उदयपुर.पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और लगातार सिमटते जंगलों के बीच जिले में एक गांव ऐसा भी है, जहां 24 सालों में एक भी पेड़ नहीं कटा। वन संरक्षण को समर्पित इस गांव का नाम है एकलिंगपुरा। शहर से पांच मील दूर स्थित इस गांव के ग्रामीण वन विभाग की बंजर जमीन को हराभरा करने के बाद दो-दो जने मिलकर नियमित पहरा देते हैं। इतना ही नहीं पहरेदारी से नदारद रहने वाले से जुर्माना वसूला जाता है।
गांव के रामलाल पटेल ने की थी पहल :
चौबीस बरस पहले एकलिंगपुरा वासियों ने गांव से सटे बंजर होड़ा पर्वत को हरा भरा बनाने व उसकी सुरक्षा करने का संकल्प लिया था। गांव के तत्कालीन मुखिया रामलाल पटेल की अध्यक्षता में एकलिंगपुरा वन सुरक्षा समिति बनाई गई थी। ग्रामीणों ने मिलजुल कर पौधे बोये थे। जंगल की जमीन खोद कर पत्थर निकाले और 340 हैक्टेयर क्षेत्र में फैले होड़ा पर्वत वन की सुरक्षा के लिए कच्ची दीवार चुनी।
वन ने क्षेत्र की काया पलट दी
एकलिंगपुरा नवयुवक मंडल के संरक्षक नारायण वैष्णव, कलड़वास के पूर्व उप सरपंच कुबेरलाल डांगी, शांतिलाल डांगी का कहना है कि वन में उगने वाला चारा ग्रामीण काटते हैं। गांव के प्रत्येक घर को प्रति वर्ष 12 क्विंटल चारा मिलता है। होड़ा पर्वत सघन वन बनने के बाद आसपास के क्षेत्रों से 20 प्रतिशत अधिक वर्षा होती है। पहले गांव में जल संकट था अब कुएं सदानीरा हैं।
पहले सिर्फ मक्का बोयी जाती थी, अब गेहूं, चना व तरकारियां भी उगती हैं। पूर्व वनपाल दलपत सिंह चुंडावत एवं वर्तमान वनपाल पुष्पेंद्र सिंह राणावत का कहना है कि एकलिंगपुरा वन सुरक्षा समिति को 1996 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत ने सर्वश्रेष्ठ वन संरक्षण का पुरस्कार दिया था।
वन में है :आंवला, नीम, धावड़ा गोंद, खेर, देसी बबूल, विलायती बबूल, गोदल तथा बांस के हजारों पेड़ लगे हैं। जंगल में बड़ी संख्या में सियार हैं। केवड़ा की नाल से होड़ा पर्वत के बीच पैंथर भ्रमण करते हैं।
ऐसे करते हैं पहरेदारी
समिति ने लकड़ी तस्करों से पेड़ों की सुरक्षा के लिए दो दशक पूर्व एक नायाब तरीका खोजा, जो आज भी कायम है। प्रतिदिन गांव के एक घर से दो जने पहरा देते हैं। अगले दिन उसके पड़ोसी का नंबर आता है। ढाई सौ घरों के गांव में यह क्रम जारी रहता है। ड्यूटी ट्रांसफर करने का संकेत एक लाठी है, अगले दिन पड़ोसी को सौंप दी जाती है।
सुखाड़िया से मिली वन सुरक्षा की प्रेरणा
1970 के दशक में एकलिंगपुरा गांव के मुखिया रहे रामलाल पटेल दिवंगत मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया के करीबी लोगों में थे। रामलाल ने एक बार सुखाड़िया से पूछा था कि वे उन्हें ऐसा काम बताएं, जिससे जनता की भलाई हो। सुखाड़िया ने उन्हें वन लगाने की नसीहत दी जिसका फल पीढ़ियों को मिलेगा। उन्होंने पूरे गांव को साथ लेकर संकल्प लिया और साकार कर दिखाया। इस परंपरा को बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष किशन लाल शर्मा ने निभाया। समिति के वर्तमान अध्यक्ष गणोशलाल डांगी भी उसी राह पर चल रहे हैं।
गांव के रामलाल पटेल ने की थी पहल :
चौबीस बरस पहले एकलिंगपुरा वासियों ने गांव से सटे बंजर होड़ा पर्वत को हरा भरा बनाने व उसकी सुरक्षा करने का संकल्प लिया था। गांव के तत्कालीन मुखिया रामलाल पटेल की अध्यक्षता में एकलिंगपुरा वन सुरक्षा समिति बनाई गई थी। ग्रामीणों ने मिलजुल कर पौधे बोये थे। जंगल की जमीन खोद कर पत्थर निकाले और 340 हैक्टेयर क्षेत्र में फैले होड़ा पर्वत वन की सुरक्षा के लिए कच्ची दीवार चुनी।
वन ने क्षेत्र की काया पलट दी
एकलिंगपुरा नवयुवक मंडल के संरक्षक नारायण वैष्णव, कलड़वास के पूर्व उप सरपंच कुबेरलाल डांगी, शांतिलाल डांगी का कहना है कि वन में उगने वाला चारा ग्रामीण काटते हैं। गांव के प्रत्येक घर को प्रति वर्ष 12 क्विंटल चारा मिलता है। होड़ा पर्वत सघन वन बनने के बाद आसपास के क्षेत्रों से 20 प्रतिशत अधिक वर्षा होती है। पहले गांव में जल संकट था अब कुएं सदानीरा हैं।
पहले सिर्फ मक्का बोयी जाती थी, अब गेहूं, चना व तरकारियां भी उगती हैं। पूर्व वनपाल दलपत सिंह चुंडावत एवं वर्तमान वनपाल पुष्पेंद्र सिंह राणावत का कहना है कि एकलिंगपुरा वन सुरक्षा समिति को 1996 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत ने सर्वश्रेष्ठ वन संरक्षण का पुरस्कार दिया था।
वन में है :आंवला, नीम, धावड़ा गोंद, खेर, देसी बबूल, विलायती बबूल, गोदल तथा बांस के हजारों पेड़ लगे हैं। जंगल में बड़ी संख्या में सियार हैं। केवड़ा की नाल से होड़ा पर्वत के बीच पैंथर भ्रमण करते हैं।
ऐसे करते हैं पहरेदारी
समिति ने लकड़ी तस्करों से पेड़ों की सुरक्षा के लिए दो दशक पूर्व एक नायाब तरीका खोजा, जो आज भी कायम है। प्रतिदिन गांव के एक घर से दो जने पहरा देते हैं। अगले दिन उसके पड़ोसी का नंबर आता है। ढाई सौ घरों के गांव में यह क्रम जारी रहता है। ड्यूटी ट्रांसफर करने का संकेत एक लाठी है, अगले दिन पड़ोसी को सौंप दी जाती है।
सुखाड़िया से मिली वन सुरक्षा की प्रेरणा
1970 के दशक में एकलिंगपुरा गांव के मुखिया रहे रामलाल पटेल दिवंगत मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया के करीबी लोगों में थे। रामलाल ने एक बार सुखाड़िया से पूछा था कि वे उन्हें ऐसा काम बताएं, जिससे जनता की भलाई हो। सुखाड़िया ने उन्हें वन लगाने की नसीहत दी जिसका फल पीढ़ियों को मिलेगा। उन्होंने पूरे गांव को साथ लेकर संकल्प लिया और साकार कर दिखाया। इस परंपरा को बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष किशन लाल शर्मा ने निभाया। समिति के वर्तमान अध्यक्ष गणोशलाल डांगी भी उसी राह पर चल रहे हैं।
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