सोमवार, 29 अगस्त 2011

'बच्चों से उठा बाप का साया, विधवा हुई बहू लेकिन अभागा विधायक हूं मैं'

जयपुर। जवान बेटे को खुलेआम गोलियों से उड़ा दिया। वह बेकसूर था। तीन बच्चों से बाप का साया उठ गया, बहू असमय विधवा हो गई। जिंदगी का हर पल अब मेरे लिए भारी पड़ रहा है। कहने को विधायक हूं, लेकिन अभागा हूं...जो सत्ता के करीब होते हुए भी कुछ नहीं कर पा रहा हूं। राजस्थान विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सोमवार को कांग्रेस विधायक नाथूराम सिनोदिया कह रहे थे।

वे प्रश्नकाल के दौरान जोधपुर जेल में मोबाइल फोन मिलने पर बहस बोल रहे थे। इस दौरान वे इतने भावुक हो गए कि रो पड़े। किशनगढ़ के कांग्रेस विधायक नाथूराम सिनोदिया के बेटे की कुछ दिनों पहले हत्या कर दी गई थी। हत्यारे अजमेर जेल में बंद हैं। और अपराधी वहां से गवाहों को फोन पर धमकाते हैं।

अजमेर जेल का हाल बताते हुए उन्होंने कहा कि अपराधी जेल से खुलेआम मोबाइल पर गवाहों को उड़ाने की धमकी दे रहे हैं। कोई ये तो बताए कि आखिर किस षडयंत्र के तहत खूंखार कैदी शहजाद को जेल से छोड़ा गया...लगता है इस प्रदेश में कानून नाम की कोई चीज नहीं है, है तो बस गुंडागर्दी।विधायक नाथूराम सिनोदिया सदन में फफकने के बाद अपनी रुलाई बाहर भी नहीं रोक सके।

सदन के बाहर भास्कर संवाददाता को सिनोदिया ने बताया कि जेल में मोबाइल पर पाबंदी के दावे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत यह है कैदी जेल से गवाहों को धमकाते हैं। अजमेर जेल के हालात किसी से छुपे नहीं हैं। सरकार को भी बता दिया है। वे कहते हैं, तत्कालीन जेल अधीक्षक को हटाने से काम खत्म नहीं हुआ। अब तक यह क्यों पता नहीं लगा कि आखिर उस हत्यारे को छोडऩे के पीछे किसका हाथ है।

सिनोदिया को अफसोस इस बात का भी है कि सतापक्ष के विधायक होते हुए भी वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं। वे खुद सवाल करते हैं कि यदि उनकी जगह आम आदमी होता तो उसकी क्या दशा होती। उसकी तो लाश नसीब होना भी मुश्किल हो जाता।

क्या जवाब दूं पोते, पोतियों को : सिनोदिया बताते हैं कि मृतक बेटे की एक बेटी 12वीं में पढ़ रही है तो दो बेटे छठी और आठवीं में। वे मासूम मुझसे कुछ ना पूछकर भी पल-पल बहुत कुछ पूछ रहे हैं। मैं उन्हें अब तक कोई जवाब ना दे सका। जब भावनाओं पर काबू न रख सका तो इस मुद्दे को सदन में उठा दिया। सिनोदिया को फफकते देख कांग्रेस विधायक ममता भूपेश भी कुछ देर उन्हें ढाढ़स बंधाने पहुंचीं।

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