नई दिल्ली. बाबा रामदेव के 4 जून से शुरू हो रहे 'सत्याग्रह' पर विचार करने के लिए कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रधानमंत्री के निवास 7, रेस कोर्स रोड पर जुट गए हैं। कांग्रेस की कोर ग्रुप की बैठक में प्रधानमंत्री के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, गृहमंत्री पी. चिदंबरम, रक्षा मंत्री एके एंटनी शामिल हैं। कांग्रेस ने अपने सभी नेताओं को ताकीद की है कि कोर ग्रुप की बैठक होने तक कोई बयान न दें। इस बीच, केंद्रीय पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय ने योग गुरु से गुरुवार को दो बार फोन पर बातचीत की है। इस बातचीत का क्या नतीजा निकला, यह साफ नहीं हो सका है।
बाबा रामदेव शुक्रवार की सुबह 'सत्याग्रह' के मुद्दे पर मीडिया को संबोधित करेंगे और सरकार से होने वाली बातचीत के नतीजे बताएंगे। गुरुवार को होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस को यह कहते हुए टाल दिया गया है कि इस मुद्दे पर सरकार से 'गंभीर' बातचीत हो रही है। योग गुरु की ओर से मीडिया को इस बाबत एसएमएस भेजकर यह जानकारी दी गई।
उधर, योग गुरु बाबा रामदेव भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ चार जून से शुरू हो रहे अनशन पर अब भी अडिग हैं। बाबा रामदेव ने गुरुवार को गुड़गांव में अपना संकल्प दोहराया। उन्होंने काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने, इसे राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में रखने और भ्रष्टाचारियों को मौत की सजा देने की मांग एक बार फिर दोहराई। उन्होंने अन्ना के साथ होने का भी ऐलान किया और अन्ना ने भी उनका पूरा साथ देते हुए 5 जून को उनके साथ अनशन पर बैठने की घोषणा की।
लेकिन सूत्र बताते हैं कि सरकार उन्हें किसी भी तरह अनशन पर बैठने से रोकना चाहती है। बातचीत से मना कर और जरूरी हुआ तो कोई अन्य तरीका अपना कर भी। इससे पहले योग गुरु ने कहा कि उनका आंदोलन सत्ता नहीं, व्यवस्था परिवर्तन के लिए है। उन्होंने कहा कि सत्ता किसी भी पार्टी की हो व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि कोई भी देश के साथ भ्रष्टाचार करने की हिम्मत न करे। रामदेव ने कहा कि लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है, इसलिए लोग तत्काल कार्रवाई चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'हम लोगों के आक्रोश को दिशा देना चाहते हैं। यह लड़ाई केवल भ्रष्टाचार के खात्मे और ब्लैक मनी को वापस लाने तक ही सीमित नहीं है। हम व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई लड़ रहे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ अब निर्णायक लड़ाई की जरूरत है।' उन्होंने 2011 को युग परिवर्तन का साल बताया।
क्या 2014 (अगले लोकसभा चुनाव) में परिवर्तन होगा? इस सवाल पर रामदेव ने कहा कि इस तरह का बदलाव खुद इसी साल होगा लेकिन उन्होंने तुरंत कहा कि उनका विरोध कोई राजनीतिक उद्देश्य हासिल करने के लिए नहीं है। उन्होंने कहा, 'मेरा विरोध किसी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं है। यह व्यवस्था में परिवर्तन के लिए है। चाहे किसी भी पार्टी का शासन हो, हमारी जरूरत एक ऐसी व्यवस्था की है जो समस्याओं का हल प्रदान करे और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे जो देश को लूटते हैं और धोखा देते हैं।' रामदेव ने लोकपाल बिल के मुद्दे पर कहा कि उनके और अन्ना हजारे के बीच कोई मतभेद नहीं है और दोनों साथ-साथ हैं। रामदेव ने कहा, 'यहां आने से पहले मैंने अन्ना हजारे से बात की है। हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है।'
अन्ना हजारे ने बाबा रामदेव के आंदोलन को पूरा समर्थन देने की घोषणा की। जन लोकपाल बिल की मांग को लेकर पिछले दिनों जंतर-मंतर पर अनशन करने वाले अन्ना ने गुरुवार को पुणे में मीडिया से बातचीत में कहा, 'उन्हें (रामदेव को) हमारा पूरा समर्थन है।' अन्ना हजारे ने रामदेव का समर्थन करने का ऐलान करते हुए कहा, 'सरकार बाबा रामदेव के साथ धोखा कर रही है। हम मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ेंगे। हमने जंतर मंतर पर अनशन नहीं तोड़ा होता तो सरकार गिर जाती।' अन्ना 5 जून को रामदेव के अनशन में शामिल होंगे।
गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना ने कहा, 'हम संगठित हैं। लोकपाल बिल बनने तक हम किसी की नहीं सुनेंगे कि कौन क्या कहता है। बाबा रामदेव ने काला धन के साथ लोकपाल की भी बात रखी है। हम भी दो मत नहीं है। इस देश से भ्रष्टाचार मिटाना है तो पीएम को दायरे में आने में क्या हर्ज है। इससे सरकार की छवि ही साफ होगी।'
यह पूछे जाने पर कि बाबा रामदेव से मिलने कल दिल्ली एयरपोर्ट पर सरकार के 4 मंत्री गए थे, अन्ना ने कहा, 'इतने मंत्री एयरपोर्ट पर जाते हैं इसका मतलब है कि बाबा के खिलाफ धोखाधड़ी का कोई प्लान है।'
दोनों खेमों में हलचल
बाबा रामदेव के अनशन में सिर्फ दो दिन बचे हैं। इसे लेकर सरकार और कांग्रेस में हलचल है और बैठकों का सिलसिला हर खेमे में जारी है। बाबा रामदेव ने गुड़गांव जाने से पहले अपने करीबियों के साथ बैठकर प्रस्तावित सत्याग्रह और सरकार के रुख को लेकर रणनीति पर विचार किया। दूसरी ओर, मीडिया में सूत्रों के हवाले से यह खबर आ रही है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस बात से खफा हैं कि बाबा रामदेव और केंद्र सरकार के चार मंत्रियों के बीच बुधवार को दिल्ली एयरपोर्ट पर हुई बैठक में हुई बातचीत का ब्योरा उन्हें नहीं बताया गया। पार्टी नेताओं के बीच योग गुरु की चार केंद्रीय मंत्रियों द्वारा अगुवानी किए जाने के मामले पर गहरे मतभेद हैं। कांग्रेस और सरकार में भी मंथन का सिलसिला चल रहा है। कांग्रेस कोर ग्रुप शाम को बैठक करने वाली है। सूत्र बताते हैं कि इसमें इस पर फैसला होगा कि बाबा रामदेव को अनशन करने से रोकने के लिए क्या किया जाए और अगर इसमें कामयाबी नहीं मिली तो स्थिति से निपटने की रणनीति क्या हो। लेकिन इससे पहले कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर बाबा रामदेव पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आमरण अनशन और आंदोलन से न तो काला धन वापस आएगा और भ्रष्टाचार मिटेगा। इसलिए बाबा रामदेव को सरकार की बात मान कर अनशन का कार्यक्रम छोड़ देना चाहिए। उनका कहना था कि बाबा से कांग्रेस को कोई डर नहीं है। बकौल दिग्विजय, 'अगर कांग्रेस बाबा रामदेव से डरी होती तो पार्टी उन्हें सलाखों के पीछे बंद कर देती।'
बाबा रामदेव शुक्रवार की सुबह 'सत्याग्रह' के मुद्दे पर मीडिया को संबोधित करेंगे और सरकार से होने वाली बातचीत के नतीजे बताएंगे। गुरुवार को होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस को यह कहते हुए टाल दिया गया है कि इस मुद्दे पर सरकार से 'गंभीर' बातचीत हो रही है। योग गुरु की ओर से मीडिया को इस बाबत एसएमएस भेजकर यह जानकारी दी गई।
उधर, योग गुरु बाबा रामदेव भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ चार जून से शुरू हो रहे अनशन पर अब भी अडिग हैं। बाबा रामदेव ने गुरुवार को गुड़गांव में अपना संकल्प दोहराया। उन्होंने काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने, इसे राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में रखने और भ्रष्टाचारियों को मौत की सजा देने की मांग एक बार फिर दोहराई। उन्होंने अन्ना के साथ होने का भी ऐलान किया और अन्ना ने भी उनका पूरा साथ देते हुए 5 जून को उनके साथ अनशन पर बैठने की घोषणा की।
लेकिन सूत्र बताते हैं कि सरकार उन्हें किसी भी तरह अनशन पर बैठने से रोकना चाहती है। बातचीत से मना कर और जरूरी हुआ तो कोई अन्य तरीका अपना कर भी। इससे पहले योग गुरु ने कहा कि उनका आंदोलन सत्ता नहीं, व्यवस्था परिवर्तन के लिए है। उन्होंने कहा कि सत्ता किसी भी पार्टी की हो व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि कोई भी देश के साथ भ्रष्टाचार करने की हिम्मत न करे। रामदेव ने कहा कि लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है, इसलिए लोग तत्काल कार्रवाई चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'हम लोगों के आक्रोश को दिशा देना चाहते हैं। यह लड़ाई केवल भ्रष्टाचार के खात्मे और ब्लैक मनी को वापस लाने तक ही सीमित नहीं है। हम व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई लड़ रहे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ अब निर्णायक लड़ाई की जरूरत है।' उन्होंने 2011 को युग परिवर्तन का साल बताया।
क्या 2014 (अगले लोकसभा चुनाव) में परिवर्तन होगा? इस सवाल पर रामदेव ने कहा कि इस तरह का बदलाव खुद इसी साल होगा लेकिन उन्होंने तुरंत कहा कि उनका विरोध कोई राजनीतिक उद्देश्य हासिल करने के लिए नहीं है। उन्होंने कहा, 'मेरा विरोध किसी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं है। यह व्यवस्था में परिवर्तन के लिए है। चाहे किसी भी पार्टी का शासन हो, हमारी जरूरत एक ऐसी व्यवस्था की है जो समस्याओं का हल प्रदान करे और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे जो देश को लूटते हैं और धोखा देते हैं।' रामदेव ने लोकपाल बिल के मुद्दे पर कहा कि उनके और अन्ना हजारे के बीच कोई मतभेद नहीं है और दोनों साथ-साथ हैं। रामदेव ने कहा, 'यहां आने से पहले मैंने अन्ना हजारे से बात की है। हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है।'
अन्ना हजारे ने बाबा रामदेव के आंदोलन को पूरा समर्थन देने की घोषणा की। जन लोकपाल बिल की मांग को लेकर पिछले दिनों जंतर-मंतर पर अनशन करने वाले अन्ना ने गुरुवार को पुणे में मीडिया से बातचीत में कहा, 'उन्हें (रामदेव को) हमारा पूरा समर्थन है।' अन्ना हजारे ने रामदेव का समर्थन करने का ऐलान करते हुए कहा, 'सरकार बाबा रामदेव के साथ धोखा कर रही है। हम मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ेंगे। हमने जंतर मंतर पर अनशन नहीं तोड़ा होता तो सरकार गिर जाती।' अन्ना 5 जून को रामदेव के अनशन में शामिल होंगे।
गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना ने कहा, 'हम संगठित हैं। लोकपाल बिल बनने तक हम किसी की नहीं सुनेंगे कि कौन क्या कहता है। बाबा रामदेव ने काला धन के साथ लोकपाल की भी बात रखी है। हम भी दो मत नहीं है। इस देश से भ्रष्टाचार मिटाना है तो पीएम को दायरे में आने में क्या हर्ज है। इससे सरकार की छवि ही साफ होगी।'
यह पूछे जाने पर कि बाबा रामदेव से मिलने कल दिल्ली एयरपोर्ट पर सरकार के 4 मंत्री गए थे, अन्ना ने कहा, 'इतने मंत्री एयरपोर्ट पर जाते हैं इसका मतलब है कि बाबा के खिलाफ धोखाधड़ी का कोई प्लान है।'
दोनों खेमों में हलचल
बाबा रामदेव के अनशन में सिर्फ दो दिन बचे हैं। इसे लेकर सरकार और कांग्रेस में हलचल है और बैठकों का सिलसिला हर खेमे में जारी है। बाबा रामदेव ने गुड़गांव जाने से पहले अपने करीबियों के साथ बैठकर प्रस्तावित सत्याग्रह और सरकार के रुख को लेकर रणनीति पर विचार किया। दूसरी ओर, मीडिया में सूत्रों के हवाले से यह खबर आ रही है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस बात से खफा हैं कि बाबा रामदेव और केंद्र सरकार के चार मंत्रियों के बीच बुधवार को दिल्ली एयरपोर्ट पर हुई बैठक में हुई बातचीत का ब्योरा उन्हें नहीं बताया गया। पार्टी नेताओं के बीच योग गुरु की चार केंद्रीय मंत्रियों द्वारा अगुवानी किए जाने के मामले पर गहरे मतभेद हैं। कांग्रेस और सरकार में भी मंथन का सिलसिला चल रहा है। कांग्रेस कोर ग्रुप शाम को बैठक करने वाली है। सूत्र बताते हैं कि इसमें इस पर फैसला होगा कि बाबा रामदेव को अनशन करने से रोकने के लिए क्या किया जाए और अगर इसमें कामयाबी नहीं मिली तो स्थिति से निपटने की रणनीति क्या हो। लेकिन इससे पहले कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर बाबा रामदेव पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आमरण अनशन और आंदोलन से न तो काला धन वापस आएगा और भ्रष्टाचार मिटेगा। इसलिए बाबा रामदेव को सरकार की बात मान कर अनशन का कार्यक्रम छोड़ देना चाहिए। उनका कहना था कि बाबा से कांग्रेस को कोई डर नहीं है। बकौल दिग्विजय, 'अगर कांग्रेस बाबा रामदेव से डरी होती तो पार्टी उन्हें सलाखों के पीछे बंद कर देती।'
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