जयपुर। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पीएसी के अध्यक्ष डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा है कि कृष्णा गोदावरी बेसिन मामले में दोषी तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को मंत्री परिषद से बर्खास्त किया जाए। उन्होंने कहा कि इस बेसिन के विकास के लिए 12,000 करोड़ की राशि 45,000 करोड़ रुपए होने और संबंधित कंपनियों से गैस की खरीद की दर 1.20 रुपए प्रति बीटीजीएल से बढ़ाकर 4.20 रुपए क्यों किया गया। इसके लिए चिदंबरम ही दोषी हैं। डॉ. जोशी बुधवार को यहां भाजपा कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया से बातचीत कर रहे थे।
डॉ. जोशी ने कहा कि इस तरह अनाप शनाप पैसा बढ़ाने का सीधा असर आम आदमी के चूल्हे पर आता है। असलियत यह है कि तीनों कंपनियां तीन चार साल से मुनाफे में है, ऐसे में घाटे की पूर्ति का तर्क बेमानी है।
डॉ. जोशी ने कहा कि पीएसी 2 जी स्पेक्ट्रम के मामले की रिपोर्ट को लोकसभा अध्यक्ष द्वारा लौटाने के बाद अब इस रिपोर्ट को फिर से कमेटी के सदस्यों के बीच रखा जाएगा। उनकी राय के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगा। उन्होंने कहा कि वे अकेले इस मामले में कुछ नहीं कर सकते हैं।
ऐसी संवैधानिक संस्था की ओर से की गई सिफारिशों को सरकार को माननी चाहिए। अगर नहीं मानी गई तो संसद में मुद्दा उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार कुछ चीजों को छिपाने की कोशिश कर रही है, रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और सॉलिसिटर उंगली उठाई गई है।
सीबीआई एक्ट बने : डॉ. जोशी ने कहा कि सीबीआई अभी दिल्ली पुलिस के एक्ट के तहत काम कर रही है। इसके लिए अलग से एक्ट बनना चाहिए। साथ ही हर छह माह में इसके क्रियाकलाप की रिपोर्ट संसद में पेश होनी चाहिए ताकि इसकी पारदर्शिता बनी रहे।
कालाधन : एक सवाल के जवाब में डॉ. जोशी ने कहा कि भाजपा के शासन में कालाधन वापस लाने के प्रयास किए गए थे, लेकिन उस समय अंतरराष्ट्रीय ट्रीटी आड़े आ गई थी। अब नियमों में बदलाव हो चुके हैं, ऐसे में कालाधन देश में आना चाहिए।
आधी रात को डंडे बरसाने की निंदा :उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव या अन्ना हजारे के आंदोलन में भाजपा का कोई हाथ नहीं है, अलबत्ता उनके द्वारा उठाए मुद्दों को समर्थन जरूर है। उन्होंने बाबा के साथ शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे लोगों पर आधी रात को डंडे बरसाने की निंदा की।
रिटायर अफसरों की नौकरी पर रोक लगे : डॉ. जोशी ने कहा कि सरकार सेवा से रिटायर होने वाले अधिकारियों के निजी कंपनियों में नौकरी करने पर कम से कम तीन साल के लिए रोक लगाई जानी चाहिए। ये अफसर उन कंपनियों को नाजायज फायदा पहुंचाने के लिए अपने प्रभाव और जानकारियों का इस्तेमाल करते हैं।
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