नई दिल्ली. नई दिल्ली. भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में सरकार को खुली चुनौती देने वाले बाबा रामदेव पर सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। तमाम सरकारी एजेंसियों को बाबा की कमजोर कड़ी पकड़ने के लिए लगा दिया गया है। वित्त मंत्रालय ने डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस को निर्देश दिया है कि वह बाबा के ट्रस्ट द्वारा विदेश भेजी गई दवाओं में हुए कथित फर्जीवाड़े की जांच करे। आयकर विभाग के भी एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है कि उनके विभाग ने भी योग गुरु और उनके सहयोगियों के सभी ट्रस्ट की पड़ताल शुरु कर दी है।
हाल ही में अमेरिका ने बाबा के ट्रस्ट के तहत चलने वाली कंपनियों में बनी कई दवाओं को अपने यहां नहीं जाने दिया था। इनमें से एक दवा शिलाजीत रसायन भी है। बाबा का दावा है कि यह पुरुषों की यौन ताकत बढ़ाने वाली दवा है।
अमेरिका के फूड एंड ड्र्ग्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने इन दवाओं को अमेरिका में बिकने लायक नहीं बताते हुए खारिज कर दिया था। अब भारत सरकार जांच करेगी कि एफडीए ने इन दवाओं में क्या खामियां निकाली थीं। साथ ही, यह भी कि खारिज की गई इन दवाओं का रामदेव से जुड़ी कंपनियों ने क्या किया।
एक साल में करीब आठ बार एफडीए ने रामदेव से जुड़ी कंपनियों में बनी कई दवाओं को खारिज किया है।
हरिद्वार में बाबा रामदेव ने सरकार के इस कदम के बारे में कहा कि उसे कोई शक है तो कंपनी को नोटिस भेजे, जिसका जवाब दिया जाएगा। मीडिया के जरिए इस तरह भ्रम नहीं फैलाए।
माना जा रहा है कि एफडीए ने बाबा रामदेव की कंपनियों की दवाओं को इन कारणों से आने से रोक दिया कि या तो वे सूची में नहीं थीं या फिर उनके लिए स्वीकृति नहीं थी।
इन जहाजों में एक जहाज पर शिलाजीत रसायन लदी थी। यह आयुर्वेद दवा है, जो पुरुषों की शक्ति बढ़ाने और नपुंसकता मिटाने के इलाज में फायदेमंद है। यह दवा भी दिव्य फार्मेसी योग द्वारा तैयार की गई थी। इस जहाज को ६ जनवरी २०११ को रोका गया। और कारण में लिखा गया है कि यह नई दवा लगती है औऱ इसकी स्वीकृति नहीं है।
इसी तरह रामदेव की एक दूसरी कंपनी पतांजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने आंवला चूर्ण भी जहाज से अमेरिका भेजा था, लेकिन इसे भी २१ जनवरी २०११ को रोक लिया गया। इसे रोकने का कारण बताया गया कि उस प्रोडक्ट के बारे में पर्याप्त जानकारियां नहीं दी गई हैं।
हालांकि बाबा रामदेव की वेब साइट्स, जिनपर इन दवाओं का उल्लेख है, पर भी साफ लिखा हुआ है कि इन दवाओं को अमेरिका के एफडीए ने मान्य नहीं किया है।
करीब ४५ ऐसी कंपनियां हैं, जिनमें बाबा रामदेव के खास आचार्य बालकृष्ण और मुक्ता नंद, डायरेक्टर, मैनेजिंग डायरेक्टर या एजिशनल डायरेक्टर की हैसियत से काम कर रहे हैं, लेकिन इनमें भी दिव्य फार्मेसी का नाम नहीं है। इससे साबित होता है कि अभी कुछ और भी कंपनियां हैं, जिनके बारे में खुलासा नहीं हुआ है।
जिन ३४ कंपनियों की जांच शुरु हुई है उनमें सबसे उपर पतांजलि आयुर्वेद लिमिटेड है, जिसके डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण हैं। इसके अलावा ११ ऐसी कंपनियां हैं, जिसमें मुक्ता नंद डायरेक्टर हैं। मार्च में ही उन्हें एक और कंपनी पतांजलि बायो रिसर्च इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड का भी डायरेक्टर नियुक्त किया गया है।
हाल ही में अमेरिका ने बाबा के ट्रस्ट के तहत चलने वाली कंपनियों में बनी कई दवाओं को अपने यहां नहीं जाने दिया था। इनमें से एक दवा शिलाजीत रसायन भी है। बाबा का दावा है कि यह पुरुषों की यौन ताकत बढ़ाने वाली दवा है।
अमेरिका के फूड एंड ड्र्ग्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने इन दवाओं को अमेरिका में बिकने लायक नहीं बताते हुए खारिज कर दिया था। अब भारत सरकार जांच करेगी कि एफडीए ने इन दवाओं में क्या खामियां निकाली थीं। साथ ही, यह भी कि खारिज की गई इन दवाओं का रामदेव से जुड़ी कंपनियों ने क्या किया।
एक साल में करीब आठ बार एफडीए ने रामदेव से जुड़ी कंपनियों में बनी कई दवाओं को खारिज किया है।
हरिद्वार में बाबा रामदेव ने सरकार के इस कदम के बारे में कहा कि उसे कोई शक है तो कंपनी को नोटिस भेजे, जिसका जवाब दिया जाएगा। मीडिया के जरिए इस तरह भ्रम नहीं फैलाए।
माना जा रहा है कि एफडीए ने बाबा रामदेव की कंपनियों की दवाओं को इन कारणों से आने से रोक दिया कि या तो वे सूची में नहीं थीं या फिर उनके लिए स्वीकृति नहीं थी।
इन जहाजों में एक जहाज पर शिलाजीत रसायन लदी थी। यह आयुर्वेद दवा है, जो पुरुषों की शक्ति बढ़ाने और नपुंसकता मिटाने के इलाज में फायदेमंद है। यह दवा भी दिव्य फार्मेसी योग द्वारा तैयार की गई थी। इस जहाज को ६ जनवरी २०११ को रोका गया। और कारण में लिखा गया है कि यह नई दवा लगती है औऱ इसकी स्वीकृति नहीं है।
इसी तरह रामदेव की एक दूसरी कंपनी पतांजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने आंवला चूर्ण भी जहाज से अमेरिका भेजा था, लेकिन इसे भी २१ जनवरी २०११ को रोक लिया गया। इसे रोकने का कारण बताया गया कि उस प्रोडक्ट के बारे में पर्याप्त जानकारियां नहीं दी गई हैं।
हालांकि बाबा रामदेव की वेब साइट्स, जिनपर इन दवाओं का उल्लेख है, पर भी साफ लिखा हुआ है कि इन दवाओं को अमेरिका के एफडीए ने मान्य नहीं किया है।
करीब ४५ ऐसी कंपनियां हैं, जिनमें बाबा रामदेव के खास आचार्य बालकृष्ण और मुक्ता नंद, डायरेक्टर, मैनेजिंग डायरेक्टर या एजिशनल डायरेक्टर की हैसियत से काम कर रहे हैं, लेकिन इनमें भी दिव्य फार्मेसी का नाम नहीं है। इससे साबित होता है कि अभी कुछ और भी कंपनियां हैं, जिनके बारे में खुलासा नहीं हुआ है।
जिन ३४ कंपनियों की जांच शुरु हुई है उनमें सबसे उपर पतांजलि आयुर्वेद लिमिटेड है, जिसके डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण हैं। इसके अलावा ११ ऐसी कंपनियां हैं, जिसमें मुक्ता नंद डायरेक्टर हैं। मार्च में ही उन्हें एक और कंपनी पतांजलि बायो रिसर्च इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड का भी डायरेक्टर नियुक्त किया गया है।
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