सात लड़कों को 40 हजार में बेचा
अंबिकापुर। मैनपाट के सात किशोरों को दो दलालों ने रायपुर के उरला की एक फैक्ट्री में 40 हजार रूपए में बेच दिया था। पंद्रह दिन काम करने के बाद पांच लड़के भागकर घर लौट आए। दो लड़के अब भी फैक्ट्री संचालक के चंगुल में हैं। भागकर लौटे वंदना मैनपाट के कोट बैगापारा निवासी राजू साय, राजाराम साय, मनोज साय, सोहरई और बरत साय (सभी 12 से 15 वर्ष) ने बताया कि जुलाई के प्रथम सप्ताह में मैनपाट के आकाश और अंबिकापुर के राजेश उनके घर आए।
उन्होंने लड़कों को रायपुर में नौकरी दिलाने के लिए परिजनों को झांसा दिया। उसके झांसे में आकर वे दलालों के साथ रायपुर चले गए। प्रकाश (18) व एक अन्य सहित उन्हें रायपुर में उरला की किसी फैक्ट्री में ले जाकर 40 हजार रूपए में बेच दिया गया।
रात-दिन कराया काम
किशोरों ने बताया कि फैक्टरी में लोहा निकलवाया जा रहा था। वहां दस-दस घंटे तक काम कराया जाता था। कभी-कभी तो दिन-रात काम कराया जाता था। कई बार तो भूखे पेट काम करना पड़ता था।
उन्हें बेचे जाने की जानकारी तब हुई, जब वहां 15 दिन काम करने के बाद मुंशी से मजदूरी मांगी। मंुशी ने बताया कि उन्हें लाने वाले युवकों को 40 हजार रूपए दे दिए गए हैं। तीन दिन भूखे पेट काम करने की बात सुनकर मुंशी ने 300 रूपए दिए। इस पैसे के सहारे पांच लड़के रायपुर चले गए, फिर वहां से गाड़ी पकड़कर घर आ गए। कुनिया निवासी प्रकाश व एक अन्य युवक अभी भी फैक्टरी में फंसे हैं। इन लड़कों के परिजनों ने थाने में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है।
अंबिकापुर। मैनपाट के सात किशोरों को दो दलालों ने रायपुर के उरला की एक फैक्ट्री में 40 हजार रूपए में बेच दिया था। पंद्रह दिन काम करने के बाद पांच लड़के भागकर घर लौट आए। दो लड़के अब भी फैक्ट्री संचालक के चंगुल में हैं। भागकर लौटे वंदना मैनपाट के कोट बैगापारा निवासी राजू साय, राजाराम साय, मनोज साय, सोहरई और बरत साय (सभी 12 से 15 वर्ष) ने बताया कि जुलाई के प्रथम सप्ताह में मैनपाट के आकाश और अंबिकापुर के राजेश उनके घर आए।
उन्होंने लड़कों को रायपुर में नौकरी दिलाने के लिए परिजनों को झांसा दिया। उसके झांसे में आकर वे दलालों के साथ रायपुर चले गए। प्रकाश (18) व एक अन्य सहित उन्हें रायपुर में उरला की किसी फैक्ट्री में ले जाकर 40 हजार रूपए में बेच दिया गया।
रात-दिन कराया काम
किशोरों ने बताया कि फैक्टरी में लोहा निकलवाया जा रहा था। वहां दस-दस घंटे तक काम कराया जाता था। कभी-कभी तो दिन-रात काम कराया जाता था। कई बार तो भूखे पेट काम करना पड़ता था।
उन्हें बेचे जाने की जानकारी तब हुई, जब वहां 15 दिन काम करने के बाद मुंशी से मजदूरी मांगी। मंुशी ने बताया कि उन्हें लाने वाले युवकों को 40 हजार रूपए दे दिए गए हैं। तीन दिन भूखे पेट काम करने की बात सुनकर मुंशी ने 300 रूपए दिए। इस पैसे के सहारे पांच लड़के रायपुर चले गए, फिर वहां से गाड़ी पकड़कर घर आ गए। कुनिया निवासी प्रकाश व एक अन्य युवक अभी भी फैक्टरी में फंसे हैं। इन लड़कों के परिजनों ने थाने में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें