नई दिल्ली. जन लोकपाल के लिए चल रही लड़ाई और लंबी खिंचने के आसार हैं। सरकार ने अपना रुख कड़ा कर लिया है तो टीम अन्ना ने भी कड़े तेवर अपनाने के संकेत दिए हैं। गुरुवार को अन्ना हजारे के अनशन का दसवां दिन है, पर सरकार झुकने के मूड में नहीं है। आज दोपहर बातचीत का चौथा दौर होना है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि टीम अन्ना बातचीत का बहिष्कार कर सकती है। टीम अन्ना कह रही है कि वह कांग्रेस की राजनीति का शिकार हो रही है।
कोर कमेटी की बैठक में टीम अन्ना इस बात पर निर्णय लेने वाली है कि उसे 12 बजे सरकार से बातचीत के लिए जाना चाहिए या नहीं। टीम अन्ना का कहना है कि सरकार बात से पीछे हट रही है। उनका मानना है कि सरकार के पास बिल का ड्राफ्ट है। ऐसे में बातचीत का कोई मतलब नहीं है। अगर सरकार का कोई सुझाव हो तो वह हमें बता सकती है।
वैसे भी अब तक जो बातचीत हुई है, उसमें सरकार का मुख्य जोर अन्ना का अनशन तुड़वाने पर रहता है, न कि जनलोकपाल बिल पारित कराने को लेकर। किरण बेदी ने ट्विटर पर आरोप लगाया है कि सरकार के यू-टर्न की वजह कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति है। किरण के मुताबिक पार्टी और सरकार की आंतरिक कलह गतिरोध के लिए जिम्मेदार है। सूत्रों के मुताबिक जिन नेताओं ने लोकपाल बिल तैयार किया था, उन्होंने इसे वापस लिए जाने का विरोध किया है। इन लोगों का मानना है कि अगर सरकार ने ऐसा किया तो उनकी बहुत भद पिटेगी और छवि को धक्का लगेगा। अपना बिल वापस न लेने के सरकार के फैसले के पीछे यह बड़ी वजह यही है।
कोर कमेटी की बैठक में टीम अन्ना इस बात पर निर्णय लेने वाली है कि उसे 12 बजे सरकार से बातचीत के लिए जाना चाहिए या नहीं। टीम अन्ना का कहना है कि सरकार बात से पीछे हट रही है। उनका मानना है कि सरकार के पास बिल का ड्राफ्ट है। ऐसे में बातचीत का कोई मतलब नहीं है। अगर सरकार का कोई सुझाव हो तो वह हमें बता सकती है।
वैसे भी अब तक जो बातचीत हुई है, उसमें सरकार का मुख्य जोर अन्ना का अनशन तुड़वाने पर रहता है, न कि जनलोकपाल बिल पारित कराने को लेकर। किरण बेदी ने ट्विटर पर आरोप लगाया है कि सरकार के यू-टर्न की वजह कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति है। किरण के मुताबिक पार्टी और सरकार की आंतरिक कलह गतिरोध के लिए जिम्मेदार है। सूत्रों के मुताबिक जिन नेताओं ने लोकपाल बिल तैयार किया था, उन्होंने इसे वापस लिए जाने का विरोध किया है। इन लोगों का मानना है कि अगर सरकार ने ऐसा किया तो उनकी बहुत भद पिटेगी और छवि को धक्का लगेगा। अपना बिल वापस न लेने के सरकार के फैसले के पीछे यह बड़ी वजह यही है।
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