बुधवार, 13 जुलाई 2011

गुड्स प्लेटफार्म पर दर्जन भर महिलाएं इस गेहूं को सुखा रही हैं।


जालोर बरसात की तमाम संभावनाओं के बावजूद एफसीआई समय पर नहीं चेती और इसका खामियाजा लाखों रुपए के गेहूं के भीग जाने के रूप में सामने आया। अब एफसीआई इस भीगे हुए गेहूं को सुखाने की कवायद कर रहा है। गुड्स प्लेटफार्म पर दर्जन भर महिलाएं इस गेहूं को सुखा रही हैं।

भीगे हुए बोरों में से गेहूं के धड़े निकल रहे हैं। इस गेहूं को अलग करके सुखाने की कवायद चल रही है। सवाल यह उठता है कि इस प्रकार से गेहूं क्या सुरक्षित रह पाएगा। इसे वापस बोरों में भरा जाएगा। क्या गारंटी है कि इसकी वजह से पूरा अनाज खराब नहीं होगा। बहरहाल यह तो सामने आ गया है कि पहले तो एक के बाद एक बिना किसी अंतराल के मालगाडिय़ां भेजी गई और फिर एफसीआई भी उस गेहूं को समय पर नहीं उठा पाई।

इधर, रेलवे गुड्स प्लेटफार्म से अनाज वितरण का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को डीएसओ ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया था और खराब अनाज की लोडिंग नहीं करने की बात कही थी, लेकिन मंगलवार को एक बार फिर से मार्केटिंग सोसायटी के कार्मिकों ने एफसीआई द्वारा गीले अनाज की लोडिंग का आरोप लगाते हुए विरोध जताया। जबकि एफसीआई के अधिकारियों ने गीला अनाज नहीं भरने की बात कही है।

एफसीआई के अधिकारियों ने कार्मिकों को कहा कि गीला अनाज नहीं दिया जाएगा। जबकि कार्मिकों का कहना था कि गुड्स प्लेटफार्म के तल पर पड़े अनाज के कट्टे पहली रैक के हैं तथा नीचे से गीले हैं। इसलिए ये कट्टे नहीं भरे जाएं। कार्मिकों का कहना था कि एफसीआई के अधिकारी यह कह रहे हैं कि अनाज गीला नहीं दिया जाएगा, दूसरी तरफ तल पर पड़ा गीला अनाज ट्रकों में लदान किया जा रहा है। वहीं एफसीआई के अधिकारियों का कहना है कि उनकी तरफ से सूखा अनाज ही लोडिंग करवाया जा रहा है।

अभी भी गुड्स प्लेटफार्म पर पड़े है सवा लाख कट्टे

जालोर गुड्स प्लेटफार्म पर अभी तक करीबन 1 लाख 20 हजार गेहूं के कट्टे पड़े हैं, जिन्हें हटाने में दो तीन दिन और लग सकते हैं। हालांकि इस मामले में एरिया मैनेजर ने सोमवार को बताया था कि जब तक गुड्स प्लेटफार्म से पूरा अनाज उठा नहीं लिया जाता तब तक नई रैक नहीं भेजी जाए। इस बात पर सहमति भी बनी है, लेकिन विभागीय कार्मिकों द्वारा यह संभावना भी जताई जा रही है कि इसके बावजूद भी रेलवे की तरफ से अनाज भेजा जा सकता है।
होगी ठेकेदार से भरपाई
  गुड्स प्लेटफार्म का निरीक्षण किया है। साथ ही आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं। स्थिति काफी हद तक काबू में है। बारिश से अनाज को हुए नुकसान की भरपाई ठेकेदार से की जाएगी।
गोपी किशन, एरिया मैनेजर, एफसीआई, 
ये है दोनों का पक्ष 
मार्केटिंग सोसायटी के कार्मिकों का कहना है कि अनाज गीला होने से वजन में अंतर आ जाएगा, जिसका खामियाजा डीलरों को बाद में अनाज सूखने पर भुगतना पड़ेगा। दूसरी तरफ एफसीआई के कार्मिकों का कहना है बारिश के मौसम में नमी का असर थोड़ा बहुत तो रहता ही है, लेकिन यह एफसीआई के मानक के अंतर्गत ही आ रहा है। इसलिए ज्यादा दिक्कत नहीं है। बारिश में ज्यादा भीगा हुआ अनाज डीलरों को नहीं दिया जा रहा है। उसे व्यवस्थित किया जा रहा है साथ ही उसमें से खराब हुए अनाज को निकाला जा रहा है। खराब हुए अनाज की जिम्मेदारी ठेकेदार की है, जिसकी उससे वसूली होगी।

अलग किया खराब अनाज
8 तारीख की रात को बारिश से खराब हुए अनाज के कटटों को मंगलवार को खोला गया। जिसके बाद खराब अनाज को अलग किया गया। साथ ही सही अनाज को नए बोरों में भरा गया। बारिश से तल के कटï्टों में भरा काफी अनाज ढेले में बंध चुका था, जिसकी छंटनी की गई। इधर, एफसीआई जोधपुर के एरिया मैनेजर मंगलवार दोपहर जालोर पहुंचे तथा स्थिति का जायजा लिया। सबसे पहले वे बादनवाड़ी के पास स्थित कैंप (ओपन वेयर हाउस) पहुंचे तथा स्थिति का जायजा लिया। वहां उन्होंने अनाज की स्थिति की जानकारी ली। इसके बाद गुड्स प्लेटफार्म का भी निरीक्षण किया और आवश्यक दिशा निर्देश दिए।

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