथों में जला राखी थी 



जुलूस में शामिल अनेक लोग पानी की बोतले अपने हाथों में लिए थे। जो थक जाते थे वह सड़क पर ही बैठकर कुछ देर आराम कर फिर खडे हो गन्तव्य स्थान की ओर बढ़ जाते थे। गांधी चौक से लेकर अंहिंसा सर्कल तक लोगों का हुजूम नजर आ रहा था।गांधी चौक से रात्री आठ बजे शांति मार्च शुरू हुआ । शांति मार्च में बच्चे, स्कूली बच्चे, कालेज छात्र, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग सभी शामिल थे। जुलूस जिस रास्ते होकर गुजरा वहां पड़ने वाले सरकारी कार्यालयों के कर्मचारी भी सड़कों के किनारे बडी संख्या में खडे हुए थे और जुलूस में शामिल लोगों के साथ नारे लगाने में पीछे नहीं रहे।



सड़क के किनारे खडे लोग जुलूस को अपने मोबाइल फोन के कैमरे में कैद करने में मग्न दिखे। वंदेमातरम और भारत माता की जय के अलावा जुलूस में शामिल होने आए विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के नारे भी अलग-अलग थे। कोई नारा लगा रहा था कि सरकारी लोकपाल धोखा है, देश बचा लो मौका है, तो कोई एक दो तीन चार अन्ना तेरी जय जयकार।



कोई युवक नारा लगा रहा था कि मनमोहन जिसका ताऊ है, वह सरकार बिकाऊ है। तो कोई महिला छोटा माइक लिए सोनिया जिसकी मम्मी है,वह सरकार निकम्मी है। के नारे लगा रही थी। जुलूस में शामिल कोई युवक "मैं अन्ना हूं" की टोपी पहने हुए था तो किसी ने अपने गाल पर तिरंगे के चिन्ह बना रखा था तो कोई अपने सिर पर तिरंगा बांधे हुए नारे लगाने में मस्त था।

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